जे.पी. बनाम अमिताभ

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संजय कुमार

मीडिया के लिए आज विचार और सिद्वांत कोई मायने नहीं रखते, बल्कि बाजार और सेलिब्रेटिज मायने रखते हैं। इसे चरितार्थ बिहार की मीडिया ने किया। 11 अक्टूबर लोकनायक जयप्रकाष नारायण की जयंती है और वहीं फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन का जन्म दिन भी। बिहार से प्रकाशित 11 अक्टूबर के समाचार-पत्रों में देश की राजनीति को एक नयी दिषा देने वाले लोकनायक जयप्रकाश नारायण को उतनी तरजीह नहीं दी, जितना कि अमिताभ बच्चन को दिया।

हैरत और आश्चर्य की बात यह है कि बिहार में सबसे ज्यादा बिकने का दावा करने वाला दैनिक हिन्दुस्तान ने तो हद ही कर दी। जे0 पी0 के जन्म दिन पर सिंगल कालम की खबर तक नहीं दी। जबकि, अमिताभ बच्चन के पूरे परिवार की तस्वीर को ‘‘सत्तर के शंहशाह, जया के खास तोहफे से जश्न शुरू’’ खबर को, चार कालम में समेटा। वहीं दैनिक जागरण ने लोकनायक की याद में पेज संख्या-17 पर जयंती विशेष के तहत ‘‘42 क्रांति के अग्रदूत‘‘ जयप्रकाश शीर्षक से आलेख प्रकाशित किया और अमिताभ को थोड़े कम जगह दिये। वहीं प्रगतिशीलता का दावा भरने वाले समाचार पत्र प्रभात खबर ने अपने मास्ट हेड में ‘‘सत्तर के हुए अमिताभ’’ को कई तस्वीरों के साथ जगह दी। यहीं नहीं प्रथम पृष्ट पर एक बातचीत भी छापा। हालांकि, बाटम में एक बाक्स में जी0 पी0 की तस्वीर छापकर विशेष अंदर के पेज पर सूचना दी। प्रभात खबर के पृष्ट संख्या-8 पर संपादकीय में अमिताभ पर लाड मेघनाथ देसाई का आलेख ‘‘अपने युग को उन्होंने वाणी दी‘‘ को प्रकाशित किया, साथ ही अमिताभ बच्चन पर चार पूरे पृष्ट दिये। पृष्ट-19 पर अमिताभ एक परिघटना, पृष्ट-20 पर विजय का विद्रोह, पृष्ट-21 पर अभिनय और अमिताभ और पृष्ट-22 पर परिवार के भी नायक से आलेख प्रकाशित किये। वहीं प्रभात खबर ने जयप्रकाश नारायण पर पृष्ट संख्या-12 पर जे0 पी0 और बीसवीं सदी का वैचारिक संघर्ष के तहत पूरे पृष्ट पर तीन-चार आलेख प्रकाशित किये।

दैनिक आज ने जे0 पी0 की जयंती पर मुख्य पृष्ट के बाटम पर हेमंत का आलेख ‘‘लोकनायक होने का अर्थ’’ को प्राथमिकता दी। अखबार ने भी अमिताभ को पृष्ट संख्या-12 पर ‘‘हौसला हो तो अमिताभ जैसा’’ प्रकाशित किया। हिन्दुस्तान टाईम्स ने अपने पहले पेज पर बिग-बी-एट-सेवनटी फोटो के साथ डाला। वहीं जे0 पी0 पहले पेज से गायब रहें। हिन्दुस्तान टाईम्स ने पृष्ट संख्या-09 पर अमिताभ को जगह दी। यह भी अखबार जे0 पी0 को भूल गया। टाईम्स आफ इंडिया ने जे0 पी0 को अहमियत नहीं दी, जबकि अमिताभ बच्चन पर पटना टाईम्स में एक आलेख तस्वीर के साथ प्रकाशित की।

देष की राजनीतिक गलियारें में हलचल मचाने वाले और अपने वैचारिक अद्भूत सोच से लोकनायक बने जयप्रकाष नारायण के साथ मीडिया का यह व्यवहार आश्चर्यजनक नहीं है, क्योंकि मीडिया आज बाजार को देखती है। जाहिर सी बात है आज के बाजार में अमिताभ बच्चन मायने रखते हैं जे0 पी0 नहीं ? जे0 पी0 वैचारिक अभिव्यक्ति के मिशाल हैं तो वहीं अमिताभ माया-जाल के नायक है। यह मीडिया के लिए कोई नयी बात नहीं है कि किसी महान वैचारिक सोच और समाज-देश को दिशा देने वाले नायक-महानायक-चिंतक को तरजीह न दी हो? मीडिया हमेषा से ही सेलिब्रेटिज और बिकाउ चीज को ही तरजीह देती रही है। समाज और देश को दिशा देने वालों के प्रति समर्पण नहीं दिखता। जे0 पी0 बनाम अमिताभ में मीडिया की नजर अमिताभ पर जाकर टिक गयी। हालांकि कुछ पत्रों ने जे0 पी0 को थोड़ी तरजीह तो दे दी, लेकिन सवाल यह उठता है कि देष और समाज को दिषा देने वाले नायक-महानायक-चिंतकों के साथ मीडिया का यह रवैया उचित है?

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संजय कुमार
पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा।समाचार संपादक, आकाशवाणी, पटना पत्रकारिता : शुरूआत वर्ष 1989 से। राष्ट्रीय व स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में, विविध विषयों पर ढेरों आलेख, रिपोर्ट-समाचार, फीचर आदि प्रकाशित। आकाशवाणी: वार्ता /रेडियो नाटकों में भागीदारी। पत्रिकाओं में कई कहानी/ कविताएं प्रकाशित। चर्चित साहित्यिक पत्रिका वर्तमान साहित्य द्वारा आयोजित कमलेश्‍वर कहानी प्रतियोगिता में कहानी ''आकाश पर मत थूको'' चयनित व प्रकाशित। कई पुस्‍तकें प्रकाशित। बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् द्वारा ''नवोदित साहित्य सम्मानसहित विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा कई सम्मानों से सम्मानित। सम्प्रति: आकाशवाणी पटना के प्रादेशिक समाचार एकांश, पटना में समाचार संपादक के पद पर कार्यरत।

2 COMMENTS

  1. विजय कुमार जी आपने यह याद दिलाकर कि ११ अक्टूबर नाना देशमुख का भी जन्म दिन है सबके मुख पर करारा चांटा मारा है.जे.पी. को भूलने वाले अगर भ्रत्सना के अधिकारी हैं तो नाना जी देशमुख को न याद करने वाले भी कम दोषी नहीं हैं.नाना जी देशमुख अपने आख़िरी बीस वर्षों से राजनीति से अलग हो गए थे,पर ग्रामीण विकास के क्षेत्र में उन्होंने जो काम किया,उसको आगे बढ़ा कर गावों के लिए उन्नति का मार्ग खोला जा सकता था,पर न जाने क्यों दूसरों की कौन कहे,स्वयं भारतीय जनता पार्टी या आर.एस.एस. ने भी उसको शायद ही कोई महत्त्व दिया हो.इस तरह हम केवल जय प्रकाश नारायण ही नहीं ,बल्कि नाना जी देशमुख के भी गुनाहगार हैं.

  2. ११ अक्टूबर नानाजी देशमुख का भी जन्मदिन है. उन्हें भी किसी ने याद नहीं किया.

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