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कहो कौन्तेय-६१
विपिन किशोर सिन्हा (श्रीकृष्ण का गीतोपदेश एवं अर्जुन का मोह-भंग) मैं पारिवारिक स्नेह के मिथ्या शोक से अभिभूत था। श्रीकृष्ण ने पल के शतांश में ही मेरा भाव ताड़ लिया। अब वे हंस रहे थे। अपने मधुर स्वरों पर स्नेह का अतिरिक्त लेप लगा बोलने लगे - "हे पार्थ! तुम…