—विनय कुमार विनायक
बहुत कम लोगों को ज्ञात है कि काला पहाड़ कौन था?
काला पहाड़ धर्मांतरित हिन्दू का एक वीभत्स चेहरा था
काला पहाड़ पुरी कोणार्क कामाख्या मंदिर का लुटेरा था
काला पहाड़ विदेशी आक्रांता नहीं देशी बर्वर हत्यारा था
काला पहाड़ ने विधर्मी हो असंख्य हिन्दुओं को मारा था!
काला पहाड़ काला कलूटा पहाड़ के जैसा विशालकाय था
वह एक हिन्दू ब्राह्मण जिसका नाम काला चंद राय था
जिसने कलिंगराज गजपति मुकुंददेव और बंग अधिपति
रुद्र नारायण का संयुक्त सेनापति बन कर बंग भूमि का
अफगानी सुल्तान सुलेमान खाँ कर्रानी को बंदी किया था!
सुलेमान खाँ ने संधि हेतु अपनी बेटी गुलनाज को भेजा
गुलनाज प्रेम में काला पहाड़ राजा का दगाबाज हो गया
धर्म त्याग काला पहाड़ ने गुलनाज से निकाह कर लिया
काला पहाड़ ने गोरी गजनी सा देश को तबाह कर दिया
धर्मांतरित काला पहाड़ ने हिन्दुत्व छोड़ जेहाद कर दिया!
काला पहाड़ ने ना सिर्फ पुरी कामाख्या में लूटपाट किया
बल्कि पूर्व धर्मभाई हिन्दू व पुजारियों को मारकाट दिया
कोणार्क सूर्य मंदिर को प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व उजाड़ दिया
काला पहाड़ को कामुकता ने एक वहशी दरिंदा बना दिया
कालापहाड़ ने धर्म को धंधा मजहब को गंदा बना दिया!
काला पहाड़ ने साबित किया मंदिर मस्जिद में ईश्वर नहीं,
अल्लाह खुदा की चलती नहीं मर्जी, चलती इंसानी खुदगर्जी
धर्म बदलते जो होते नहीं भोले भाले स्वार्थ में होते मतवाले
काला पहाड़ ने इस्लाम कबूलकर काम किया था शैतान का
काला पहाड़ वो जो बात करे ईमान का काम करे हैवान का!
काला पहाड़ था अलाउद्दीन का किन्नर मलिक काफूर जैसे
बता गए धर्मांतरित हिन्दू अरबी शेख से अधिक कट्टर होते
भारतीय पाक-बांग्लादेशी अफगानी मुस्लिम हिन्दू से निकले
अरबी के मुकाबले हिन्दू से बने मौलवी ज्यादा नफरती होते
धर्मांतरित हिन्दू मौलिक मुस्लिम से अधिक खुराफाती होते!
काला पहाड़ खून खराबा करनेवाला एक दुर्जन सत्यानाशी था
उनके लिए धर्म कर्म काबा काशी ईश्वर रब सब अय्याशी था
उसे मजहब से कुछ लेनदेन नहीं वो हिन्दू को देता फाँसी था
काला पहाड़ के लिए तनिक महत्व नहीं था मक्का मदीना का
काला पहाड़ मजहब की आड़ में आतंक करनेवाला कमीना था!
आरंभ में काला पहाड़ कलिंग सम्राट मुकुंददेव का था सेनापति
हिन्दू रहते हुए बंगाल के सुल्तान सुलेमान को किया पराजित
फिर सुलेमान की बेटी से शादी कर जब बन गया था मुस्लिम
तब सुलेमान का सेनापति होके मुकुंददेव को किया था संहारित
अंततः अकबर ने काला पहाड़ को मार दिलाई आतंक से मुक्ति!
काला पहाड़ जब ब्राह्मण था,सहिष्णु था एक मस्जिद नहीं तोड़ा
पर हिन्दू धर्म छोड़ते ही मंदिर तोड़ा,ब्राह्मण तक को नहीं छोड़ा
काला पहाड़ को कोई मजबूरी नहीं थी सनातन धर्म त्यागने की
काला पहाड़ नहीं था हिन्दू का उपेक्षित वर्ण या जजिया करदाता
बल्कि वो हिन्दू की सर्वोच्च जाति से था,लोभ से बदली आस्था!
काला पहाड़ है लोभ लाभ की मंशा रखनेवाली हिन्दू मानसिकता
जिसे पता है कि वो हिन्दू रक्त वंश का,लालच में ईमान बदला
आज भी ऐसे हिन्दुओं की कमी नहीं जो जानबूझ जिन्ना बनता
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान लिखनेवाला इकबाल हिन्दू ही था
आज सत्ता हेतु स्वार्थी वंशवादी नेता बन रहा काला पहाड़ जैसा!
हे संविधान के रक्षक! काला पहाड़ वाली मानसिकता को रोक दो
कार्यपालिका न्यायपालिका जैसी विधायिका में योग्यता शिक्षा हो
प्रशासक न्यायाधीश सा विधायक सांसद मंत्री के लिए परीक्षा हो
जातिवाद साम्प्रदायिकता अशिक्षा जनसंख्या विस्फोट वोट बंद हो
विधायिका अशिक्षित जाहिल वंशवादियों का व्यवसाय हो न सके!
अशिक्षा किसी पद प्रतिष्ठा माननीय सर होने का पैमाना ना बने
जो पढ़ेगा सो बढ़ेगा, जाति जनसंख्या कराने का बहाना नहीं चले
भेड़ बकरी सूअर सा जनसंख्या बढ़ाने से कोई उपलब्धि नहीं मिले
एक समान व्यावसायिक शिक्षा लागू हो, मजहबी शिक्षा नहीं छले
अध्यात्म ज्ञान विज्ञान तकनीकी शिक्षा सब ले कोई हाथ ना मले!
—विनय कुमार विनायक