कन्हैया लाल नंदन जी की स्मृति में लंदन में शोक सभा

दिनांक 26 सितंबर 2010 को लंदन के नेहरू केन्द्र की निदेशक श्रीमती मोनिका मोहता की उपस्थति में यू.के हिंदी समिति द्वारा भारत के प्राख्यात कवि, लेखक एवं पत्रकार डॉ. कन्हैया लाल नंदन जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। शोक सभा में लंदन के लेखक, कवियों, अध्यापकों एवं गणमान्य नागरिकों, के अलावा हिंदी समिति के सैकड़ों छात्रों ने भी भाग लिया। 

नंदन जी के काव्यपाठ पर एक फिल्म की प्रस्तुति की गई।

हिंदी समिति के अध्यक्ष डॉ. पद्मेश गुप्त ने कहा कि यू.के. के अनेक रचनाकारों को गगनांचल में छाप कर नंदन जी ने प्रवासी हिंदी लेखन को हमेंशा प्रोत्साहित किया है। हिंदी समिति के अनेक योजनाओं में नंदन जी शामिल रहें और हमारी स्मृतियों में वे सदैव जीवित रहेंगे।

यू.के के वरिष्ठ लेखक डॉ. सत्येन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि हिंदी साहित्य के परिवर्तन के दौर में वे श्री नंदन जी के साथ संघर्ष के अंग रहें। नंदन जी ने हिंदी लेखन में अपनी एक अलग शैली बनाई और वे गद्य के जादूगर थें। उनके संघर्ष का हर एक खरोंच उनकी रचनाओं में पाई जाती है।

बी.बी.सी हिंदी सेवा के पूर्व अध्यक्ष श्री कैलाश बुधवार ने नंदन जी के संघर्षशील जीवन को एक मिसाल बताया। उन्होंने कहा कि नंदन जी के अभाव को भरना आसान नहीं है।

पुरवाई की संपादिका श्रीमती उषा राजे सक्सेना ने नंदन जी को बहुअयामी व्यक्तित्व बताते हुए उनके सम्मान में अनेक राजनीतिज्ञों एवं साहित्यकारों द्वारा कही गई बातें प्रस्तुत करते हुए उन्हें याद किया।

लंदन के प्राख्यात कवि श्री सोहन राही जी ने अपने गीत ‘जग में तो कोई बच न पाए माटी के बिछौने से, ये जीवन क्या जीवन होवे एक तेरे न होने से’ के माध्यम से नंदन जी को श्रद्धांजलि दी। 

लंदन के वरिष्ठ पत्रकार श्री विजय राना ने कहा कि नंदन जी साहित्य के विभिन्न पहलुओं के महत्वपूर्ण स्तंभ रहें है और उन्हें एक प्रेरणादायी पत्रकार के रूप में हमेशा बहुत सम्मान के साथ याद किया जाएगा।

डॉ. रिषि अग्रवाल ने कहा नंदन जी अपने साहित्य के माध्यम से हमारे बीच हैं और अमर हैं।

यू.के.हिंदी समिति के श्री वेद मोहला, के.बी.एल सक्सेना, सुरेखा चोपला, अंजलि सुबुराज, शशि वालिया, देविना रिशि, पियूष गोयल, एवं कृति यू.के. की तितिक्षा शाह, अख्तर गोल्ड, मधुशर्मा, मीना कुमारी, और शशि जी ने भी नंदन जी को याद किया।

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