कनिष्क : खाने को दाना नहीं शौचालय बनाना है।

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हे वोटर भाईचारे को निभाओ, वो तुम्हारे भाई, तुम उनका चारा

अपने देश का दुर्भाग्य है,हम हर चीज पहले हीं देख लेते हैं और हजारों साल ढोने के बाद भी उसे पुरी तरह आत्मसात नहीं कर पाते। आप इस कथ्य का द्र्श्टांत देखें तो फेहरिस्त लम्बी बनेगी।
हमने लोकतंत्र और गणराज्य हज़ारों वर्ष पहले देखा, जिया और लिखा। पर आजतक हम एक आदर्श स्वरूप नहीं दे पाए। जो बचा खुचा है भी उसे फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन के आभारी हो कर जी रहेण हैं।
हमारी चिकित्सा पद्धतियों को यूनान और मिश्र तक पहूंचाने के बाद आज भी हमारी दवाईयां पश्चीम द्वारा सर्टिफाइड होने का मोहताज हैं। और क्या क्या गिनाएं, बात मुद्दे से भट्क जाएगी।

अभी सरकार ने सोचा है कि, US के तर्ज पर अपने देश में भी युनिक आइडेन्टीफिकेशन नम्बर होना चाहिए। उनका तर्क है कि सरकारी योजनाओं के अमल मे सुविधा होगी,

हे वोटर भाईचारे को निभाओ, वो तुम्हारे भाई, तुम उनका चारा
हे वोटर भाईचारे को निभाओ, वो तुम्हारे भाई, तुम उनका चारा

अपराधिक गतिविधियों पर काबू पाया जा सकेगा
और जैसा की पाठक जी बतातें है
1. फिलहाल भारत में पचासों तरह की आईडी मौजूद है जैसे राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, पासपोर्ट आदि. फिर भी उनमें हमारी ज़रूरत की सारी अहम जानकारी नहीं होती. यूनीक आईडी पत्र में वह सब होगा जिसकी ज़रूरत आम नागरिक को अपनी पहचान सिद्ध करने के लिए पड़ती है. उसे ढेर सारे अलग-अलग किस्म के पहचान पत्र लेकर चलने की ज़रूरत नहीं होगी.

2. उपरोक्त सभी आईडी के निर्माण में भ्रष्टाचार व्याप्त है. यूनीक आईडी पहचान पत्रों के निर्माण में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को दूर करने में मदद करेगी, क्योंकि इसका सेंट्रल डेटाबेस होगा और वह भी पूरी तरह कंप्यूटरीकृत होगा जिसमें हेरफेर करना संभव नहीं होगा.

3. एक ही व्यक्ति कई पैन कार्ड और कई ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लेता है ताकि उनका जरूरत के अनुसार दुरुपयोग किया जा सके। यूनीक आई.डी. के साथ ऐसा करना संभव नहीं होगा।

4. सरकारी योजनाओं के अमल में भारी भ्रष्टाचार होता है. अब यूनीक आईडी को इन पर अमल की प्रक्रिया से जोड़ा जाएगा. इन आईडी पत्रों में आपकी आय का ज़िक्र मौजूद होगा. इसलिए नरेगा जैसी योजनाओं में, जिन्हें सिर्फ गरीबों के लिए लाया गया है, गलत लोग नहीं घुस सकेंगे.

5. बैंक खाता खुलवाने से लेकर टेलीफोन कनेक्शन लेने और स्कूल-कालेज में दाखिले से लेकर पासपोर्ट बनवाने तक, नया वाहन खरीदने से लेकर नया घर लेने तक, इनकम टैक्स संबंधी मामलों से लेकर विदेश यात्रा तक, दुर्घटनाओं में मृतकों की पहचान का पता लगाने से लेकर नौकर, किराएदार आदि के वैरीफिकेशन तक, किसी वर्ग विशेष के लिए उपलब्ध योजनाओं (जैसे एस.सी., एस.टी. आदि) के लिए पात्रता का दावा पेश करने से लेकर जन्मतिथि के प्रमाण पत्र के तौर पर, आपके आपराधिक रिकार्ड की निशानदेही करने से लेकर मुआवज़ो की दावेदारी तक यह एक ही पहचान पत्र पेश करना काफी होगा.

6. यह पहचान पत्र आपके बारे में पंद्रह अहम जानकारियां रखेगा और इन जानकारियों की संख्या बढ़ाई भी जा सकेगी। यानी आपके पर्स में एक छोटा सा कार्ड ही सभी जरूरतों के लिए पर्याप्त होगा।

7. सरकारों को देश के आर्थिक मुद्दों, स्वास्थ्य संबंधी मसलों, लिंग भेद से जुड़े विषयों, सरकारी योजनाओं पर अमल संबंधी आंकड़ों, शिक्षा से जुड़ी जानकारियों, धर्म-जाति आदि से जुड़े मुद्दों आदि के अध्ययन में बेहद मदद मिलेगी. सामान्य नागरिक, मीडिया और संगठन भी यूनिक पहचान पत्र प्राधिकरण से संपर्क कर विभिन्न मुद्दों पर देशव्यापी जानकारी पा सकेंगे.

8. दुनिया के एक तिहाई देशों में ऐसे कार्ड मौजूद हैं और उनमें से अधिकांश भारत जैसे देश हैं. खुद पाकिस्तान तक में विशेष कार्ड की योजना पर अमल चल रहा है. कार्ड से विकास नहीं आता लेकिन विकास की प्रक्रिया पर नजर रखने में जरूर मदद मिलती है.

यह तमाम खूबियों के बाद एक सवाल उठता है कि अरबों की लागत वाले इस प्रोजेक्ट की क्या आवश्यकता अभी थी। मालूम हो कि माइक्रोसाफ्ट ने इस परियोजना मे दिलचस्पी दिखाई है।

सवाल यह उठता है कि क्या यह उपयुक्त समय है ऐसी परियोजनाओं मे अरबों बहाने का। जहां रोटी और रोजगार एक बड़ा प्रश्नचिन्ह बन कर खड़ा हो, वहां पहचान संख्या को प्राथमिकता देना क्या श्रेयस्कर है।

मुझे राजेश जी द्वारा कथित वह बात कहना आवश्यक लग रहा है, एक बार झारखंण्ड में एक एन जी ओ के कुछ लोग
शौचालय बनाने पहूंचे, तो गावंवालों ने उन्हें खदेड़ कर भगा दिया। उनका कहना था कि, खाने को दाना नहीं। खाएंगे तब न शौचालय जाएंगे।

हां शायद एक फाएदा तो अवश्य होगा सरकार को,अब विदर्भ और छतीसगढ़ मे आत्महत्या कर रहे किसानों को, जिन्हे
मीडिया-नेता-ब्युरोक्रेट लाबी में कोई जगह नही, उनकी लाशों को एक पहचान सख्यां तो अवश्य मिल जाएगी। ताकी सरकारी
फाइल, माफ़ कीजिएगा सरकारी हार्ड ड्राइव मे यह सेव किया जा सके। उड़ाव गांव मे 29 किसानों ने भूख के कारण आत्मह्त्या
की, उनके UIN हैं……wc234234123, wc234765345, wc234876432 etc..

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