हाथ से निकल गई है कश्मीर की समस्या : गडकरी

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पत्रकार रविन्द्र दाणी की पुस्तक ‘मिशन कश्मीर’ विमोचित

संजय स्वदेश

नागपुर। आज कश्मीर की स्थिति हाथ से निकल चुकी है। चीन ने भी भारत में अतिक्रमण शुरू कर दिया है। इसमें मासूम जनता बेवजह पीस रही है। कुछ दिनों बाद असाम व तिब्बत के हालात भी ऐसे ही हो जाएंगे। यह कहना है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी का। वे कश्मीर समस्या से संबंधित विविध पहलुओं पर पत्रकार रविंद्र दाणी की पुस्तक ‘मिशन कश्मीरÓ के विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे। सिविल लाइन्स स्थित डा. वसंतराव देशपांडे सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में पुस्तक का विमोचन सरसंघचालक मोहन भागवत के हाथों हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षत गंजू हेमटोलाजी ने की। प्रमुख अतिथि के रूप में कश्मीर के पूर्व राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एस.के. सिन्हा उपस्थित थे। गड़करी ने कहा कि भाजपा का अध्यक्ष बनने के बाद मुझे पहली बार कश्मीर जाने का मौका मिला। कश्मीर के जनता के विचार के काफी अलग है। आजकल हमारे देश के सभी निर्णय दिल्ली में होते हैं, वह भी अमेरिकी दवाब में। देश की बाह्य व आंतरिक सुरक्षा पर सवाल खड़ा हो रहा है। उन्होंने कहा कि कहा कि देश को इन बड़ी चुनौतियों से लडऩा है। गडकरी ने पुस्तक पर चर्चा करते हुए कहा कि इसमें कश्मीर के विविध मुद्दों को शामिल किया है। इस किताब को सभी पढ़े। उन्होंने रविंद्र दाणी का अभिनंदन किया।

हर व्यक्ति से जुड़ा है कश्मीर : भागवत

मोहन भागवत ने कहा कि कश्मीर की समस्या देश के प्रत्येक नागरिक से जुड़ी हुई है ना कि किसी पार्टी या किसी व्यक्ति विशेष से। इस पर हर किसी को विचार करना चाहिए। कश्मीर पर कई किताबें लिखी जा चुकी हैं। नागपुर में इसके बारे में कई कार्यक्रम हुए। कश्मीर में 60 साल के सत्य की प्रतिक्षा चल रही है। परंतु परिस्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। यह सवाल देश की एकता अखंडता से जुड़ा हुआ है। कश्मीर भारत का ही एक हिस्सा है, इसे ऐसे ही तो किसी को नहीं दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा व्यवस्था ऐसी हो जिससे हर मासूम अपने गांव में निर्भय से रह सके। पुस्तक के प्रकाशन के अवसर पर कश्मीर के पूर्व राज्यपाल एस. के. सिन्हा ने कश्मीर में हुए विविध युद्धों के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत का एक अटूट अंग है। कश्मीर की समस्या का समाधान कठोर निर्णय से ही संभव है।

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संजय स्‍वदेश
बिहार के गोपालगंज में हथुआ के मूल निवासी। किरोड़ीमल कॉलेज से स्नातकोत्तर। केंद्रीय हिंदी संस्थान के दिल्ली केंद्र से पत्रकारिता एवं अनुवाद में डिप्लोमा। अध्ययन काल से ही स्वतंत्र लेखन के साथ कैरियर की शुरूआत। आकाशवाणी के रिसर्च केंद्र में स्वतंत्र कार्य। अमर उजाला में प्रशिक्षु पत्रकार। दिल्ली से प्रकाशित दैनिक महामेधा से नौकरी। सहारा समय, हिन्दुस्तान, नवभारत टाईम्स के साथ कार्यअनुभव। 2006 में दैनिक भास्कर नागपुर से जुड़े। इन दिनों नागपुर से सच भी और साहस के साथ एक आंदोलन, बौद्धिक आजादी का दावा करने वाले सामाचार पत्र दैनिक १८५७ के मुख्य संवाददाता की भूमिका निभाने के साथ स्थानीय जनअभियानों से जुड़ाव। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के साथ लेखन कार्य।

7 COMMENTS

  1. कश्मीर समस्या नही है। यह एक अवसर है – भारतको फिर से अखंड बनाने का। बढे चलो ।

  2. BILKUL SAHI KAHA HAI HAMARE SATHIYO NE KI AB SAU SUNAR KI NAHI BAS EK LUHAR KI JARURAT HAI,BAHUT HO GAYA BEGUNAHO KE KHOON SE NAHANA ,AUR UNKE KHOON SE KHELNA,AB TO CHETO WARNA WO DIN DOOR NAHI JAB IN AATMAO KI HAI KOSOVA JAISI SAMASYA KE SAMADHAN KE ROOP ME PRAKAT HOGI,AUR JARURAT HAI ATMNIRISHAN AUR TATPARTA KI NIRNAY LENE KI,SOCHNE KI NAHI.

  3. गडकरी कहते हैं:”हाथ से निकल गई है कश्मीर की समस्या।” ????
    कश्मीर समस्याको एक लुहारकी चाहिए, “सौ सुनारकी”से काम नहीं चलेगा, और वोट बॅंक की पंगु नीति तो बिलकुल ही नहीं चलेगी।६० वर्षोंकी ढुल मुल नीतिने हमें इस मोडपर ला दिया है। अब,
    इसे सुलझाने के लिए इंदिरा गांधी चाहिए, आपात्काल चाहिए। भले क्षेत्रीय ही आपत्काल क्यों न हो? और चाहिए एक नेता जो लौह पुरूष हो। किसीसे डरता न हो, निज़ामको नींदमें जगानेवाला चाहिए। क्या कोई है ऐसा भारत मां का लाल ? भारतका इतिहास नया मोड ले सकता है? भूगोल बदल सकता है?

  4. बिलकुल सही कह रहे है. हमारे देश के सभी निर्णय अमेरिकी में तय होते है.
    हमें यह समझना होगा की पाकिस्तान पाक अधिकृत कश्मीर नहीं बल्कि जो हिस्सा हमारे देश में है उसके लिए ही लड़ रहा है क्योंकि वास्तव में पाकिस्तान पाक अधिकृत तो पूरी तरह पाकिस्तान के कब्जे में ही है. अगर सरकार समय पर नहीं चेती तो हो सकता है पूरा हिमालय छेत्र ही चीन का कब्जे में चला जाये. ठीक है आज हमारे सेना सक्षम है, किन्तु चार फूटे भी बहुत तरक्की कर चुके है. हम ताकत में उनसे कितने भी आगे हो किन्तु कुटिलता में वह सबसे आगे है. हमारे देश में एक सही निर्णय लेने में २५ साल लग जाते है.

  5. प्रणाम सरसंघ चालाक श्री मोहन भागवत जी कश्मीर भारत का मुकुट और देश का अभिन्न अंग होने के साथ ही साथ हर भारतीय का एक ऐसा भावनात्मक और क्रियात्मक आन्दोलन है की “मत करो शान्ति की बातें-अब तो बहुत पी चुके आश्वासन ,संभव हो सकता नहीं क्रांति के बिना कभी भी शान्ति का सृजन” देश के अनेकों बेकसूर नागरिकों ने इसके लिए अनेकों बार अपनी जान गंवाई है,किन्तु अनावश्यक दबाव और प्रभाव के कारण इस समस्या को हल करने के बजाय लगातार उलझा कर रखा गया है,फिर भी हर भारतवासी इसके लिए अपनी जान कुर्बान करने तैयार था-है और रहेगा माननीय नितिन गडकरी जी जैसे युवा और कर्मठ राष्ट्रीय नेतृत्व से पूरी उम्मीद है की आपके मार्गदर्शन में इसका समाधान जरुर होगा ..विजय सोनी अधिवक्ता दुर्ग छत्तीसगढ़

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