डॉ. मयंक चतुर्वेदी
भारत ने उड़ी हमले का बदला पाकिस्तान के गुलाम कश्मीर में आतंकी कैंपों पर सर्जिकल स्ट्राइक कर लिया। जैसे ही यह खबर आई और सेना की ओर से इस बात की विधिवत जानकारी दी गई, वैसे ही समुचे देश में जश्न का माहौल हो गया । अपने बेटे को देश पर न्यौछावर कर देने वाली हर उस मां के सीने को ठंडक मिली और शहीद की पत्नि और बहनों से लेकर परिवार के प्रत्येक सदस्य को इस बात की तसल्ली हुई कि चलो, भारतीय सेना ने भी अपने अंदाज में अमेरिका की तरह आतंकवादियों के विरुद्ध सर्जिकल स्ट्राइक रातोरात पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर की है ।
जब से भारतीय सेना ने यह कार्य किया, तब से हर देशभक्त भारतीय सीना फुलाए घूम रहे हैं, यह जानते हुए कि प्रतिक्रिया स्वरूप पाकिस्तान अपने स्वभाव के अनुरूप चुप बैठने वाला नहीं, कुछ न कुछ ऐसा करना चाहेगा जिससे कि भारत का अधिकतम नुकसान हो सके। पाकिस्तान तो जो करेगा सो ठीक है, उससे निपट लेंगे। निपट भी रहे हैं, जैसे उड़ी के बाद फिर एक बार आतंकवादियों ने बारामुला में 46-राष्ट्रीय राइफल्स और बीएसएफ के कैंप पर आत्मघाती हमला बोला, जिसे कि विफल करने में सेना कामयाब रही। किंतु स्तुति की चाशनी में शब्दों को ढालकर कोई इस बात के साक्ष्य मांगे कि सर्जिकल स्ट्राइक हुई भी है अथवा नहीं ? वह भी देश के राजधानी केंद्र का मुख्यमंत्री ऐसा कहे तो जरूर सभी को विचार करना चाहिए। आखिर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ऐसी भाषा बोल भी कैसे सकते हैं ? वस्तुत: दुनिया में शायद ही कोई ऐसा देश होगा जहां अपने देश की सेना पर भारत की तरह संदेह व्यक्त करने वाले लोगों का जमघट होता हो।
वैसे तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का हाल ही में आया वीडियो देखने पर एक साधारण आदमी को यही लगेगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वे जमकर तारीफ कर रहे हैं। लेकिन जब आप गहराई से उनके शब्दों को पकड़ने का प्रयत्न करेंगे तब समझ आएगा कि किस तरह वे अपनी ही सेना को कटघरे में खड़ा करने का प्रयत्न कर रहे हैं। जब देश के प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय सेना के इस साहस भरे कदम पर केजरीवाल उन्हें सलाम ही करना चाहते थे तो क्यों वे संयुक्त राष्ट्र के बयान और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में आ रही खबरों की बात करने लगे, जिनमें सर्जिकल स्ट्राइक के भारतीय दावे पर संदेह जताया जा रहा है ?
पहली बात तो इसमें केजरीवाल को यह समझना चाहिए कि पाकिस्तान जिस जगह विदेशी मीडिया को लेकर सीमान्त इलाकों में जा रहा है तो क्या वह उसी जगह उन्हें लेकर जा रहा होगा, जहां भारतीय सेना ने आतंकवादी कैंप नष्ट किए और कई आतंकियों को मार गिराया था। क्या इतने दिनों में पाकिस्तान ने उन तमाम सबूतों को नष्ट करने का प्रयत्न नहीं किया होगा, जिनसे यह लगता हो कि भारत की सैन्य कार्रवाही के साक्ष्य स्पष्ट होते हैं। प्रश्न यहां सीधा है पाकिस्तान के कहे अनुसार जब भारत ने कुछ किया ही नहीं, तब पाकिस्तान इतना घबराया हुआ क्यों है ? पाकिस्तान में इन दिनों युद्ध जैसे हालात क्यों पैदा हो गए हैं। यहां प्रधानमंत्री नवाज शरीफ आपात बैठक क्यों बुला रहे हैं। राजनीतिक पार्टियों के साथ यहां पनप रहे आतंकवादी संगठनों के मुखिया भारत को देखलेने की धमकी किस आधार पर दे रहे हैं। पाक का पूरा मीडिया जोर-जोर से सर्जिकल स्ट्राइक-सर्जिकल स्ट्राइक चिल्ला रहा है। इन सब संकेतों को फिर क्या माना जाए ?
अरविंद केजरीवाल इतना सब होने के बाद भी यदि वीडियो में पीएम की तारीफ करने के साथ यह कहते हैं कि “दो दिन पहले संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने बयान दिया है कि सीमा पर इस तरह की कोई हरकत नहीं देखी गई। कल सीएनएन में रिपोर्ट चली। बीबीसी, न्यूयॉर्क टाइम्स वालों की भी खबर चल रही थी…। इनमें दिखाया जा रहा था कि वहां तो कुछ नहीं हुआ। वहां बच्चे खेल रहे हैं, जिंदगी सामान्य चल रही है। गोला-बारी जैसा कोई सुबूत ही नहीं है।”…आखिर यह सभी बातें कहने के पीछे केजरीवाल का मंतव्य क्या समझें ? केजरीवाल जब पीएम की तारीफ करने के साथ धीरे से बोलते हैं “जैसे प्रधानमंत्रीजी ने और सेना ने मिलकर जमीन पर पाकिस्तान को मजा चखाया है, वैसे ही पाकिस्तान जो झूठा प्रोपगंडा कर रहा है, उसको भी बेनकाब करें” तो यहां उनसे सीधे यह जरूर पूछा जाना चाहिए कि इसमें बेनकाब करने जैसी बात क्या रह गई है, जबकि सेना इस सर्जिकल स्ट्राइक की पहले ही पुष्टि कर चुकी है। भारत की ओर से यह कदम उठाने के बाद कई प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्षों को इसके बारे में अवगत करा दिया गया था।
वास्तव में केजरीवाल यह क्यों भूल जाते हैं कि भारत ने जब-जब परमाणु विस्फोट करे, फिर वो कांग्रेस शासन श्रीमती इंदिरा गांधी का रहा हो या एनडीएनीत भाजपा अटलबिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में प्रधानमंत्रित्व काल हो, हर बार हुए परमाणु विस्फोटों की जानकारी कोई भी विदेशी मीडिया नहीं लगा पाई थी। वह भारत के खुफिया कार्यों को लेकर पहले भी कभी सच का पता नहीं लगा पाईं और न अब । आगे भी उम्मीद यही की जाए कि ये विदेशी खुफिया एजेंसिया कभी भारत के गोपनीय मिशन का पता नहीं लगा पाए, यही भारत के हित में भी है।
वास्तव में केजरीवाल के इस बयान को गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने “राजनीतिक” करार देते हुए उनकी सही आलोचना की है। रिजिजू को बाकायदा ट्वीट कर कहना पड़ा कि “यह राजनीति करने का समय नहीं है। भारतीय सेना पर विश्वास कीजिए।” केजरीवाल ये समझें कि भारत के प्रधानमंत्री को किसी को सबूत दिखाने की जरूरत नहीं है, सेना अपना कार्य बखूबी कर रही है। सेना ने जो कहा, भारत के सवासौ करोड़ देशवासियों को उसके कहे पर भरोसा है। साक्ष्य हमें नहीं दिखाने हैं। यह तो पाकिस्तान का काम है कि वह भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के सबूतों को नष्ट करता रहे, नहीं तो यह सिद्ध होने में देरी नहीं लगेगी कि पाकिस्तान भारत की अनाधिकृत रूप से हड़पी जमीन पर आतंक की फसल लहरा रहा है, उसे काट रहा है, फिर से खाली होती जमीन पर ऐसे जहरीले बीज बो रहा है।