खादी ,गांधी और मोदी


मृत्युंजय दीक्षित
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आजकल भाजपा व संघविरोधी मानसिकता वाले राजनैतिक दलों व मोदी विरोधियों के पास बहस के लिए कोई विषय नहीं रह गया है यही कारण है कि वह आजकल खाली समय के विषयांे पर ही बहस करते हुए और उन्हीं मुददों के सहारे केंद्र की भाजपा सरकार व पीएम मोदी की आलोचना करने का बहाना खोजते रहते हैं। वैसे तो जब से केंद्र में भाजपा सरकार का गठन हुआ है विपक्ष हर बात पर किसी न किसी बहाने मोदी सरकार को अपमानित करने व उसका ताना- बाना ध्वस्त करने का प्रयास करता रहता है और इस बार यह मौका दे दिया है खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के कैलेंडर और डायरी ने। जब से केवीआईसी ने अपना वर्ष- 2017 का नया कैंलेंडर और डायरी जारी किया है और उसमें पीएम मोदी को खादी के वस्त्र पहनकर चरखें में सूत कातते हुए दिखाया हैं उसके बाद चुनावी सीजन में हंगामा तो बरपना ही था। चरखे में सूत कातते हुए पीएम मोदी का चित्र देखकर यदि सबसे पहला दर्द किसी को हुआ तो वह गांधी जी के पोते तुषार गांधी को । फिर क्या था उनका बयान सोशल मीडिया के माध्यम से होता हुआ पूरी मीडिया व राजनीति में छा गया। पहले तो इसे बकवास समझा गया लेकिन जब बात बहुत बढ़ गयी तो फिर इस विषय की गहराई मंे जाना अनिवार्य भी हो गया। तुषार गांधी के बयान के बाद देश के सभी टी वी चैनलों में इस पर बहस भी शुरू हो गयी तथा सोशल मीडिया व टिवटर पर भी मोदी समर्थकों व विरोधियों ने जमकर हल्ला बोल दिया है।
इस प्रकरण में सबसे बड़ा तथ्य यह है कि अभी तक देश के बहुत कम जनमानस को ही यह पता चल पाता था कि क्या इस प्रकार का कोई कैंलेंडर या डायरी भी प्रकाशित होती है। कम से कम पीएम मोदी का सूत कातते हुए चित्र के छप जाने से ही कैंलेडर व डायरी कितने महान हो गये कि उन पर देशव्यापी बहस छिड़ गयी कि सरकार ने सही किया या गलत या फिर इस प्रकार कि हरकतों से भाजपा के चुनाव पर क्या असर पड़ेगा ? आजकल सच्चाई यह हैं कि किसी भी उत्पाद को हाइलाइट करना हो तो उसे ऐसा रंग दे दिया जाये कि विरोधी व समर्थक दोनों ही उस उत्पाद को खरीदने के लिए विवश हो तथा बहस भी करंे। मजबूत लोकतंत्र का तकाजा भी है कि नये से नये व उबाऊ से उबाऊ विषयों पर गर्मागर्म तार्किक बहसें हो। संसद में तो बहस होती नहीं लेकिन आज इतने प्लेटफार्म उपलब्ध हैं कि उन पर तार्किक व आनंद देने वाली बहसें बड़े आराम से की जा सकती हैं।
ज्ञातव्य है कि खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के 2017 के कैंलेडर और डायरी में से महात्मा गांधी की तस्वीर को हटा दिया गया है। अब महात्मा गांधी के स्थान पर पीएम मोदी की तस्वीर ने ले ली है। अब इसमें पीएम मोदी ठीक वैसे ही चरखा चलाते नजर आ रहे हैं जैसे महात्मा गांधी चलाया करते थे। इस चित्र में पीएम मोदी ने कुर्ता, पायजामा, जैकेट में थोड़े माडर्न चरखे पर सूत कातते हुए दिखाई दे रहे हैं। जब इस पर मीडिया में विवाद सामने आने लगा तब आयोग की ओर से सफाई आ गयी कि ऐसा कोई आवश्यक नियम नहीं हैं कि इन पर गांधी जी का ही चित्र हमेशा लगाया जायेगा। केवीआईसी का स्पष्ट कहना है कि इस पर विवाद गैरजरूरी है। वर्ष 1996, 2002,2005,2011,2013और 2016 में भी इन कैंलेंडरांे व डायरी में गांधीजी का चित्र नहीं था। खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के चेयरमैन का कहना है कि गांधीजी हमारी आत्मा हैं तथा हम सभी आज भी उनको जीते हैं। वहीं पीएम मोदी आज के आॅइकान हैं , युवाओं में लोकप्रिय व एक बेहतर ब्रांड भी हैं। यह भी बताया गया कि गांधी जी की शिक्षा को भी पूरी तरह से हटा दिया गया हैं ।
टी वी चैनलों पर इस विषय को लेकर खूब बहसें हुई । सरकारी पक्ष से लोगों ने जोर देकर कहाकि पीएम मोदी सदा से ही महात्मा गांधी को अपनी जीवनशैली में उतार रहे हैं यह उनके कर्मो में भी दिखलायी पड़ रहा है जबकि वास्तकिता यह है कि महात्मा गांधी का सबसे अधिक अपमान वर्तमान गांधी परिवार ने ही किया है। इस बहस में नया मोड़ तब आया जब हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने यह जोरदार बयान दिया कि गांधी जी की छवि से खादी को कोई लाभ नहीं हुआ है व गांधी की तस्वीर लगाये जाने से मुद्रा का भी अवमूल्यन हो गया है उन्होनें यहां तक कह दिया कि धीरे- धीरे नोटों पर भी गांधीजी गायब हो जायेंगे।इसके बाद राहुल गांधी का भी बयान आ गयाकि हिटलर और मुसोलिनी भी दमदार ब्रांड थे। जबकि केजरीवाल ने कहाकि कोई गांधी जी की तरह सूत कातते हुए दिखाने मात्र से गांधी नहीं हो सकता। विरोधी दलों ने इस हरकत को महापाप बताया है। कांग्रेसी प्रवक्ताआंे ने तो खूब जमकर भड़ास निकाली और गोडसे से लेकर अब तक उनकी नजर में जितने भी पाप किये हें वह उनको छिपाने व पश्चाताप करने का एक नाकाम प्रयास है।
विपक्ष ने इस बहस के दौरान भी जनमानस को खूब ठगने व झूठ बोलने का प्रयास किया है। जबकि वास्तविकता यह है कि गांधी का अपमान सबसे अधिक तब से लेकर अब तक कांग्रेसियों ने ही किया है। गांधी जी की हिंद स्वराज पुस्तक को कूड़ेदान में फेंकने की बात नेहररूजी ने ही की थी। जब केंद्र में स्व राजीव गांधी पीएम पद पर विराजमान थे महात्मा गांधी तभी सरकारी चिन्हों व स्मारकों तथा शिलापटटांे से गायब हो चुके थे। हर जगह केवल एक ही गांधी का बोलबाला होता था। विगत 70 वर्षों के इतिहास में आजतक कांग्रेसी शासनकाल में कभी भी महात्मा गांधी को भारतरत्न देने का प्रयास नहीं किया गया। यह बात भी बिलकुल सही है कि विगत 70 वर्षों में खादी व उसके वस्त्रों का जितना अवमूल्यन हुआ उतना कभी नहीं हुआ। वहीं इसके विपरीत जब से पीएम मोदी ने देश की कमान संभाली है उनका हर काम गांधी जी को ही समर्पित होता हैं।
चाहे वह योग हो या फिर स्वच्छता का मिशन। टिवट्र पर आजकल एक बात की बहुत चर्चा हो रही है कि पीएम मोदी कब- कब गांधी की भूमिका में नजर आये। अभी विगत वर्ष ही पीएम मोदी ने अपनी दक्षिण अफ्रीका की यात्रा के दौरान उस ट्रेन में भी बैठे थे जिस पर गांधी जी को उतार दिया गया था तथा उनका अपमान किया गया था। यह पीएम मोदी का ही अभिनव प्रयास है कि आज हर कोई 2 अक्टूबर के दिन उनकी अपील पर खादी का कोई न कोई वस्त्र जरूर खरीदता है। वर्तमान समय में जो गांधी परिवार आज की तारीख में पीएम मोदी पर हमलावर हो रहा है उसमें कोई भी सदस्य खादी नहीं धारण करता हैं । वहीं दूसरी ओर यह कड़वी सच्चाई है कि जिस बोर्ड को लेकर तुषार गांधी आज आंसू बहा रहे हैं यह तब नहीं बोले जब कांग्रेस के शासनकाल मेें बोर्ड के कर्मचारियों को वेतन के भी लाले पड़ गये थे। पीएम मोदी हर वर्ष दो अक्टूबर व विशेष अवसरों पर खादी के वस्त्रों को खरीदनेे की अपील टिवट्र के माध्यम से करते हैं और लोग खादी के कपड़े खरीदने के लिए भारी संख्या में दुकानों में पहुंच जाते हैं। यह पीएम की ब्रांडिंग का ही कमाल है कि खादी ग्रामोद्योग बोर्ड खादी आज लाभ की स्थिति में पहंुच गया है । इस विवाद के बाद तो अब केवीआइसी के कैलेंडर और डायरी के खरीददार भी बढ़ जायेंगे तथा इनकी संख्या कम पड़ जाये तो आश्चर्य नहीं होना चाहिये।
आज सभी लोग पीएम मोदी के नये अवतार पर आंसू बहा रहे हैं तथा बोर्ड को भंग करने सहित विज जेसे लेागों पर कार्यवाही करने के साथ ही देशद्रोह का मुकदमा करने की बात कह रहे हैं लेकिन इन्हीं लोगों ने आजतक जो अमेजन कम्पनी बापू के तस्वीर वाली चप्पलंे बेंच रही हैं तथा देश के तिरंगे का अपने उत्पादों में प्रयोग करकेे लगातार अपमान कर रही है उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग नहीं की है। आज देश का विपक्ष दोमुंहा तथा उसके पास कोई विषय बहस के लिये नहीे बचा है। यह बात भी अक्षरशः सत्य है कि आजादी के बाद देश का पीएम बनने के लिए नेहरूजी ने गांधी जी की कोई बात नहीं मानी और उन्हें किनारे का रास्ता दिखा दिया था। यह गांधी जी ही थे जिन्होनें सबसे पहले कहा था कि कांग्रेस का गठन जिन उददेश्यों के लिये किया गया था वह अब पूरा हो चुका है अतः कांग्रेस को भंग कर देना चाहिये अब पीएम मोदी ही गांधी जी के अंतिम सपने को पूरा करेेंगे।

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