बिहार ने ऐसी ”बहार” तो न मांगी थी ”नीतीश कुमार” !

sangh mukt bharat

याद है न वो गीत जो नीतीश कुमार को बिहार विधानसभा चुनाव में घर घर तक पहुंचाने के लिए तैयार किया गया था। ”बिहार में बहार हो, नीतीशे कुमार हो।” पर, मौजूदा स्थितियों को देखकर वो बहार खून से लथपथ नजर आ रही है। लोग डरे हुए, सहमे हुए दिखाई दे रहे हैं। क्योंकि बिहार में सत्ता खुद को इतना मजबूत मानने लगी है कि महज गाड़ी को ओवरटेक करने में दी जाने वाली सजा ”मौत” है। शायद रॉकी यादव सूबे की सत्ता से खुद के मजबूत संबंधों को दर्शाना चाहता था। जिस वजह से उसने मद में डूबकर एक मासूम की हत्या कर दी। आज लोग भयभीत हैं बहार से। जुबानों पर सवाल है कि क्या यही बहार है, अगर हां तो नहीं चाहिए ऐसी बहार। जबकि लोगों ने जिन नीतीश कुमार पर विश्वास कर मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी, वे तो पलायन की संभावनाओं को तलाश रहे हैं।

अपनों ने ही डुबो दी नीतीश की लुटिया !

20 नवंबर 2015, जब नीतीश कुमार ने पांचवी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। लेकिन लोगों के जहन में उस वक्त सवाल ये था कि लालू और नीतीश या फिर कहा जाए आरजेडी और जेडीयू का गठबंधन जंगलराज रिटर्न्स वाली स्थिति तो नहीं पैदा कर देगा। हालांकि यह सवाल महज जनता के सिरे से नहीं बल्कि इन दोनों पार्टियों से पटरी न खाने वाले विरोधियों की ओर से भी उठे। लेकिन इन सवालों ने हकीकत का जामा पहन लिया। दरभंगा में दो अभियंताओं की हत्या कर दी गई। 2015 दिसंबर माह के आखिरी हफ्ते में लालू यादव ने पटना स्थित अपनी पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबडी देवी के सरकारी आवास पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि इस प्रदेश से दंगाई, बलवाई और फासिस्ट लोगों को हम लोगों ने भगा दिया है और अब अपराधियों की बारी है। बिहार की जनता ने जो इतना विशाल जनादेश दिया है, यहां की जनता को जो डराएगा या धमकाएगा उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन रॉकी यादव वाले मामले से तो यही लग रहा है कि जनता को डराने वाले उनके अपने ही लोग हैं।

बढ़ता अपराध, डरता ”बिहार”

बिहार में सरकार बनने के दो महीने बाद ही हत्याओं का आंकड़ा 578 के इर्द गिर्द था। लेकिन अब सरकार के छह माह पूरे होने पर इसमें बेहद तेजी से बढ़त हुई है। आपको बताते चलें कि बिहार में जनता दल यूनाईटेड और आर जे डी गठबंधन की सरकार बनने के बाद कई भाजपा नेताओं की हत्याएं हुईं। जिसमें एक भाजपा और केंद्र में एनडीए सरकार की सहयोगी पार्टी लोजपा के नेता बृजनाथी सिंह भी हैं। बिहार के दरभंगा में दो इंजीनियरों की हत्या फिर बिहार के वैशाली में एक और इंजीनियर की हत्या, जिसके बाद मालदा की घटना से बिहार में हुई आगजनी, अब खुलेआम गया में जेडीयू एमएलसी के बेटे रॉकी यादव द्वारा छात्र आदित्य को महज इसलिए गोली मार दी गई क्योंकि उसने नेता के पुत्र की गाड़ी को ओवरटेक करने की कोशिश की। इन तमाम किस्सों से जूझता बिहार वास्तव में दहशत में जी रहा है। लोगों का कहना है कि जंगलराज वापस आ गया है, वही दौर आंखों के सामने घूम रहा है जब लोग बिहार जाने में डरते थे।

बिहार में उड़ रहीं कानून की धज्जियां, नीतीश तलाश रहे सियासी मौका !

वहीं बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जोर देकर कहा है कि आरोपी कानून के लंबे हाथ से नहीं बच सकता। इस हत्याकांड के विरोध में राजग और व्यावसायिक, सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने सोमवार (9 मई) को गया बंद कराया। शहर में बंद का असर दिखा। यहां की दुकानें और अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे। पर, लोगों ने नीतीश कुमार की नीतियों पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। बिहार के ही स्थानीय लोगों का मानना है कि नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिहाज से तैयारियों में जुटे हैं। जबकि बिहार बद्तर हालत से गुजर रहा है। पहले नीतीश अपने राज्य को ही बेहतर ढ़ंग से संभाल लें। तब दूसरी ओर देखना भी उचित होगा।

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