छुट्टी का आवेदन‌

girlमां की तबियत बहुत खराब|

बापू को हो रहे जुलाब|

इसीलिये तो हे शिक्षकजी,

मैं शाला न आ पाऊंगी|

 

मुझे पड़ेगा आज बनाना|

अम्मा बापू,सबका खाना|

सुबह सुबह ही चाय बनाई|

घर के लोगों को पिलवाई|

जरा देर में वैद्यराज के,

घर बापू को ले जाऊंगी|

इसीलिये तो हे शिक्षकजी,

मैं शाला न आ पाऊंगी|

 

दादा की सुध लेना होगी|

उन्हें दवाई देना होगी|

दादीजी भी हैं लाचार|

उन्हें बहुत करती मैं प्यार|

अभी नहानी में ले जाकर,

उन्हें ठीक से नहलाऊंगी

इसीलिये तो हे शिक्षकजी,

मैं शाला न आ पाऊंगी|

 

छोटा भाई बड़ा शैतान|

दिन भर करता खींचातान|

कापी फेक किताबें फाड़|

रोज बनाता तिल का ताड़|

बड़े प्रेम से धीरे धीरे,

आज उसे मैं समझाऊंगी|

इसीलिये तो हे शिक्षकजी,

मैं शाला न आ पाऊंगी|

 

मुझे आज की छुट्टी देना|

शिक्षकजी गुस्सा मत होना|

गृह का कार्य शीघ्र कर लूंगी|

पाठ आज का कल पढ़ लूंगी|

गृहस्थी का सब काम पड़ा है ,

आज नहीं पढ़ लिख पाऊंगी|

इसीलिये तो हे शिक्षकजी,

मैं शाला न आ पाऊंगी|

 

Previous articleआजकल ज़िंदगी का भरोसा नहीं….
Next articleलोक रंगों का महामेला – बेणेश्वर
प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here