भ्रष्टाचार पर उपदेश देती महाभ्रष्टों की टोली

2
151

निर्मल रानी

भारतीय संसद के इतिहास में पहली बार ऐसी शर्मनाक घटना घटी कि संसद का सत्रह दिवसीय पूरा का पूरा शीतकालीन सत्र शोर-शराबे व हंगामे की भेंट चढ़ गया। कारण था 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराए जाने की मांग पर विपक्ष विशेषकर भारतीय जनता पार्टी का अड़े रहना। विपक्ष के इस गैर जि़म्मेदाराना व्यवहार के चलते देश का सैकड़ों करोड़ रुपया पानी में बह गया। उधर सत्तारुढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार भी इस बात पर अड़ी रही कि वह संयुक्त संसदीय समिति से किसी भी कीमत पर स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच नहीं कराएगी। इसमें कोई शक नहीं कि स्पेकट्रम घोटाला देश के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस घोटाले में एक लाख चालीस हज़ार करोड़ से लेकर एक लाख 74 हजाऱ करोड़ रुपये तक का सरकारी नुकसान कर शीर्ष नेताओं व अधिकारियों तथा कारपोरेट जगत के लोगों व शीर्ष स्तर के सत्ता के दलालों के मध्य बंदरबांट की गई है।

इसमें कोई शक नहीं कि इस घोटाले अथवा इस जैसे या इससे छोटे तमाम घोटालों का ईमानदारी से न सिर्फ पर्दाफाश होना चाहिए बल्कि इनमें संलिप्त सभी व्यक्तियों को चाहे वे जितनी ऊंची हैसियत या पहुंच क्यों न रखते हों, सभी को सलाखों के पीछे जाना चाहिए। भारत वर्ष में जहां एक ओर गरीब किसान अपना कर्ज़ अदा न हो पाने के चलते आत्महत्या तक कर रहे हों ऐसे कृषि प्रधान देश में सत्ता के शीर्ष पर बैठे महाघोटालेबाज़ों को तो ऐसी सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए जिससे कि भविष्य में अन्य भ्रष्टाचारियों की भी घपला व घोटाला करने की हिम्मत न पड़ सके। परंतु स्वतंत्र भारत का अब तक का इतिहास तो हमें कम से कम यही बता रहा है कि देश का कोई भी शीर्ष नेता या अधिकारी आज देश की किसी भी जेल की सलाखों के पीछे नहीं देखा जा सकता। आखिर इसकी वजह क्या है? क्या देश में अब तक कोई घोटाले नहीं हुए? या इन तमाम घोटालों में जिन लोगों के नाम प्रारंभिक जांच-पड़ताल में उजागर हुए उनके विरुद्ध उन्हें बदनाम करने की सुनियोजित साजि़श रची गई? या फिर उनके लंबे हाथ ऊंची पहुंच, सत्ता के गलियारों में चारों ओर फैले उनके संबंध अर्थात् ‘चोर-चोर मौसेर भाई’ की कहावत को चरितार्थ करते हुए यह रिश्ते उन्हें बचाने में पूरी तरह सफल रहे? जो भी हो नतीजा यही है कि आज कोई भी बड़ा नेता या अधिकारी भ्रष्टाचार या घोटाले के मुजरिम के रूप में जेल में सज़ा काटता नज़र नहीं आ रहा है।

पिछले दिनों दिल्ली के बुराड़ी क्षेत्र में कांग्रेस का 83 वां अधिवेशन संपन्न हुआ। इस अधिवेशन में भी कांग्रेस को संगठित व मज़बूत करने के बजाए सबसे अधिक चर्चा भ्रष्टाचार को लेकर ही रही। देश के इतिहास में पहली बार यह सुनने को मिला कि देश का कोई प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने वाली किसी समिति के समक्ष पेश होने को तैयार हैं। गौरतलब है कि 2 जी स्पेक्ट्रम तथा राष्ट्रमंडल खेल में हुए भारी-भरकम घपलों की जांच कर रही लोक लेखा समिति(पीएसी) के समक्ष प्रस्तुत होने की बात प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने संबोधन में पूरे देश से आए कांग्रेस प्रतिनिधियों के समक्ष की है। यहां यह भी काबिलेगौर है कि इस लोक लेखा समिति के अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी हैं। प्रधानमंत्री ने उक्त समिति के समक्ष न केवल स्वयं को पेश करने की बात कही बल्कि यह भी कहा है कि किसी भी दल का कोई भी बड़े से बड़ा ता$कतवर नेता या अधिकारी जो भी दोषी होगा उसे किसी भी $कीमत पर बख़्शा नहीं जाएगा। प्रधानमंत्री ने यह तक कह दिया कि सार्वजनिक जीवन में मेरे पास छुपाने के लिए कुछ भी नहीं है तथा पीएसी के अध्यक्ष को मैं अपनी ईमानदारी को प्रमाणित करने के लिए पत्र लिखने जा रहा हूं। परंतु प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस आश्वासन व संबोधन के बावजूद भारतीय जनता पार्टी अभी भी जेपीसी गठित करने की अपनी मांग पर ही अड़ी हुई है।

ऐसे में यह प्रश्र ज़रूर उठता है कि सत्रह दिनों तक संसद की कार्रवाई को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बाधित रखने वाली भारतीय जनता पार्टी का भ्रष्टाचार जैसे विषय को लेकर स्वयं अपना चरित्र का क्या है तथा भ्रष्टाचार के विरुद्ध उसे इस प्रकार मुखरित होने तथा क्या भाजपा को लोकतंत्र के नाम पर संसद की कार्रवाई न चलने देने के परिणामस्वरूप सैकड़ों करोड़ रुपये की जनता की खून-पसीने की गाढ़ी कमाई को पानी में बहाने का अधिकर प्राप्त है? एक सवाल यह भी है कि भारतीय जनता पार्टी वास्तव में भ्रष्टाचार या घोटालों की गंभीरता से जांच कराए जाने तथा दोषियों को कड़ी सज़ा दिलाए जाने के कारण इस प्रकार के हंगामे पर उतारू है या फिर वह बोफोर्स दलाली कांड की ही तरह एक बार फिर मात्र शोर-शराबे में उलझाकर कांग्रेस को जनता के बीच बदनाम व अपमानित करने के उद्देश्य के तहत यह सब खेल खेल रही है। लगता है कि भाजपा का मक़सद भ्रष्टाचार या भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसना या इन्हें सज़ा दिलाना नहीं बल्कि कांग्रेस को बदनाम कर उससे सत्ता छीनना मात्र है। ऐसे में भ्रष्टाचार के विषय पर स्वयं भाजपा के नेताओं के अपने चरित्र को भी मद्देनज़र रखना ज़रूरी है। यदि हम 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की ही बात ले लें तो माननीय उच्चतम् न्यायालय ने अपने ताज़ातरीन निर्देश में इस घोटाले की जांच केवल संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के शासन काल के समय से ही नहीं बल्कि इससे भी पहले सन् 2001 से कराए जाने की ज़रूरत महसूस की है। गोया राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उस शासन काल के समय से जबकि माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी देश के प्रधानमंत्री थे तथा स्वयं को वाजपेयी का हनुमान बताने वाले स्वर्गीय प्रमोद महाजन उस समय देश के संचार मंत्री थे। यदि उच्चतम् न्यायालय का संदेह सही साबित हुआ तो यह भी प्रमाणित हो जाएगा कि 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले जैसे देश के अब तक के सबसे बड़े घोटाले की बुनियाद में भ्रष्टाचार की पहली ईंट भाजपा के शासनकाल में भाजपा के ही नेताओं द्वारा रखी गई थी। परंतु इस विषय पर जब तक पी ए सी की जांच पूरी न हो जाए तथा उच्चतम् न्यायालय अपना निर्णय न दे दे तब तक किसी निर्णय पर पहुंचना या किसी पर बेवजह मात्र संदेह के आधार पर लांछन लगाना जल्दबाज़ी होगी।

रहा सवाल भाजपा नेताओं द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध इस कद्र हाय-तौबा करने का तो यहां इस पार्टी का एक बार फिर वही पुराना परिचय देना ज़रूरी है जिसकी काली छाया भाजपा का कभी पीछा नहीं छोड़ सकेगी। जहां तक मुझे याद है कि शायद ही देश के किसी भी राष्ट्रीय राजनैतिक दल का कोई भी राष्ट्रीय अध्यक्ष कभी भी नोटों के बंडल को रिश्वत के रूप में स्वीकार करते हुए कैमरे के समक्ष रंगे हाथों पकड़ा गया हो। हां भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे बंगारू लक्ष्मण इस बात के अपवाद ज़रूर हैं। इसी प्रकार किसी भी केंद्रीय मंत्री को कैमरे पर रिश्वत लेते नहीं देखा गया। परंतु भाजपा नेता तथा राजग सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे दिलीप सिंह जूदेव को रिश्वत की र$कम हाथों में लेते हुए सारे देश ने टी वी के माध्यम से देखा। संसद में प्रश्र पूछने के बदले पैसा लेने वाले सांसदों में हालांकि कई पार्टियों के सांसद शामिल थे। परंतु सबसे अधिक संख्या भाजपा सांसदों की ही थी। कर्नाटक की भाजपा सरकार में उजागर हो रहे भ्रष्टाचार के मुद्दे अपनी जगह पर हैं। ऐसे में यह समझने में ज्य़ादा दिक्क़़त नहीं होनी चाहिए कि आज भ्रष्टाचार के मुद्दे पर संसद को न चलने देने वाले लोग कोई ईमानदार या सा$फ सुथरी छवि वाले नेता नहीं बल्कि स्वयं महाभ्रष्ट नेताओं की टोली के ही वे सदस्य हैं जो देश में राजनैतिक अस्थिरता लाना चाह रहे हैं। उनकी नज़रें भ्रष्टाचार के मुद्दे पर इतनी नहीं है जितनी कि इस बात पर कि वे बोफोर्स कांड के राजनैतिक उथलपुथल वाले घटनाक्रम से प्रेरणा लेते हुए भ्रष्टाचार का कीचड़ कांग्रेस के मुंह पर पोत कर देश में पुन: वही हालात पैदा कर दें जो 1987 में बो$फोर्स दलाली कांड के शोर-शराबे के बाद पैदा हुए थे।

परंतु 1987 तथा 2010 के मध्य के अंतर ने देश की जनता को भी बहुत कुछ सोचने-समझने तथा सीखने का मौका दिया है। अब भारतीय जनता भेड़चाल वाली जनता कहे जाने लायक़ नहीं रही। जनता प्रत्येक दल के उन सभी चेहरों से भलीभांति परिचित है जो सार्वजनिक रूप से मुद्दे तो कुछ और उठाते हैं पर उनकी नज़रें कहीं ओर होती हैं। जैसे कि 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले को लेकर देखा जा सकता है। यानी बात जेपीसी के द्वारा 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की की जा रही है परंतु नज़रें राजनीति में अस्थिरता पैदा कर मध्यावधि चुनाव की ओर देश को धकेलने तथा कांग्रेस से सत्ता छीनने पर लगी हुई है।

2 COMMENTS

  1. काफी समय से भ्रटाचार , नकली नोट ,काला धन ,बेईमानी व आतंकबादी धटनाओ काफी सुन रहा हू | मेरा विचार है क़ी यदि देश मे नोटों के चलन का तरीका बदल दिया जाये अर्थात सभी व्यक्ति के बैंक मे खाते रहेगे | लेंन देन एक मशीन द्वारा किया जाये तो संपूर्ण भारत क़ी अनंत बुरा ईयो को मिटाया जा सकता है |
    मेने इस विषय पर एक प्रोजेक्ट तेयार किया है जिसका नाम Brijeconomics रखा है |
    इस सिस्टम मे व्यक्ति को खाता न. व पासवर्ड याद नही रखना होगा |काफी सरल तरीका है |
    विस्तार से जानने के लिए कांटेक्ट करे
    phone no 07793 270468
    mob no. 09300858200
    madan
    madanbrijpuria59@gmail.com

    Respected to all who are really interested to remove corruption

    I’ve excellent idea, from which 100% terrorism, corruption like bad
    happenings will be removed. Also the World Bank loan, will be removed.
    This idea will not require any detective cameras (CCTVs), will not
    made hard and strict rules, also did not the public support. By not
    doing such things, the following advantage will be there:-
    1. It will remove terrorism, corruption, black money, stealing of tax,
    etc. the population will live the peaceful life.it means “om shanti-om
    shanti ”
    2. It will automatically return us the black money collected in other
    countries .
    3. In this idea, 1/- Re. equal to above 100$ .
    4. It will make us at the top & at the top means top from China and
    America & 100 times top. It means “India is sone ki chidhiya”
    5. World companies could not come in the India but the Indian
    companies will do the business in the world.
    6. As more surprising that the petroleum gas cylinder will costs for
    Rs.50/- & petrol for pay only 5/- per liter.
    7.At present Income tax @ 30%, will be reduced to 0.5% (1/2%).
    & other revenue from taxes will be removed.
    Really this idea is more surprising & excellent. This idea is possible
    by the God’s blessing.
    I’m trying to tell my idea from before 5 years to make possible.

    I want your important & valuable time to get to me When u got
    satisfied with this idea,pl. contact to me on phone or mobile. I’ve
    given this idea a name i.e., “Brij-economics”. This idea have the
    “currency mode to shift to banking (ATM).” I’ve made this project
    fully. In this the poor people & the uneducated person will not have
    to learn any password & this idea is fully errorless.
    I’m trusting you all & I think that after reading this letter u will
    definitely contact to me & give me the support.

  2. लेखिका को १ लाख के नोट लेते बंगारू दिखाई देते है लेकी खरबों रुपयों के घोटाले करने वाले रजा,कलमाड़ी,शरद पंवार,सोनिया,मनमोहन नहीं दिखाई देत अहि ,इसे ही कहते है सावन के अन्धो को हरा ही हरा दिखता है

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here