बच्चे की ज़िद है महंगी बहाना भी नहीं है,
मिट्टी के खिलौनों का ज़माना भी नहीं है।
दुश्मन से डरके हाथ मिलाना भी नहीं है,
मेरे सिवा तो कोई निशाना भी नहीं है।
चाहता नहीं उसे मैं, छिपाना भी नहीं है,
उस शख़्स को इस ग़म में रुलाना भी नहीं है।
जीना है सर को यूं ही कटाना भी नहीं है,
जु़ल्मों के आगे सर को झुकाना भी नहीं है।
जाहिल था मैं इसीलिये मुफलिस भी बन गया,
बच्चे पढ़ाउूं कैसे ख़ज़ाना भी नहीं है।
तुम साथ दे रहे हो तो कुछ राज़ है ज़रूर,
तुमने दिये हैं ज़ख़्म भुलाना भी नहीं है।
नासूर बन ना जाये कहीं फ़ैसला करो,
ये ज़ख़्म अभी इतना पुराना भी नहीं है।
सच्चाई सा़फ़गोई से बेशक बयां करो,
लेकिन किसी के दिल को दुखाना भी नहीं है।
नश्तर हमें ही फिर भी चुभाओगे कब तलक…..
ये आप जानो रिश्ते बनाओगे कब तलक,
हमको ये देखना है निभाओगे कब तलक।
मुझपर करोगे वार तो हो जाओगे घायल,
साया हूं आपका मैं मिटाओगे कब तलक।
दुश्मन अगर हैं आप तो दिखावा भी छोड़ दो,
दिल में ज़हर है हाथ मिलाओगे कब तलक।
जिसने तुम्हारे जे़हन में बारूद भरी है,
राहों में उसकी पलकें बिछाओगे कब तलक।
तुम खु़द तो सबके वास्ते करके दिखाओ कुछ,
फ़िर्क़ापरस्त दल से डराओगे कब तलक।
पत्थर थे आप हमने अता की हैं धड़कनें,
नश्तर हमें ही फिर भी चुभाओगे कब तलक।
सर पर लटक रही है जो तलवार देखलूं,
पुरखों के ताजो तख़्त दिखाओगे कब तलक।
टूटे हुए हो अब तो बिखरने की देर है,
हर राज़ अपने दिल में छिपाओगे कब तलक।।