चुनावों से पहले एक बार फिर चलो अयोध्या

ayodhyaमृत्युंजय दीक्षित
उत्तर प्रदेश की राजनीति में अब नित नये समीकरण गढे जाने लगे हैं। चुनावों से ठीक पहले सभी दलों को किसी न किसी प्रकार से अयोध्या, भगवान श्रीराम और साधु संतों की याद आने लग गयी है। यह हो भी क्यों न आप चाहे भगवान श्रीराम को जनमानस का हृदय सम्राट कह लें या फिर उन्हें हिंदू समाज की आस्था व भावना के साथ जोड़ लें या फिर उनके नाम से हिंदू समाज को अपमानित करें या गाली दें सभी को उनके नाम से वोट मिलता नजर आ रहा है। भारतीय जनता पार्टी का तो सदा से ही नारा रहा है कि रामलला हम आयेंगे ओर मंदिर वहीं बनायेंगे। राजनैतिक विश्लेषकों का मत रहा है कि आज भाजपा दो से लेकर अकेले दम पर पूर्ण बहुमत की ओर जा पहुंची है उसकी तह में यही नारा है। उप्र की जनता के बारे में अंदर ही अंदर यही माना जा रहा है कि यूपी की जनता ने लोकसभा चुनावों में भाजपा को वोट आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई व अयोध्या में राममंदिर के लिए ही वोट दिया था। अब केंद्र में पीएम मोदी की अगुवाई में एनडीए की पूर्ण बहुमत की निर्णय लेने में सक्षम सरकार है।अधिकांश सर्वेक्षणों में माना जा रहा है कि अब यही समय है कि जब केंद्र सरकार को अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए निर्णायक पहल प्रारम्भ कर देनी चाहिये। उप्र भाजपा अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि अयोध्या में रामलला का मंदिर जरूर बनेगा यह पूरे देश की इच्छा है। लेकिन मामला कोर्ट में हैं और हम अदालत के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन सच्चाई यह भी है कि दो साल बीत जाने के बाद भी सर्वोच्च न्यायालय में अभी तक त्वरित गति से सुनवाई के लिए पीठ तक का गठन नहीं हो पाया है। संसद में विधेयक पारित कराकर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ नहीं है उसके लिए राज्यसभा में भी भाजपा का अपना पूर्ण बहुमत होना जरूरी है। लेकिन अब मंदिर निर्माण के लिए आम हिंदू जनमानस अधिक इंतजार के मूड में नहीं दिखलायी पड़ रहा है।
अभी विगत महीनों में अयोध्या व मंदिर निर्माण को लेकर कई तरह की राजनीति की गयी है व घोषणा व नारे आदि लगवाकर माहौल को गर्म करने का प्रयास अवश्य किया गया है। लेकिन बात अभी तक बन नहीं पायी है ,हां अपने – अपने मतदाताओं को संकेत अवश्य दिये जा रहे हैं। सबसे पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के सवर्ण मतदाता को रिझाने के लिए अयोध्या की हनुमानगढ़ी का दौरा किया और कुछ राजनैतिक संतों का दिखावे के लिए आशीर्वाद लिया।
उसकेे बाद अबकी बार विजयदशमी के अवसर पर राजधानी लखनऊ की 500 साल पुरानी ऐशबाग की रामलीला में पीएम नरेंद्र मोदी ने भाग लेकर एक अच्छा वातावरण पैदा करने का सफल प्रयास किया। लखनऊ में रामलीला मैदान में अपने भाषण में जयश्रीराम का उदबोधन करके रामभक्तों को खुश करने का प्रयास किया। यहां पर पीएम मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक से ,तीन तलाक और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं सहित स्वच्छता पर भी अपने विचार रखे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लखनऊ यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक रही। विरोधी दलों ने पीएम मोदी व भाजपा पर जमकर निशाना साधा और कहा कि पीएम मोदी अपने निहित राजनैतिक स्वार्थो की पूर्ति के लिए लखनऊ आ रहे हैें। यह लखनऊ का सौभाग्य था कि आजादी के बाद 70 वर्षो में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने लखनऊ की रामलीला में भाग लिया। यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि लखनऊ की रामलीला समिति ने कई बार पूर्व प्रधानमंत्रियो को पत्र लिखा लेकिन उन्होनें अपना समय नहीं दिया। जब सभ्सी दल मुस्लिम तुष्टीकरण में जुटे रहते हंैं तब उसकी उतनी चर्चा नहीं होती। कारणसाफ है कि जब पीएम मोदी ने लखनऊ में जयश्रीराम का नारा लगाया तब सभी मुस्लिम वोटबैंक का तुष्टीकरण करने  वाले दलों को लगा कि अब बाजी उनके हाथ से निकल रही है। लखनऊ में पीएम मोदी के नारे से यह संकेत गया कि अब अयोध्या के लिए चुनावों से पहले कोई बड़ी पहल अवश्य होने जा रही है।
इस बीच समाजवादी पार्टी में चल रही उठापटक और तनातनी के बीच समाजवादी सरकार ने एक बड़ा तुरूप का पत्ता चल दिया। समाजवादी सरकार ने अयोध्या स्थित अंतर्राष्ट्रीय रामलीला केंद्र (संकुल ) में अंतराष्ट्रीय थीम पार्क के निर्माण का फैसला किया है। यह थीम पार्क अयोध्या की ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत और भगवान राम पर आधारित होगा। इसके लिए सरकार ने अच्छी गुणवत्ता के रेड सैण्ड स्टोन के प्रयोग को भी मंजूरी प्रदान की है। ज्ञातव्य है कि अयोध्या में श्रीराम पार्क की यह योजना काफी पुरानी है। यह मूल योजना 22 करोड़ रूपये की है।
समाजवादी सरकार की इस घोषणा से सबसे अधिक बसपा नेत्री मायावती का तिममिलाना स्वाभाविक था। उनका कहना था कि सभी को चुनावांे से ठीक पहले अयोध्या की याद सताने लग गयी है आखिर क्यों ?
अयोध्या में थीम पार्क बनवाने का ऐलान करने के पीछे समाजवादी सरकार की एक छिपी हुई बहुत बड़ी मंशा है। इस प्रकार के ऐलान करवाकर समाजवादी दल पूर्वांचल की सियासत में अपने को मजबूत दिखाना चाह रही है। समाजवादी दल पूर्वांचल के सवर्ण उसमें भी खासकर ब्राहमण मतदाता को लोकलुभावन लालीपाप देकर यह दिखाना चाह रही है कि हम भी भगवान श्रीराम के भक्त व उनकी चिंता करने वाले परम समाजवादी धर्मनिररपेक्ष दल हैं। जबकि सपा की यह घोषणा एक बहुत बड़ा छलावा है क्योंकि इस पार्क की घोषणा पूर्व में मायावती सरकार भी कर चुकी थी लेकिन चुनावों का ऐलान हो जाने के कारण बसपानेत्री मायावती की योजना फेल हो चुकी थी। मुख्यमत्री अखिलेश की घोषणा से साफ प्रतीत हो रहा है कि अब उनको भी लगने लग गया है कि अब अगली बार सता में आना है तो राम का नाम लेना ही होगा चाहे वह दिखावे के लिए ही क्यों न लिया जो। हालांकि जब पीएम मोदी लखनऊ की रामलीला देखने आये थे तब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व समाजवादी पार्टी ने जिस प्रकार की बयानबाजी व सामान्य प्रोटोकाल का इजहार किया था उससे उनकी हिंदू समाज की भावनाओं के प्रति उनकी पोल खुल चुकी थी। प्रदेश का हिंदू समाज अब भगवान श्रीराम के नाम पर हो रही राजनीति को खूब अच्छी तरह से समझ रहा है।
इसी थीम पार्क की काट के लिए केंद्र सरकार ने अयोध्या में रामायण म्यूजियम व अयोध्या के विकास के लिए कई योजनाओ का भी ऐलान किया गया। केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने अयोध्या में मंदिर पर लोगों की भावनाआंे को शांत करने के लिये रामायण म्यूजियम बनवाने का ऐलान तो किया लेकिन इससे भी राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों के मन को तृप्ति नहीं हुयी है। पूर्व सांसद नेता विनय कटियार व फायर ब्रांड नेता सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर से कम कुछ भी मंजूर नही हैं। उन्नाव से भाजपा सांसद  साक्षी महाराज व उमाभारती का कहना है कि अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर पीएम मोदी के ही शासनकाल में बनेगा। केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने विशाल रामायण म्यूजियम बनाने का ऐलान किया तो उस पर कुछ लोगों ने ऐतराज जताया है। जबकि वास्तविकता यह है कि म्यूजियम के सहारे प्रदेश के जनमानस के बीच भगवान श्रीराम के जीवन प्रसंगों का प्रचार- प्रसार किया जायेगा जिससे समाज के युवाओं के बीच एक प्रेरक सदेश जा सके। समाज में भगवान श्रीराम के आदर्शो का प्रचार किया जायेगा ताकि समाज के सभी अंग स्वस्थ और मजबत हो सकें। लेकिन फिलहाल उप्र की राजनीति में भगवान श्रीराम भी वोटबैंक का केंद्रबिंदु बन चुके हैं तथा सभी उनके नाम का पक्ष और विपक्ष के रूप में दोहन कर रहे हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि सभी लोग चाहते हेैं कि अयोध्या में भरगवान श्रीराम का मंदिर बने। सभी दल अदालत के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। तब फिर वह फैसला कहां और किस कारण से सर्वाेच्च अदालत में लटका पड़ा है। हिंदू जनमानस समझ रहा है कि सभी दल उसकी भावना के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here