जब उनसे मोहब्बत थी

-रंजीत रंजन सिंह-
poem

चिट्ठियों का जमाना था जब उनसे मोहब्बद थी,
मेरा दिल भी आशिकाना था जब उनसे मोहब्बद थी।
रातें गुजर जाती थीं, उनकी चिट्ठियों को पढ़ने में,
मैं भी लहू से खत लिखता था जब उनसे मोहब्बत थी।
आंख के आंसू सूख गए उनके खतों को जलाने में,
कभी समंदर जैसा गहरा था जब उनसे मोहब्बत थी।
आज मांगती हैं वो मुझसे पहले जैसी मोहब्बत
वो दौरे मोहब्बत कोई और था जब उनसे मोहब्बत थी।।

2 COMMENTS

    • में आशिक़ था
      दिवाना था,

      में खुद से हि बेगाना था
      जब उन से मोहब्बत थी…

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