लखनऊ स्मार्ट सिटी के लिए चुना तो गया लेकिन क्या जनता है तैयार

lucknowमृत्युंजय दीक्षित
जब केंद्र की मोदी सरकार अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूर्ण होने का उत्सव मनाने की तैयारी कर रही थी ,ठीक उसी समय उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को फास्ट ट्रेक स्मार्ट सिटी की सूची में आने का गौरव प्राप्त हुआ है। जब से राजधानी लखनऊ का स्मार्ट सिटी के लिये चयन हो गया है तब से आम जनमानस व बौद्धिक वर्ग के बीच तरह – तरह की चर्चायें हो रही हैं, बहसों का बाजार गर्म हो रहा है। हालांकि अभी यह तय नहीं हो पा रहा है कि आखिकार राजधानी लखनऊ कब, कैसे और किसके द्वारा स्मार्ट होगा । कौन- कौन सी सरकारी व प्राइवेट एजेंसिया विकास कार्यों के लिए कामों में जुटेंगी। अभी फिलहाल कैसरबाग को ही स्मार्ट बनाने की रूपरेखा जनता के सामने आयी है। जब से राजधानी लखनऊ को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की गयी है उसके बाद इसका राजनैतिक लाभ लेने की राजनीति भी शुरू हो गयी हैं। जिस दिन राजधानी लखनऊ का नाम स्मार्ट सिटी के लिए घोषित किया गया उसी दिन सांसद व गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊवासियों को बधाई दी और भाजपा कार्यकर्ताओं ने महापौर डा. दिनेश शर्मा का स्वागत किया औश्र उन्हें इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए बधाई दी । सबसे बड़ी बात यह रही कि लखनऊ को यह तोहफा ज्येष्ठ माह के बड़े मंगल के अवसर पर मिला है। वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी का कहना है कि राजधानी लखनऊ में मेट्रो व आईटी सिटी जैसी सौगातें देकर उनकी सरकार लखनऊ को पहले ही स्मार्ट बना चुके हैं।
एक बात तो तय है कि इस प्रकार की योजनायों से काफी लम्बे समय से धीमी गति से चल रहे तमाम तरह के विकास कार्यो में तेजी आ सकेगी लेकिन आम जनमानस को इन विकास कार्यो का लाभ लम्बे समय के अंतराल के बाद ही मिल सकेगा इसके कोई संदेह नहीं है। आज देश के शहर विकास की अंधी दौड़ में इस प्रकार विकसित किये गये हैं कि शहरों का जनजीवन तमाम समस्याओं से घर गया है। आज के हालात में सबसे बड़ी समस्या आवास , स्वच्छता, शहरों में गंभीर हैं ही जलनिकासी की समस्या भी है ,शहर में प्रदूषण चरम सीमा पर है, राजधनी वासियों को अभी स्वच्छ व ताजा जल तथा स्वच्छ वायु नहीं नसीब हो पा रही है । राजधानी लखनऊ में तेज इंटरनेट सुविधाएं युवाओं को नहीं मिल पा रही है जिसके लिए जिलाधिकारी संबंधित महकमों के साथ बैठकें भी कर रहे हैं व दिशानिर्देश भी जारी कर रहे है। शहर स्मार्ट बने इसके लिए सरकारी प्रयासों को आम जनता का भी सहयोग मिलना जरूरी होता है। बिना जन सहयोग के इस प्रकार की योजनायें सफल नहीं हो सकती। इस विषय पर महापोैर डा. दिनेश शर्मा का यह कहना बिल्कुल सही है कि,” हर काम सरकार व नगर निगम पैसा होने के बावजूद तब तक नहीं कर सकती जब तक कि जनता का सहयोग न हो।“ उन्होने आम जनता से अपील की है कि घरों के बाहर बगीचा बनाकर अतिक्रमण न करें। नालियों पर कब्जा करके गैराज न बनायें ,स्कूटर और कार आदि को धोने के लिए पानी की बर्बादी न करें। उन्होनें शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए धर्मगुरूओं से भी आगे आने की अपील की है। शहर के लोगों का मानना है कि स्मार्ट सिटी बनने के बाद वह दिन दूर नहीं होगा जब नवाबों का यह शहर पूरे विश्व में सुख सुिवधाओं ,सांस्कृतिक विरासत और नफासत के लिए भी जाना जायेगा। स्मार्ट सिटी के लिए हाईटेक होना जरूरी नही है आवश्यकता इस बात की है कि आम आदमी अब अपनी जिम्मेदारियों को समझें। आज आवश्यकता इस बात की है कि स्मार्ट बनने के पहले शहर का नागरिक अपने सभी प्रकार के करों का भुगतान समय पर करें और सभी प्रकार की समस्याओं से बचे। राजधानी वासी पहले यह प्रयास कंरें कि वह अपने सभी प्रकार के करें का भुगतान कर दें चाहे वह बिजली का बिल हो या फिर गृहकर या फिर जलकर का भुगतान ही क्यों न बकाया हो। आज लखनऊ की आधी आबादी बिना कर अदायगी के तमाम सुविधाओं का लाभ उठा रही है। यह एक प्रकार की चोरी ही है। आज भीषण गर्मी के दौर में अधिकांश घरों में बिजली की चोरी करके एसी का लुफ्त उठाया जा रहा है। तमाम अपीलों के बाद भी शहर का स्वच्छता अभियान उतना सफल नही हो पा रहा है जिस हिसाब से होना चाहिये था। अनेकानेक कारणों से शहर में अबकी बारिश में जलभराव की भीषण समस्या होने जा रही है। शहर की जनता को समार्ट सिटी में रहने के लिए सबसे पहले यातायात के नियमों का पालन करना भी सीखना होगा।
शहरवासियों को अब अपनी आदतों में बदलाव लाना चाहिये यदि वे बदलाव नहीं ला सकते तो चाहे जितनी भी कोशिश कर ली जाये शहर को स्मार्ट बनाने का कोई लाभ नही होगा। जनमानस को यह शपथ लेनी होगी कि वे अपने घरों व कार्यालयों का कचरा निर्धारित स्थान व समय पर ही फेकेगे। यातायात के नियमों का पूर्णतः पालन करेंगे जिसमें बिना वजह हार्न नहीं बजायंगे और वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात नहीं करेंगे आदि- आदि। यह बात तो तय हे कि स्मार्ट सिटी बनने के बाद लखनऊ की जनता को हाईटेक सुविधाएं मिलेंगी बहत सारी सरकारी व गैर सरकारी योजनाओ का लाभ व जानकारी घर बैठे हो जाया करेगी। जिसके कारण सरकारी कार्यालयों में भीड़भाड़ कम हो सकेगी। स्मार्ट सिटी बनने से प्रबंधतंत्र भी स्मार्ट हो सकेगा। सारे बिल व फार्म आनलाइन हो जायेंगे। सारे टेंडर आन लाइन हो जायेंगे। जिससे प्रशासन कुछ हद तक भ्रष्टाचार से मुक्त हो सकेगा। सरकार व सरकारी योजनायें पारदर्शी हो जाएंगी। स्मार्ट सिटी योजना के बाद आर्थिक विकास तेज होगा। सबसे बड़ी बात यह होगी कि दिव्यांगों ,बुजुर्गो आदि को किसी काम के लिए रोज – रोज लाइन लगाकर नहीं खड़ा होना पड़ेगा। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि यह सब कछ पाने के लिए सभी नागरिकांे को तकनीकी ज्ञान की बेहद आवश्यकता होगी। जनमानस को तकनीक के साथ अपना आलस भाव का त्याग करना होगा। स्मार्ट सिटी के नागरिकों का सबसे बड़ा दायित्व यह भी रहेगा कि वह सभी प्रकार के कानूनी नियमों का सख्ताी से पालन करना अपना धर्म समझ लें। जैसे कि जगह -जगह थूकने की आदत , बाथरूम करने की आदत। न्यायपालिक ने शहर में पालीथिन की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है लेकिन वह आज भी आसानी से मिल रही है। यह सभी को पता है कि पालीथिन से कितना नुकसान हो रहा है।शहर की जनता को स्मार्ट बनने के लिए नियमों का पालन करने के लिए आगे आना होगा औार जवाबदेही तय करनी होगी।
यूपी और दूसरे राज्य हसेक्येां अलग हैं। उसका कारण है कि महाराष्ट्र आदि जैसे प्रांतों की जनता समझदार होने के साथ ही जागरूक भी है। वहां की जनता नियमों का पालन भी और करवाने को मजबूर भी करती है। वहां पर कोई खुलेआम
कचरा नहीं डालता और थूकता नहीं है। वहां पर सामान्य रूप से जनता में कुछ अच्छी आदतंे विराजमान हैे।जिनको लखनऊ की जनता को सीखना ही होगा। तभी हम पूरी तरह से स्वच्छ, स्वस्थ, मानसिक रूप से शंात हो सकते हैं। स्मार्ट भी तभी बन सकते हैं।
अब आवश्यकता केवल इस बात की है जिन शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए चुना गया है वहां पर काम तेजी से शुरू हो । ताकि शहरों को जो बेतरतीब ढंग से विकास हुआ है उसे दुरूस्त किया जा सके।

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