मायाराज बना आतंकराज

शादाब जफर ”शादाब”

कक्षा छह की मासूम छात्रा को गैंग रेप के बाद कत्ल कर दिया गया। बच्ची की हत्या भी इस दरिंदगी से की गई कि लाश देखने वालो के रोंगटे खडे़ हो गये। हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए क्रूर हत्यारों ने पहचान छुपाने के लिये चेहरे पर तेजाब डालकर मासूम छात्रा की आंखें तक फोड़ डाली। ये कोई समाचार नहीं बल्कि आज उत्तर प्रदेश की हकीकत है। मासूम बच्चियों के साथ हो रही बालात्कार की वारदातों से केवल एक सप्ताह के भीतर ही उत्तर प्रदेश में दुष्कर्म की लगभग आधा दर्जन घटनाओं ने एक ओर जहॉ प्रदेश की कानून व्यवस्था की कलाई खोल कर रख दी वहीं मायावती सरकार और सरकार के तमाम दावों पर एक प्रश्‍न चिन्‍ह लगा दिया। उत्तर प्रदेश में जब बसपा की सरकार बनी थी तब बडे़-बडे़ वादे मुख्यमंत्री मायावती जी ने किये थे। उतर प्रदेश में हर वर्ग और समुदाय को रोजगार के भरपूर अवसर प्रदान किये जाएंगे। सब की आवाज सुनी जायेगी, सब को न्याय मिलेगा। पर आज जो प्रदेश की स्थिति है उस में गरीब के लिये इस व्यवस्था में इंसाफ पा लेना एक सपना जैसा हो गया है। पिछले एक महीने में प्रदेश में नाबालिग बच्चियों के साथ बलात्कार के रिकॉर्ड मामले दर्ज हुए और इन में से अधिकतर मामलो में बसपा सरकार के कई विधायकों के नाम सामने आये। आज प्रदेश में खादी वाले और खाकी वालो ने आतंक मचाया हुआ है। आज प्रदेश महिलाओं के खिलाफ अपराध में देश में तीसरे नम्बर पर है। ऐसा लगता है कि आंध्र प्रदेश और पष्चिम बंगाल को मात देकर उत्तर प्रदेश जल्द ही महिलाओ और नाबालिग बच्चियो के खिलाफ ज्यादतियो में नम्बर एक पर आ जायेगा।

उत्तर प्रदेश में दो दिन के दौरान जिस प्रकार अपराधियों ने खुलकर नंगा नाच किया उस से आम आदमी की रूह कांप गई। केवल 48 घंटे के अन्दर अन्दर कन्नौज में 14 साल की लड़की के साथ कथित बलात्कार कर के उस की आंख फोड देना, बस्ती में 18 साल की लडकी से कथित बलात्कार, कानपुर में महिला से बलात्कार, गोंडा में 16 साल की दलित लडकी से कथित बलात्कार ,फिरोजाबाद में 15 साल की नाबालिग बच्ची से बलात्कार और एटा में महिला से बलात्कार के बाद उसे जिन्दा जला देना। इन ताबड़-तोड़ घटनाओं से पूरा प्रदेश हिल गया। प्रदेश में कानून व्यवस्था बेकाबू हो गई। और प्रदेश के मुख्य सचिव अनूप मिश्रा की नजर में ये केवल छुटपुट घटनाए है। क्या घिनौने अपराधो की ये फेहरिस्त मुख्य सचिव को डराती नही। षायद इस लिये कि इन मे जितने भी मामले सामने आये है उन में गरीब कमजोर और वंचित तबके की मासूम बच्चियो और महिलाओ को ही निशाना बनाया गया है। और वो ये सब बखूबी जानते है कि एक गरीब के लिये थाना पुलिस और कचहरी आज भी आतंक का पर्याय बनी हुई है। आजादी के 65 साल बाद भी पुलिस उत्पीड़न सब से ज्यादा ये ही तबका झेलता है। पुलिस के लिये एक गरीब को अपराधी ठहरा देना महज एक खेल की तरह है। आज भी उत्तर प्रदेश की जेलो में कई निर्दोश गरीब लोग इस लिये बंद है क्यो कि कोई इन की वकालत करने वाला नही, इन लोगो के पास जमानत के पैसे नही। पिछले दिनों बांदा में जिस गरीब लडकी के साथ बलात्कार हुआ उल्टे उसे ही खादी वालो को खुश करने के लिये चोर बताकर हवालात में बंद कर दिया गया। ये ही नही बलात्कारी विधायक को बचाने के लिये नीचे से ऊपर तक के पुलिस अधिकारी एकजुट हो गयें।

यू तो उत्तर प्रदेश के साथ ही पूरे देश में ही महिलाओं और लडकियों के खिलाफ अपराधो में दिन प्रतिदिन बढोतरी हो रही है। एक सप्ताह के भीतर इतनी बडी तादात में महिलाओ और नाबालिग बच्चियो पर ज्यादती और बलात्कार के मामलो का सामने आना प्रदेश सरकार की मुखिया और मुख्यमंत्री मायावती के लिये बडी शर्म की बात है क्योंकि वो भी एक महिला है। वही प्रदेश के आला पुलिस अफसरो के लिये चुनौती के साथ ही मायावती के लिये भी चुनौती है क्योंकि वो प्रदेश के लोगों को मजबूत कानून व्यवस्था देने का वादा कर प्रदेश में सत्ताषीन हुई थी। पर आज पुलिस और सरकार दोनों ही कमजोर नजर आ रहे है। महिलाओं और नाबालिग बच्चियों के साथ रेप की घटनाए दिनो दिन बढती जा रही है। आज सत्ता और पुलिस के गठजोड़ ने कानून को कठपुतली बनाकर रख दिया है। कुछ गुंडे मवाली पैसे और बाहुबल के बल पर जनता के प्रतिनिधि तो बन जाते है। किन्तु साफ और सफेद कपडे पहनने के बाद भी इन की आदते, धंधे और षौक काले के काले ही रहते है। पिछले दिनों ऐसे ही कुछ बसपा सरकार के विधायकों ने सरकार की खूब किरकिरी कराई जिन में योगेंद्र सांगर पर 24 दिनों तक एक लडकी के साथ गैंग रेप का आरोप लगा। बांदा से एमएलए पुरूषोत्तम द्विवेदी पर नाबालिग लडकी के साथ गैंग रेप का आरोप लगा, राम मोहन गर्ग फिश डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के पूर्व चेयरमैन पर लडकी के साथ छेडछाप का आरोप लगा। पूर्व मंत्री और मिल्कीपूर से बसपा के एमएलए आनंद सेन यादव पर दलित छात्रा के यौन शोषण का आरोप लगा। डिबाई विधान सभा क्षेत्र से बसपा विधायक श्री भगवान शर्मा पर ऐ लडकी को अगवा कर बलात्कार करने का आरोप लगा। जिसे चुनकर हम विधान सभा में भेजते है वो हमारे वोट हमारी मर्जी से ही हमारा प्रतिनिधि होता है। इस बात वो खुद को वीवीआईपी कहने वाले लाल बत्ती लगी गाडियो में हुटर लगा कर सुरक्षा के नाम पर पुलिस और प्रशासन का लाव लष्कर लेकर अपनी जिन्दगी इन सरकारी पहरेदारो के हाथो महफूज कर देश प्रदेश के आम आदमी की जिन्दगी से खेलने वाले आखिर ये लोग कब समझेगे कि देश के आम नागरिक की जिन्दगी से से इन की कुर्सी है सत्ता सुख है।

पिछले दिनों प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने राज्य के सभी 72 जिलों का दौरा किया और 81 गांवों, 80 मालिन बस्तियों, 86 अस्पतालों, 148 तहसीलों और थानों का निरीक्षण किया। यू तो सरकार की प्राथमिकता वाले कार्यक्रमों में लापरवाही और कमी पाए जाने पर तत्काल अधिकारियों को सुधार के निर्देश दिये और अच्छे कामा के लिये अधिकारियों को प्रशस्ति पत्र दिया तो लापरवाह अधिकारियों को जम कर फटकार लगाई। पर मुख्यमंत्री मायावती के इस तरह प्रदेश के औचक निरीक्षण से प्रदेश की जनता को क्या हासिल हुआ। अधिकारियो को यह पहले ही पता था कि उन्हें कहा जाना है रातों रात बिना बजट के ठेकेदारो से मिलकर अधिकारी चयनित अम्बेडकर गांव अथवा कस्बे को दुल्हन की तरह सजा देते थे। थानों को दलालों, भूमाफियाओं, सट्टेबाजों और शराब माफियाओं से पैसा लेकर सजाया गया। गांवों और तहसीलों में हेलीपैड तथा मुख्यमंत्री की सुरक्षा के नाम पर लगभग तीन सौ करोड रूपया खर्च हुआ। किसानो की खडी फसलों को उजाड़ा गया अलग। मुख्यमंत्री दौरे के दौरान जिस जिले में भी गई वहा कर्फ्यू जैसी स्थिति हो गई आम आदमी का जीना मुष्किल हो गया यहा तक की बीमार लोगो को दवाई लने के लिये अस्पतालों तक नही जाने दिया गया। कांशीराम शहरी आवास योजना के तहत सरकार द्वारा मकान आवंटन देखने मुख्यमंत्री जिस कालोनी में पहुंची वहा लोगों को मुख्यमंत्री से मिलने नहीं दिया गया अधिकारियो ने घरो के कुंडे बाहर से लगा दिये। आखिर मुख्यमंत्री का ये कैसा प्रदेश दौरा था जिस में आम आदमी को दूर रखा गया आखिर क्यों। मुख्यमंत्री को केवल अपना रौब दिखाना था इन दौरो का यह कतई मकसद नहीं था कि प्रदेश का आम आदमी किस हाल में है। महिलाओं और बच्चियों के साथ हुई दुष्कर्म की घटनाओ को देखते हुए विपक्ष ने सरकार पर गम्भीर आरोप लगाने के साथ ही मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग कर डाली है।

एक ओर जहां इन बलात्कार के मामलो से प्रदेश की महिला मुख्यमंत्री होने के नाते मायावती की साख धूमिल हुई वही विधान सभा चुनाव नजदीक होने के कारण पार्टी की छवि बचाने के उद्देश्‍य से मुख्यमंत्री मायावती ने ये ऐलान किया कि प्रदेश में महिलाओं और लडकियों पर जुल्म और ज्यादती करने वालो को बख्षा नही जायेगा। प्रदेश में बलात्कार की घटनाओं से संबंधित मुक्दमों को छह माह में निपटाने तथा आरोपी को आसानी से जमानत न मिलने के लिये सीआरपीसी की धारा 437 व 439 में संशोधन किये जायेगे। पर क्या इस से अपराध रूक जायेगे। क्या कानून में संशोधन करने से बलात्कार के अपराधो पर नियंत्रण हो जायेगा। नहीं बिल्कुल नहीं, कानून नहीं कानूनी व्यवस्था बनानी होगी मुख्यमंत्री को। वही मस्त हाथी की तरह सत्ता के नशे में चूर हो चुके अपने विधायकों को एक कुशल महावत की तरह नियंत्रण में लाना होगा वरना आने वाले दिनों में सत्ता देने वाली जनता सत्ता से उतार भी सकती है ये बात बसपा के विधायकों और खुद मायावती को गम्भीरता से सोचनी चाहिये।

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  1. मायावती के राज में अपराधियों के बोलबाला होने का सबसे बड़ा सबूत यह है की सत्तारूढ़ दल के जितने विधायक और मंत्री इस सरकार में जेल गए हैं उतने किसी सर्कार में नहीं गए.विधायकों की हैसियत विधायक बनने से पहले और बाद में कम से कम ५०० गुना बढ़ गयी है.ज्यादातर विधायक अपराधी गतिविधियों में लगे हैं.प्रमुख सचिव हरमिंदर राज की हत्या और आनन् फानन में दिन निकलने से पहले दिल्ली लाकर अंत्येष्टि एक बहुत बड़ा सवाल छोड़ गयी है.अब जेल में डाक्टर की हत्या पूरी कहानी बयां कर रही है.लेकिन केंद्र सर्कार आड़े वक्त बी एस पी सांसदों के वोट की मोहताज़ है.इसलिए केवल नपुंसक विरोध करके खानापूर्ति कर लेते हैं.जनता इनकी इस नूरा कुश्ती के खेल को देख रही है.दोनों सरकारों के बीच भ्रष्टाचार के शीर्ष स्थान के लिए प्रतियोगिता चल रही है.देखना है की कानून का डंडा किस पर पहले पड़ता है सोनिया पर या माया पर?

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