आतंकियों के स्लीपिंग सेल का पनाहगाह बना मध्य प्रदेश

विनोद उपाध्‍याय

क्या मध्यप्रदेश, आतंकियों के स्लीपिंग सेल पनाहगाह बनता जा रहा है? भोपाल में पकड़े गए दो कश्मीरी आतंकियों व सिमी समेत अन्य आतंकी संगठनों की गतिविधियों को तो देखकर तो ऐसा ही लगता हैं। संगठनों से जुड़े लोग भले ही मध्य प्रदेश में वारदात को अंजाम न देते हों, लेकिन वे आराम करने या फरारी काटने के लिए मध्य प्रदेश को महफूज जगह जरूर मानते हैं। राज्य का पुलिस महकमा अब उन लोगों की तलाश में जुट गया है, जो इन आतंकियों को शरण देते हैं।

भोपाल पुलिस ने 1 जनवरी को शाहजहांनी पार्क तलैया से आतंकवादी शौकत अहमद हकीम और मेहराजउद्दीन शेरगुजरी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। दोनों आतंकवादी जम्मू-कश्मीर के बांदीपुर जिले के रहने वाले हैं, जो हूजी संगठन से जुड़े हैं, उनके खिलाफ देशद्रोह जैसे आरोप लगने की जानकारी दी जा रही है। दोनों युवक हुर्रियत कांफ्रेंस के सक्रिय कार्यकर्ता है। जम्मू-कश्मीर में पथराव की घटना के बाद पुलिस द्वारा दबिश दिए जाने के बाद फरारी काटने की गरज से भोपाल में डेरा डाले हुए थे। दोनों जमात की आड़ लेकर तालीम के लिए अलग-अलग मदरसों व मस्जिदों में घूम रहे थे। वैसे भी भोपाल प्रतिबंधित संगठन सिमी के सदस्यों की शरणस्थली के रूप में खासा चर्चित हो चुका है। पुलिस ने अहमदाबाद बम धमाके के आरोपी इरफान करेली को जुलाई 09 में भोपाल के करोद इलाके से पकड़ा था। इंदौर में पकड़ में आया सफदर नागौरी लंबे समय तक भोपाल के कोहेफिजा इलाके में रह चुका है। हाल ही में शेख मुनीर को भोपाल पुलिस ने पकड़ा है।

बताया जाता है कि इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह एवं सतवंत सिंह ने भोपाल में ही शिक्षा ग्रहण की थी। इसके अलावा गुलशन कुमार के शूटर अनिल शर्मा उर्फ अब्दुल्ला की लाश अंग्रेजन के बंगला, भोपाल में मिली थी। इसी तरह लेडी डान अर्चना शर्मा ने भोपाल के एक कॉलेज में पढ़ाई की और उसका भोपाल आना-जाना लगातार जारी रहा। सीबीआई ने पुराने भोपाल से लश्कर-ए-तोयबा के सदस्य आसिफ को गिरफ्तार किया था। दिलावर खान को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। भोपाल पुलिस ने 2004 में आईएएस एजेंट साजिद मुनीर को पकड़ा था। इसके अलावा 2005 में सिमी का प्रमुख इमरान भोपाल में पकड़ा गया था। पुलिस रिकार्ड के अनुसार दाऊद का शूटर बाबी और उसके साथी को भोपाल रेलवे स्टेशन के पास एक होटल से पकड़ा गया था। वे दिल्ली से जेल तोड़कर भागे थे। इसके अलावा नवंबर में 11 कैदी न्यायालय परिसर से भाग गए थे।

सूत्रों का कहना है कि भोपाल में कई बड़ी वारदातों की योजना बनाने के लिए उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान से अपराधी आकर शरण लेते हैं और वारदात को अंजाम देने में लग जाते हैं। आतंकी संगठनों से जुड़े लोग भले ही मप्र में वारदात को अंजाम न देते हों, लेकिन वे आराम करने या फरारी काटने के लिए मप्र को महफूज जगह जरूर मानते हैं। राज्य का पुलिस महकमा अब उन लोगों की तलाश में जुट गया है, जो इन आतंकियों को शरण देते हैं। भोपाल के अलावा मध्य प्रदेश का मालवा क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों से प्रतिबंधित संगठन इस्लामिक स्टूडेंट मूवमेंट ऑफ इंडिया का गढ़ बना हुआ है। यही कारण है कि इंदौर के अलावा उज्जैन, धार, खंडवा, बुरहानपुर, शाजापुर में इस संगठन से जुड़े लोगों की गतिविधिया सामने आती रहती हैं। सिमी के सरगना सफदर नागौरी सहित 13 लोगों की इंदौर के निकट एक साथ गिरफ्तारी कर इनके पास से चौंकाने वाले दस्तावेज जब्त किए जा चुके हैं। पुलिस को यह सुराग भी लगा था कि इंदौर के समीप चोरल के जंगल में सिमी के लोगों द्वारा युवाओं को प्रशिक्षण भी दिया जाता रहा है। उज्जैन और शाजापुर में कई युवा सिमी के लिए काम करने के आरोप मे पकड़े जा चुके हैं। बताया जाता है कि सिमी के सरगना ने यहा के कई युवाओं को जेहाद के नाम पर भड़काने का काम किया है। सिमी से जुड़े लोगों ने ही आतंकवाद निरोधक दस्ते में काम कर चुके एक आरक्षक सहित तीन लोगों की खंडवा में गोली मारकर हत्या की थी। पुलिस इस हत्याकांड को अंजाम देने वालों को अब तक नहीं पकड़ पाई है।

मालवा क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों से प्रतिबंधित संगठन इस्लामिक स्टूडेंट मूवमेंट ऑफ इंडिया का गढ़ बना हुआ है। यही कारण है कि इंदौर के अलावा उज्जैन, धार, खंडवा, बुरहानपुर, शाजापुर में इस संगठन से जुड़े लोगों की गतिविधियां सामने आती रहती हैं। सिमी के सरगना सफदर नागौरी सहित 13 लोगों की इंदौर के निकट एक साथ गिरफ्तारी कर इनके पास से चौंकाने वाले दस्तावेज जब्त किए जा चुके हैं। पुलिस को यह सुराग भी लगा था कि इंदौर के समीप चोरल के जंगल में सिमी के लोगों द्वारा युवाओं को प्रशिक्षण भी दिया जाता रहा है। उज्जैन और शाजापुर में कई युवा सिमी के लिए काम करने के आरोप मे पकड़े जा चुके हैं। बताया जाता है कि सिमी के सरगना ने यहा के कई युवाओं को जेहाद के नाम पर भड़काने का काम किया है। सिमी से जुड़े लोगों ने ही आतंकवाद निरोधक दस्ते में काम कर चुके एक आरक्षक सहित तीन लोगों की खंडवा में गोली मारकर हत्या की थी। पुलिस इस हत्याकांड को अंजाम देने वालों को अब तक नहीं पकड़ पाई है।

स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का गठन 25 अप्रैल 1977 को यूपी के अलीगढ़ में हुआ। इसके फाउंडर प्रेजिडेंट मोहम्मद अहमदुल्ला सिद्दीकी थे। मानव जीवन को पवित्र कुरान के हिसाब से चलाना, इस्लाम का प्रसार और इस्लाम की खातिर जिहाद करना सिमी का मूल विचार है। सिमी पर प्रतिबंध लगने से पहले तक शाहिद बदर फलाह इसके नैशनल प्रेजिडेंट और सफदर नागौरी सेक्रेटरी थे। 28 सितंबर 2001 को पुलिस ने फलाह को दिल्ली के जाकिर नगर इलाके से गिरफ्तार किया। माना जा रहा है कि फिलहाल सिमी नागौरी के नेतृत्व में गुपचुप तरीके से अपनी गतिविधियां चला रहा है। सिमी को वल्र्ड असेंबली ऑफ मुस्लिम यूथ से आर्थिक मदद मिलती है। इसके कुवैत में इंटरनैशनल इस्लामिक फेडरेशन ऑफ स्टूडेंट्स से भी करीबी संबंध हैं। इसके अलावा पाकिस्तान से भी इन्हें मदद मिलती है। सिमी के तार जमात-ए-इस्लामी की पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल यूनिट से भी जुड़े हैं। सिमी पर हिज्बुल मुजाहिदीन से भी संबंधों के आरोप हैं और आईएसआई से भी इसके रिश्ते माने जाते हैं। सिमी के नेताओं के लश्कर-ए-तैबा और जैश-ए-मोहम्मद से भी नजदीकी रिश्ते हैं। सिमी के करीब 400 फुल टाइम काडर और 20 हजार सामान्य सदस्य हैं। 30 साल की उम्र तक के स्टूडंट सिमी के सदस्य बन सकते हैं। इससे ज्यादा उम्र हो जाने पर वह संगठन से रिटायर हो जाते हैं।

दरअसल, सिमी ने जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा के तौर पर काम करना शुरू किया था। सिमी और जमात का साथ वर्ष 1981 तक ही रह सका जब सिमी के कार्यकर्ताओं ने भारत दौरे पर आए फिलिस्तीन मुक्ति मोर्चा (पीएलओ) नेता यासिर अराफात के खिलाफ नई दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया और काले झंडे दिखाए। सिमी कार्यकर्ताओं ने अराफात को पश्चिमी देशों का पि_ू बताया जबकि जमात के बड़े नेताओं ने अराफात को फिलिस्तीन के हक की लड़ाई लडऩे वाला योद्धा बताया। इस संगठन का मिशन है देश को पश्चिमी सभ्यता के असर से मुक्त कर मुस्लिम समुदाय में परिवर्तित करना, जहां इस्लाम के कायदे-कानून के मुताबिक लोग अपनी जिंदगी बिताएं। इस संगठन को भारत के साथ अमेरिका भी आतंकवादी संगठन मानता है। हालांकि अगस्त 2008 में एक विशेष ट्रिब्यूनल ने भारत में सिमी से पाबंदी हटा दी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस संगठन पर फिर से पाबंदी लगाने के आदेश जारी किए।

सिमी पर प्रतिबंध लगने से पहले तक शाहिद बदर फलाह इसके नेशनल प्रेसिडेंट और सफदर नागौरी जनरल सेके्रटरी थे। 28 सितंबर 2001 को पुलिस ने फलाह को दिल्ली के जाकिर नगर इलाके से गिरफ्तार किया। माना जा रहा है कि फिलहाल सिमी नागौरी के नेतृत्व में गुपचुप तरीके से अपनी गतिविधियां चला रहा है। नागौरी और उसके 10 साथियों को 26 मार्च 2008 को उसके गृहनगर उज्जैन के समीप इंदौर से गिरफ्तार किया गया। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक सिमी के ट्रेनिंग कैम्प झारखंड, केरल, कर्नाटक और कुछ अन्य राज्यों में चल रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक सिमी को बेहद खूंखार आतंकवादी संगठन अल कायदा से भी मदद मिलती रही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here