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महर्षि दयानन्द सत्य के ग्रहण और असत्य के त्याग के आदर्श उदाहरण - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
महर्षि दयानन्द जी अपने वैदिक सिद्धान्तों व विचारों के पक्के थे। यदि उनका कोई भक्त व अनुयायी उनके हित का कोई प्रस्ताव करता था जिससे उनके जीवन को हानि होने की आशंका होती थी तो वह अपने अनुयायियों द्वारा किसी स्थान विशेष की यात्रा न करने के सुझाव को स्वीकार…