चूहों की चतुराई

देखे जब दो दर्जन चूहे,

कंडेक्टर घबराया|

सारे थे बस में सवार,

पर टिकिट एक कटवाया|

 

बोला दो दर्जन हो तुम सब,

सबको टिकिट लगेगा|

एक टिकिट में सब जा पायें,

यह तो नहीं चलेगा|

 

कंडेक्टर की बातें सुनकर,

चूहे आगे आये|

दे दो अलग अलग टिकटें,कह,

आगे नोट बढ़ाये|

 

पर चूहों ने शर्त रखी,हम,

अलग अलग बैठेंगे,

चौबीस टिकिट यदि लेंगे तो,

उतनी सीटें लेंगे|

 

चूहे की फरमाइश सुनकर,

कंडेक्टर चकराया|

एक टिकिट में ही उन सबको,

मंजिल तक पहुंचाया

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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