राम कृष्ण खुराना
मैडम मोरी मैं नहीं कोयला खायो !
विपक्षी दल सब बैर पडे हैं, बरबस मुख लिपटायो !
चिट्ठी-विट्ठी इन बैरिन ने लिखी, मोहे विदेस पठायो !
मैं बालक बुद्धि को छोटो, मोहें सुबोध कांत फसायो !
हम तो कुछ बोलत ही नाहीं, सदा मौन रह जायो !
इसीलिए मनमोहन सिंह से मौन सिंह कहलायो !
लूट विपक्षी बैंक भर दीने, कालिख हमरे माथे लगायो !
हम तो कठपुतली हैं तुम्हरी, अंडर एचीवर कहलायो !
मैडम भोली बातें सुन मुस्काई, मनमोहन खींच गले लगायो !
मैडम मोरी मैं नहीं कोयला खायो !
मोरी….के इसरूप की कल्पना सूरदास जी ने भी नहीं की होगी! क्या बात है!
प्रिय बिनू जी,
आपने ठीक कहा है कि उस समय तो सूरदास जी भी ऐसी कल्पना नहीं कर सकते थे !
मेरी रचना के लिए आपका स्नेह मिला ! धन्यवाद !
राम कृष्ण खुराना
ati sundar
प्रिय गोयल साहेब,
आपके स्नेह के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ! आप के प्रोत्साहन से मुझे लिखने के लिए उर्जा मिलती है !
पुनः धन्यवाद !
राम कृष्ण खुराना
प्रिय महेन्द्र जी,
कोयला घोटाला पर मेरी रचना “मैडम मोरी मैं नहीं कोयला खायो” के लिए आपकी दो पंक्तियां बहुत सुन्देर लगी ! इस प्रोत्साहन के लिए आभारी हूँ !
राम कृष्ण खुराना
प्रिय ज्ञान जी,
मेरी रचना “मैडम मोरी मैं नहीं कोयला खायो” आपको अच्छी लगी ! प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद !
राम कृष्ण खुराना
प्रिय शिवेंद्र मोहन जी,
मेरी रचना “मैडम मोरी मैं नहीं कोयला खायो” के लिए आपका स्नेह मिला ! प्रोत्साहन के लिए आभारी हूँ
राम कृष्ण खुराना
पैरोडी भी और साथ के चित्र भी दोनों ही अत्यंत प्रासंगिक हैं. बधाई.
प्रिय गुप्ता जी,
आपको मेरी रचना “मैडम मोरी मैं नहीं कोयला खायो” अच्छी लगी ! मै अपके प्रोत्साहन के लिए आभारी हूँ !
धन्यवाद !
राम कृष्ण खुराना
वाह,
सच है,मोहन ,मैं भी मानू तू नहीं कोयला खायो,
इसीलिए में पठन को कही है,सड़क पे निपट इन्हें भगाओ ,
गुड एफोर्ट
हा हा हा हा …….. बहुत सुंदर पद्य रचना, मौन सिंह की वर्तमान स्थिति की सुंदर विवेचना.