मीडिया की हकीकत

-विपिन किशोर सिन्हा-

indian_newspaperमैं अरविन्द केजरीवाल का समर्थक नहीं हूं, बल्कि उनके घोर विरोधियों में से एक हूं। पाठकों को याद होगा – मैंने उनके खिलाफ कई लेख लिखे हैं। लेकिन मीडिया के खिलाफ़ उनके द्वारा जारी किए गए सर्कुलर का मैं समर्थन करता हूं। कारण यह है कि भारत की मीडिया, विशेष रूप से इलेक्ट्रोनिक मीडिया मर्यादा की सारी सीमाएं लांघ चुकी है। लोकतंत्र में विरोध का अपना एक विशेष स्थान होता है लेकिन अंध और पूर्वाग्रहयुक्त विरोध का प्रतिकार होना ही चाहिए। न्यूज चैनलों को भारत और भारतीयता से गहरी नफ़रत है। अपनी इस मानसिकता के कारण वे हिन्दी, हिन्दुत्व, आर.एस.एस, शिवसेना, अकाली दल, बाबा रामदेव, हिन्दू धर्मगुरु, भारतीय परंपरायें और देसी नेताओं को नित्य ही अपने निशाने पर लेती हैं। बंगाल में एक नन के साथ दुर्भाग्यपूर्ण बलात्कार हुआ, मीडिया ने प्रमुखता से समाचार दिया, खुद ही मुकदमा चलाया और खुद ही फ़ैसला भी दे दिया। घटना के लिए मोदी सरकार और कट्टरवादी हिन्दू संगठनों को दोषी करार दिया। सरकार ने जांच की। पता लगा कि रेप करने वाले बांग्लादेशी मुसलमान थे। दिल्ली के एक चर्च में एक मामूली चोरी की घटना हुई। मीडिया ने इसके लिए मोदी एवं आर.एस.एस. को कटघरे में न सिर्फ़ खड़ा किया बल्कि मुज़रिम भी करार दिया। आगरा में बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे। बाल एक चर्च की खिड़की के शीशे से टकरा गई। शीशा टूट गया। मीडिया ने इसे क्रिश्चनिटी पर हमला बताया। जब से नरेन्द्र मोदी प्रधान मंत्री बने हैं, मीडिया ने एक वातावरण बनाया है कि भारत में धर्मनिरपेक्षता खतरे में है। नरेन्द्र मोदी का एक ही अपराध है कि वे आज़ाद भारत के पहले पूर्ण स्वदेशी प्रधान मंत्री हैं – चिन्तन में भी, व्यवहार में भी।

मीडिया की चिन्ता का दूसरा केन्द्र अरविन्द केजरीवाल बन रहे हैं। दिल्ली में उनकी अप्रत्याशित सफलता से वही मीडिया जो उन्हें सिर-आंखों पर बैठाती थी, अब बौखलाई-सी दिखती है। कारण स्पष्ट है – अरविन्द केजरीवाल में ही मोदी का विकल्प बनने की क्षमता है। धीरे-धीरे क्षेत्रीय दल किनारे हो रहे हैं और कांग्रेस की राजमाता एवं शहज़ादे अपनी चमक खोते जा रहे हैं। केजरीवाल भी मीडिया को भा नहीं रहे हैं क्योंकि मोदी की तरह वे भी एक देसी नेता हैं जो अपने सीमित शक्तियों और साधनों के बावजूद आम जनता की भलाई सोचते हैं। मैंने बहुत सोचा कि आखिर मीडिया भारतीयता के पीछे क्यों हाथ धोकर पड़ी रहती है? मेरे प्रश्नों के उत्तर दिए मेरे एक मित्र श्री विन्देश्वरी सिंह ने जो जियोलोजिकल सर्वे आफ़ इन्डिया के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। उनसे प्राप्त सूचना का सार निम्नवत है –

सन २००५ में एक फ्रान्सिसी पत्रकार फ़्रैन्कोईस भारत के दौरे पर आया। उसने भारत में हिन्दुत्व पर हो रहे अत्याचारों का अध्ययन किया और बहुत हद तक इसके लिए मीडिया को जिम्मेदार ठहराया। उसने काफी शोध किए और पाया कि भारत में चलने वाले अधिकांश न्यूज चैनल और अखबार भारत के हैं ही नहीं। उसने पाया कि —

१. दि हिन्दू … जोशुआ सोसायटी, बर्न स्विट्जरलैंड द्वारा संचालित है।

२. एनडीटीवी – गोस्पेल आफ़ चैरिटी, स्पेन, यूरोप द्वारा संचालित।

३. सीएनएन, आईबीएन-७, सीएनबीसी – साउदर्न बेप्टिस्ट चर्च यूरोप द्वारा संचालित

४. टाइम्स आफ़ इन्डिया ग्रूप – बेनेट एन्ड कोलमैन यूरोप द्वारा संचालित। इसके लिए ८०% फ़न्डिंग क्रिश्चियन कौन्सिल द्वारा तथा २०% फ़न्डिंग इटली के राबर्ट माइन्दो द्वारा की जाती है। राबर्ट माइन्दो कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के निकट संबंधी हैं।

५. हिन्दुस्तान टाइम्स ग्रूप – पहले यह बिरला ग्रूप का था। अब इसका भी स्वामित्व टाइम्स आफ़ इन्डिया के पास है।

६. दैनिक जागरण ग्रूप – इसके एक प्रबंधक समाजवादी पार्टी से राज्य सभा के सांसद हैं। सभी को ज्ञात है कि समाजवादी पार्टी मुस्लिम परस्त है।

७. दैनिक सहारा – जेल में बंद सुब्रतो राय इसके सर्वेसर्वा हैं जो मुलायम और दाउद के करीबी रहे हैं।

८. आन्ध्र ज्योति – हैदराबाद की घोर सांप्रदायिक पार्टी MIM ने इसे खरीद लिया है।

९. स्टार टीवी ग्रूप – सेन्ट पीटर पोंटिफ़िसियल चर्च, यूरोप द्वारा संचालित

१०. दि स्टेट्समैन – कम्युनिस्ट पार्टी आफ़ इन्डिया द्वारा संचालित।

…. यह लिस्ट बहुत लंबी है। किस-किस का उल्लेख करें?

जिस मीडिया की फ़न्डिंग विदेश से होती है वह भारत के बारे में कैसे सोच सकती है? यही कारण है कि यह मीडिया शुरु से ही इस धरती और धरती-पुत्रों को अपनी आलोचना के निशाने पर रखती है। देर-सबेर केन्द्र सरकार को भी इनपर लगाम लगानी ही पड़ेगी।

7 COMMENTS

  1. मीडिया को केजरीवाल या मोदी जब तक चुनाव में अपने पक्ष में इस्तेमाल होता देखते हैं तब तक कोई परेशानी नहीं होती लेकिन जब सत्ता में आने के बाद यही मीडिया इनकी मनमानी या वादों से मुकरने पर सवाल खड़े करता है तो इनको मीडिया विदेशी हाथों में खेलता और भारत विरोधी नज़र आने लगता है….
    दरअसल जिसको हिंदुत्व भारतीयता राष्ट्रीयता का चौला पहनाकर सत्ता हथियाने का औज़ार बनाया जाता रहा है वो नक़ाब एक ही साल में दावों की पोल खुलने से तार तार हो चुका है। कांग्रेस इतनी भृष्ट अहंकारी और मुस्लिम कट्टर पन्थ की तरफ न झुकती तो मोदी इसी मीडिया का कॉर्पोरेट के अकूत धन से दुरूपयोग करके कभी सत्ता में न आ पाते। हिन्दू साम्प्रदायिकता और झूठे विकास के दावों का भूत एक साल में ही अमीरपरस्त सरकार की हरकतों से जनता के सर से उतरना शुरू हो गया है
    मीडिया को दोष मत दो क्योंकि मोदी जी हर क्षेत्र में विदेशी निवेश पूरी दुनिया में घूमकर मांग रहे है फिर मीडिया में ही इस से परहेज़ क्यों ?
    दिल्ली में आपकी जीत को अपवाद बताकर खुद को धोखा देने वाले संघ परिवार को बिहार बंगाल और यू पी में अपनी घटती हैसियत का पता लग जाएगा थोडा सब्र रखो भाई……

  2. मीडिया को लेकर मैं आपके मनोभाव का आदर करता हूँ लेकिन भावना में बह असंतुष्ट होने के बदले हमें ऐसी स्थिति का समाधान सोचना होगा| प्राचीन काल से भारतीय क्षेत्र में प्रांतीय सामंतवाद, सांस्कृतिक प्रथाओं, भाषाओं, रीति-रिवाज़ों आदि में विविधता का प्रभाव आज भी विद्यमान है और राष्ट्र को एक डोर में पिरोती सामान्य राष्ट्रभाषा के अभाव के कारण इस अनेकता में राष्ट्रीय एकता भी भारतीय नागरिकों में राष्ट्रवाद को पूर्णतया जगा नहीं पाई है| मेरा विश्वास है कि तथाकथित स्वतंत्रता के बहुत पहले से ही फिरंगी की बांटो और राज करो नीति का अनुसरण कर नागरिक प्रशासन के लिए अंग्रेजों द्वारा प्रयोग में लाई गई १८८५ में जन्मी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस समसामयिक मीडिया के माध्यम से इसी विविधता का लाभ उठा सत्ता में रह सकी है| आज देश की दयनीय स्थिति का एकमात्र कारण भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस व राजनीति में उनके साथी दल सहानुभूतिपूर्ण मीडिया में राष्ट्रवादी मोदी जी के शासन का विरोध कर भारत पर फिर से नियंत्रण प्राप्त करने के क्रूर प्रयास में लगे हुए हैं| विडंबना तो यह कि मीडिया में व्यर्थ के वाद-विवाद में बंट हम राष्ट्रविरोधी तत्वों को लाभान्वित किए जा रहे है| संगठित हो हमें समाज व राजनीति में राष्ट्रवादी विषयों का समर्थन करना होगा|

    जहां तक “मीडिया की फ़न्डिंग” का प्रश्न है, मीडिया और मनोरंजन उद्योग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के अंतर्गत विज्ञापन द्वारा अर्थप्राप्ति एक महत्वपूर्ण कारण रहा है जो कि लगभग २०१० में प्रारंभ की गई एक प्रकार से रोजगार-जनक योजना मानी गई थी| भारतीय समाज और उसको प्रभावित करती भारतीय राजनीति पर प्रत्यक्ष विदेश निवेश के दुष्प्रभावों को रोकने अथवा नियंत्रित करने के लिए नियामक व्यवस्था अति आवश्यक है| विशेषकर सामान्य भारतीयों में राष्ट्रवादी राजनीति जागरूकता होने पर मीडिया और मनोरंजन उद्योग में यथासंभव सुधार किए जाने पर उपस्थित चिंताजनक स्थिति का समाधान ढूंढ़ा जा सकता है|

  3. मिडीया का स्वामित्व परदेशी और हमारी राष्ट्रीयता का शत्रु है।
    इनके प्रभाव के बाहर, ओबामा भी नहीं होगा। उसे भी अपना पद रखना है।
    ===>इनका तंत्र है, “control the opinion makers”–Control the Indian nation. किसी समाचार को पढें, शीर्षक और आशय में अंतर देखेंगे।
    पण्डितों की, (तिवारी, शर्मा) की चलती है। रेडियोपर उनके हिन्दी उच्चारण से उनका नकलीपन खुल जाता है।
    लेखकों को टटोलने, Feelers दलालों कॊ भेजा जाता है।
    चर्च को सबसे बडा डर हिन्दुत्व से है। मित्रों के अनुभवों से अवश्य लगता है।
    एक त्रिनिदाद के पण्डित के,अनुभव सुने, तो, सारा स्पष्ट हुआ। बताऊँ, तो,पूरा आलेख बन जाए।
    इन के पास कोई धर्म नहीं है। हमारी धर्म=रिलिजन की मान्यता मूर्खता है।
    निराश हुए बिना जगाते रहे।
    अनेकानेक धन्यवाद।

  4. मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूँ ! जहाँ तक मेरी जानकारी है 60% समझदार लोगों ने टीवी चैनल्स देखना बंद कर दिया है वे सोशल साइट्स पर अधिक भरोसा करते हैं !! इन परिस्थितियों के लिए रिलायंस पूरी तरह जिम्मेदार है – 18 चैनल्स को खरीदकर रिलायंस ने पत्रकारिता की अंतिमक्रिया कर दी है !!! न्याय-इंसाफ के लिए खतरा हैं ये रिलायंस वाले —- ये धार्मिक थे ही कब ? इनके मॉडल राज्य गुजरात में तो सभी धर्माचार्य किसी न किसी कॉरपोरेट घराने के प्रचारक बने हुए हैं – धन इकट्ठा करने के अलावा समाज की भलाई-न्याय-इंसाफ से दूर-दूर का नाता नहीं है ?? सभी मंदिर प्रात: 06 से 12 और शाम 05 से 08 खुलते हैं बाकी समय भगवान भी ताले में कैद रहते हैं — आए दिन किसान-मजदूर मरने को मजबूर हैं ??? रिलायंस जामनगर से सटे नवागाँव की महिला सरपंच झाला ज्योत्सना बा रिलायंस की प्रताड़नाओं से तंग आकर 23-2-15 को पूरे परिवार के साथ जहर पीने को मजबूर होती हैं ! मॉडल राज्य गुजरात की पुलिस ने अभी तक रिपोर्ट नहीं लिखा है !! हाँ जामनगर की बीजेपी सांसद पूनम मॉडम भागवत के कार्यक्रम में ठुमके लगाते हुए 03 करोड़ की गड्डियाँ अवश्य लुटा देती हैं पर गायों के लिए अपने गाँव के चरागाह बचाने के लिए रिलायंस से लड़ने वाली सरपंच झाला ज्योत्सना ( सम्पर्क – 9824236692 ) को बचाने नहीं आती हैं – ये है उनका धार्मिक दृश्टिकोण — ऐसे धार्मिक लोगों से रिलायंस-बीजेपी भरी हुई है ????? मैं आपसे सहमत हूँ — ” याद हो कि कुछ महीनों पहले एक समाचार आया था कि मुकेश अंबानी के बेटे की गाड़ी से दो फुटपाथी कुचल गये थे। यह मामला मीडिया से ग़ायब हो गया। किसी को कुछ नहीं पता कि फिर कुचलने वाले का क्या हुआ ?”
    निखिल वागले ने यही बात उठाई थी। लेकिन एनडीटीवी ने वागले का यह अपने संपादन में हिस्सा उड़ा दिया। हालांकि संपादन चैनल के संपादक का अपना विवेकाधिकार है फिर भी यह प्रश्न तो खड़ा हो ही गया है कि क्या अंबानी के सामने एनडीटीवी जैसा चैनल भी बेबस है ?”
    इसी दुखद घटना पर फारूक अब्दुला जी ने ट्विट किया था :– “बम्बई पुलिस के अलावा बाकी पूरे देश को मालूम है गाड़ी कौन चला रहा था ?”
    18 चैनल्स को खरीदकर रिलायंस ने पत्रकारिता की अंतिमक्रिया कर दी है — जब अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में डीजल-पेट्रोल के दाम घट रहे थे 33%गैस के दाम बढ़ाना- युरिया के दामों में बढ़ोत्तरी से किसानों का मरना, मुम्बई मेट्रो का किराया बढ़वाना,पाकिस्तानी बॉर्डर पर रिलायंस द्वारा देश के खिलाफ गतिविधियों पर लिखित शिकायत पर मोदी साहब की चुप्पी इस बात के प्रमाण हैं—-
    पूरा खानदान ही खूनी है, इनके पापा मुकेश अम्बानी पेट्रोल – डीजल के दाम बढ़वाकर महँगाई बढ़वाकर देश को लूट रहे हैं, मना करने पर रातोंरात श्री जयपाल रेड्डी को हटवाकर वीरप्पा मोइली को पेट्रोलियम मंत्री बनवाकर लूट जारी रखे हैं। इनकी माता नीता अम्बानी के.डी. अम्बानी विद्या मंदिर रिलायंस स्कूल जामनगर ( गुजरात ) की चेयरमैन हैं और वहाँ हिंदी शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ जानवरों जैसा सलूक होता है । कई लोगों ने प्रताड़नाओं से तंग आकर आत्मह्त्या तक कर लिया है, जिनपर लिखित और मौखिक शिकायत करने के बाद तथा महामहिम राष्ट्रपति-राज्यपाल और प्रधानमंत्री का जाँच करने का आदेश आने के बावजूद भी रिलायंस की हराम की कमाई डकार कर गुजरात सरकार चुप बैठी है । रिलायंस के पैसे के चक्कर में राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रति बेरुखी का रूख दिखाकर मोदी साहब उत्तर भारत में अपनी जड़ कटवा रहे हैं !अभी भी सम्हल जाओ नीचे से ऊपर तक सबको रिलायंस ने खरीदा हुआ है तभी तो नीरा राडिया टेप मामले पर न्यायालय भी चुप है !!! ऐसे ही देशद्रोहियों से मैं लड़ रहा हूँ ! 23-2-15 को नवागाँव जामनगर की महिला सरपंच झाला ज्योत्सना बा रिलायंस की प्रताड़नाओं से तंग आकर पूरे परिवार के साथ जहर पी लेती हैं पर मॉडल राज्य गुजरात की पुलिस ने अभी तक रिपोर्ट भी नहीं लिखा है ! पर्यावरण के प्रति जागरुक युवक अजीज को रिलायंस नेशनल सेक्यूरिटी एक्ट में बंद करवाकर दहशत फैला रही है !! मनोज परमार, अकबर मुहम्मद आदि शिक्षकों के अलावा धनंजय शर्मा जैसे टेक्निकल एडवाइजर की आत्महत्या रिलायंस के नरसंहार को दर्शा रही है पर सब रिलायंस की जेब में हैं ऐसा उनके अधिकारी ही कहते हैं —–

    • सदियों से लुटेरों और आक्रमणकारियों के अधिपत्य व संरक्षण में जीवन यापन करते भारतीयों में व्यक्तिगत सांस्कृतिक व भूगोलिक विभिन्नता के कारण राष्ट्रवाद की भावना न जाग पाई है। कल तक राजनीतिक जागरूकता विहीन सामान्य भारतीय जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं, खाना पीना और हगना, से जूझता आज अकस्मात् वैश्विक तथा उपभोक्तावाद के वातावरण में धकेले जाने पर बौखला सा गया है। इस बौखलाहट में हम अच्छे बुरे की पहचान नहीं कर पा रहे हैं। मेरी समझ में इस अभाग्यपूर्ण स्थिति का समाधान केवल राष्ट्रवाद में है। मोदी जी १२५-करोड़ सशक्त भारतीयों में राष्ट्रवाद फूंक उन्हें संगठित सुढ़ृड एवं समृद्ध भारत की ओर ले जाना चाहते हैं। उन्हें आपकी भर्त्सना नहीं आपका समर्थन चाहिए।

      • डॉ.अशोक कुमार तिवारी जी से उनकी टिप्पणी के प्रतिउत्तर में अपनी उपरोक्त टिप्पणी और अन्यत्र श्रीराम तिवारी जी के निबंध, ‘एक साल में ही सुशासन, विकास की लहर जनाक्रोश की सुनामी में बदलने को बेताब’ पर प्रस्तुत मेरी टिप्पणी को लेकर मैं उनके विचार जानने का आग्रह करूँगा|

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