मेरे संस्मरण

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pravaktaवक्ताओं से भरे इस देश में  समाज के सभी वर्ग के सशक्त प्रवक्ता के रूप में खुद को पांच साल की छोटी अवधि में राष्ट्रीय -अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर स्थापित करना अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है जिसके लिए संजीव जी सहित उनकी पूरी सम्पादकीय टीम बधाई और साधुवाद के पात्र हैं।

प्रवक्ता वाकई अभिव्यक्ति का अपना मंच है जहाँ हमें  एक साथ समाचार, विचार, साहित्य, धर्म-अध्यात्म  से लेकर राजनीति तक सब कुछ एक क्लिक मात्र से मिल जाता है, वह भी स्तरीय। नए एवं स्थापित रचनाकारों का जो  अद्भुत समागम प्रवक्ता के मंच पर दिखता है, वो अन्यत्र कहाँ दिखायी पड़ता है ? यही कारण है कि यह हर उम्र के पाठकों को समसामयिक रचनाओं के साथ साथ विविध विचारों एवं भारतीय मूल्यों से ओतप्रोत रचनाओं को परोसने में सक्षम है।

हालांकि एक रचनाकार के रूप में प्रवक्ता से मेरा जुड़ाव पिछले 14 अप्रैल,2013 यानी छह महीने से ही रहा है, तथापि मैं यह महसूसता हूँ  कि इस अवधि में प्रवक्ता के साथ मेरा एक भावनात्मक लगाव हो गया है। इस बीच कोई हफ्ता ऐसा नहीं गुजरा जब संपादक जी ने मेरी कोई न कोई रचना प्रकाशित कर मेरा मान न  बढ़ाया हो, मेरा उत्साहवर्धन न किया हो।

हमारे देश में मीडिया जिस संक्रांति काल से गुजर रहा है, वहां प्रवक्ता जैसे मंच का और मजबूत  हो कर उभरना नितांत आवश्यक हो जाता है।  मुझे विश्वास है  कि प्रवक्ता अपनी इस अभिनव एवं रोमांचक यात्रा में नित नयी उपलब्धियों  के साथ आगे बढ़ता रहेगा, हमारे जैसे हजारों पाठकों – लेखकों का यथोचित सहयोग और समर्थन तो हमेशा रहेगा ही।

असीम शुभकामनाएं।

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