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ज्वलंत मुद्दों पर बहस है 'प्रवक्‍ता' की खासियत - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
प्रिय संजीव जी, नमस्कार! पांच वर्ष पूर्व 'प्रवक्ता' के रूप में आपने जो वैचारिक अंकुर लगाए थे वह अब वृक्ष का आकार लेने लगा है। 'प्रवक्ता' आज जिस मुकाम पर है वह वाकई में एक मिसाल है। पिछले दो दशकों में पत्रकारिता की दुनिया काफी बदल गयी है। वर्तमान में…