प्रवक्ता डॉट कॉम के पाँच वर्ष पूरे होने पर इसके संपादक मंडल और इससे जुड़े सभी लेखकों को बहुत बहुत बधाई।
मैं प्रवक्ता से जब जुड़ी तब प्रवक्ता ने अपनी तीसरी वर्षगाँठ मनाई थी। दो साल से ये साथ बहुत अच्छा चल रहा है। प्रवक्ता का रुझान किसी राजनैतिक दल से नहीं है, लेख अच्छा हो, तर्क अच्छे हों तो वो किसी भी विचारधारा के लेखों को प्रकाशित करने में संकोच नहीं नहीं करती।
प्रवक्ता मे साहित्यिक रचनाओं को भी समुचित स्थान मिलता है। प्रवक्ता मे कहानी, लघुकथा, निबन्ध विभिन्न विषयों पर प्रकाशित होते रहते हैं। एक ओर पुराने अनुभवी लेखकों की रचनायें पढ़ने को मिलती हैं तो दूसरी ओर नये से नये लेखकों को प्रकाशित करने मे प्रवक्ता का संपादक मंडल नहीं हिचकिचाता।
प्रवक्ता में बच्चों के लिए भी बहुत मासूम कथाएं और कविताएं प्रकाशित होती हैं। श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव बच्चों के पन्ने के प्रमुख लेखक हैं जो बच्चों का ही नहीं बड़ों का भी मन मोह लेते हैं। महिलाजगत मे भी अच्छी जानकारी दी जाती है। खानपान मे नये से नई खाना बनाने की विधियाँ पढ़ी जा सकती हैं।
हास्य व्यंग चुटकुलों के लियें भी प्रवक्ता में स्थान है। इसके अतिक्त शिक्षा, रोज़गार, तकनीक और विज्ञान से जुड़े विषयों पर भी प्रवक्ता मे प्रचुर सामग्री उपलबध है।
स्वास्थ, आध्यात्म जनजागरण के विषयों पर भी बहुत सी जानकारी मिलती है।
प्रवक्ता एक संपूर्ण पारिवारिक पत्रिका है, जिसमे हर आयुवर्ग के लिए कुछ न कुछ है और भाषा में अभद्रता या अश्लील चित्रों का कोई स्थान नहीं है।
पिछले दो साल में प्रवक्ता को मैंने 101 रचनायें दी है और मुझे बहुत अच्छे पाठक मिले हैं। प्रवक्ता के संपादक मंडल का भी व्यवहार लेखकों से सराहनीय है , इसलिए जो लेखक प्रवक्ता से जुड़ जाते हैं, उनका रिश्ता मज़बूत हो जाता है।
प्रवक्ता की पाँचवींवर्षगाँठ पर इसके संपादक मंडल,लेखकों, पाठकों और टिप्पणीकारों को बहुत बहुत बधाई।