मेरे घर मे शौचालय है।

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sauchalayaगांव की प्रतिष्ठा का प्रतीक-शौचालय

ऊषा राय

अपनी माँ और दादी के साथ उत्र प्रदेश मे अमेठी जिले के नोहरेपुर मे रहने वाली सत्रह साल कि कृष्णा अपने घर मे शौचलय बनवाना चहती थी। उसके भाई और उसके पिता जो मुम्बई मे काम करते हैँ, उनकी मंज़ूरी के बिना घर मेँ शौचलय नही बन सकता था। जब वो मार्च मे होली मनाने घर आएँ तब कृष्णा ने अपने पिता से शौचालय बनाने की मांग की पर वो बिना शौचालय बनाए ही वापस लौट गए। एक महिने बाद उसके पिता फिर वापस आए और इस बार कृष्णा ने शौचालय बनवाने की ज़िद पकड़ ली। वो कहने लगी कि उनसे छोटे घरोँ और गरीब परिवारोँ ने भी शौचालय बनवा लिये हैं। गांव के प्रधान भी जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति की मोहर पाने के लिये और नोहेरपुर को खुले मे शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित करने के लिये बचे हुए घरो मे शौचालय बनवाने के लिये फन्ड दे रहे हैँ। इस बात पर कृष्णा के पिता मान गए और उनके घर के आंगन मेँ एक नहीँ बल्कि दो शौचालय बन गये वो भी मात्र 50000 रुपये मेँ।
आज उस गांव के बाहर एक बोर्ड भी लगा है जो ये दर्शाता है कि नोहेरपुर खुले मे शौच से मुक्त गांव है, और गांव मे आने जाने वाले लोग कृष्णा के घर रुक कर उसे बधाई ज़रूर देते हैँ। इस साल अप्रैल मई और जून मेँ उत्र प्रदेश के 4 गांव खुले मे शौच से मुक्त घोषित किये गये – जिसमे से 3 तो अमेठी जिले के तिकारिया, नोहेरपुर और दरिपुर हैँ और एक सुल्तानपुर जिले के खेरि दोवापुर मे है। इन 4 मेँ से 3 गांव मे तीन साल से गेट्स फाउंडेशन की सहायाता से पानी की सुरक्षा और स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। इस बारे मे अमेठी और सुल्तानपुर के जिला मजिस्ट्रेट चन्दर कान्त पान्डे और एस राजलिंगम ने बताया “इन चारोँ गावोँ को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है पर अभी स्वच्छ भारत मिशन की राज्य और केन्द्रिय समूह से अनुमती मिलना बाकी है”। आगे पान्डे जी कहते हैँ “उनका लक्ष्य वित्तीय वर्ष के अंत तक 52 गांव को ओडीएफ की श्रेणी मे लाना है”।
उत्तर प्रदेश का बिजनौर जिला अपने क्षेत्र को खुले मे शौच मुक्त बनाने के लिए प्रयासरत है, और इस जिले मे 1 साल मे 1100 शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा गया है। जबकि जिले मे शौचालय बनाए जाने और इस्तमाल किये जाने के बारे मे लोगो की विचारधारा बदलना आसान काम नही है। इस बारे मे राजीव गांधी महिला विकास परियोजना की सामुदायिक स्वास्थ्य प्रशिक्षक शंकुतला कहती हैं “मुझे चार साल लगे नोहेरपुर के छः स्वंय सहायता समूह को साफ- सफाई और शौचालय की महत्वपूर्णता समझाने मे, और आज गांव के कुल 91 घरो मेँ शौचालय और पानी की सुविधा है। अधिकांश के घरो मे छोटे और मामूली शौचालय हैँ, बहुत ने तो सरकार की 12000 रुपये की सहयता राशि से शौचालय बनाये। इस शौचालय को बनाने के लिए 2 गड्डोँ के तरीके का इस्तेमाल किया जाता है। जब एक गड्डा 5 सालोँ मे भर जाएगा, तो दुसरा गड्डा इस्तेमाल किया जायेगा। और पहले गड्डे मे सूखे हुए मल मूत्र को खाद की तरह इस्तेमाल किया जायेगा। अच्छी बात यह है कि पुरुष और महिलाएँ दोनो शौचालयोँ को साफ करने की ज़िम्मेदारी उठा रहे हैँ। लोगोँ को खुले मे शौच के खिलाफ जागरुक करने वाले तेग बहादुर,जो निगरानी समिति के सदस्य हैँ, कहते हैँ “पहले गांव मे लोग ‘घर और वर’ देखने आते थे, मगर अब ये देखने आते हैँ कि हमारे घरो मे शौचालय है या नही”। 26 मई 2016 को जिस दिन नोहरेपुर गांव को खुले मे शौच मुक्त घोषित किया गया इस खुशी मे जिला मजिसेट्रेट की अगुवाई मे पुरे गांव मे नाच गाने के साथ एक रैली का आयोजन किया गया जिसमे पुरे उत्साह के साथ लोग नारे लगा रहे थे “मेरे घर मे शौचालय है” । इस रैली मे गांव के युवाओ को सीटियाँ, टॉर्च और टोपियाँ दी गयी ताकि वो गांव की निगरानी करें और ये ध्यान रखे कि उनके इलाके मेँ कोइ गन्दगी न फैलाए। अगर कोई ऐसा करते हुए पकड़ा गया तो उनको इतना शर्मिन्दा करें कि वो शौचालय बनाने और उसको इस्तमाल करने पे मजबूर हो जाये।
सुलतानपुर जिला के खेरी दोवापुर के ओडीफ घोषित होने से पहले 65 वर्षिय भागवती दीन जो एक दैनिक मजदूर है उनके पास शौचालय बनवाने को न तो जमीन थी न पैसा। उन्होने “कोमल” समूह की सहायता से, घर मे प्रवेश करने वाले स्थान पर ही एक छोटा शौचालय बनाया। ये शौचालय उनकी ओर से बहू के लिए उपहार था लेकिन इस्तेमाल घर के बाकी सद्स्य भी करते हैं।
“माया महिला स्वयं सहायता समूह” की माया देवी ने अपने 16 जनों के परिवार के लिए 2 शौचालय बनवाया। उन्होने गांव की एक सभा में ये भी बताया की कैसे मलमूत्र और मक्खी हमारे घर तक पहुंच कर बिमारियाँ फैलाती हैं। आज गांव के 64 घरों में शौचालय है और सतर्कता समिति सुबह शाम दो-दो घन्टे गांव को खुले मे शौच से मुक्त करने के लिए पहरा देती हैं।
इसके अलावा गांव वालों ने तालाब को भी साफ कर दिया ताकि जानवरों को भी साफ पीने का पानी मिल सके। और बच्चे सफाई के नारे ऐसे दोहराते हैं जैसे राष्ट्रीय गान हो। अब इन गावों के लोग गर्व से कहते हैं कि मेरे घर मे भी शौचालय है।

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