सरफ़राज़ ख़ान
अगर कोई अपना वजन नियंत्रित कर लेता है तो मुख्य धामनियों की दीवारों पर कैल्शियम के जमाव की समस्या को कम कर सकता है। इससे अथेरोस्क्लेरोसिस बनने की गति धीमी हो जाती है।
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल के मुताबिक़ पेंसिल्वेनिया के यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग के डॉ. ट्रेवर जे. ऑर्चर्ड और उनके साथियों ने एक स्टडी में पाया कि दिल की धामनियों से जुड़ी बीमारियों का सीधा संबंध वजन में बढ़ोतरी से होता है। इससे बीमारी का खतरा 38 पर्सेंट तक बढ़ जाता है।
अमेरिकन जर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक सप्ताह के अधिकतर दिन 30 मिनट तेज कदमों से टहलना मेटाबोलिक सिंड्रोम को ठीक करने के लिए काफी है, जो कि दिल की बीमारियों, डायबीटीज और स्ट्रोक के लिए जिम्मेदार है। मेटाबोलिक सिंड्रोम वाले एक तिहाई वयस्कों में कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं जो कि वॉकिंग से अपने अपनी परेशानियां कम कर सकते हैं।
मेटाबोलिक सिंड्रोम अपने आप में एक बीमारी है, इस बात को लेकर एक्सपट्र्स के बीच बहस चल रही है। कुछ एक्सपट्र्स का मानना है कि इसे एक गंभीर बीमारी की तरह लिया जाना चाहिए क्योंकि इससे कई तरह की खतरनाक बीमारियां जुड़ी हुई हैं। मेटाबोलिक सिंड्रोम के साथ हाई ब्लड प्रेशर, ट्राइग्लिसराइड का ज्यादा स्तर, अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) की कमी और ब्लड शुगर का स्तर ज्यादा। अगर आप पांच में से तीन या इससे ज्यादा रिस्क के दायरे में आते हैं तो आप मेटाबोलिक सिंड्रोम की गिरफ्त में हैं। (स्टार न्यूज़ एजेंसी)