आने वाले दिनों में उग्रवादी समूह लिट्टे भारत के लिए खतरा बनकर सामने आएगा। इस उग्रवादी समूह से निबटने के लिए भारत को सही दिशा में काम करना होगा। सही रणनीति बनानी होगी और उस पर अमल करना होगा। हलांकि भारत सरकार ने दुनिया के अत्यंत घातक आतंकवादी संगठनों में से एक लिबरेशन टाइगर्स आफ तमिल ईलम (लिट्टे) पर 23 साल से लगे प्रतिबंध को और पांच साल के लिए बढ़ा दिया है। सरकार ने लिट्टे को भारत की संप्रभुता एवं अखंडता के लिए खतरा करार दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि श्रीलंका में मई 2009 में अपनी सैन्य पराजय के बावजूद लिट्टे ने ‘ईलम’ के विचार को नहीं छोड़ा है और पैसे इकट्ठा करने तथा दुष्प्रचार की गतिविधियों को अंजाम देकर वह गुप्त रुप से ‘ईलम’ के लिए लड़ाई लड़ रहा है। साल 1991 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद से ही लिट्टे पर प्रतिबंध है। अधिसूचना में मंत्रालय ने कहा कि लिट्टे के बचे हुए नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने अपने लोगों को एकजुट करना शुरू कर दिया है और संगठन को स्थानीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिर से खड़ा करने में लगे हुए हैं। सरकार ने आशंका जताई कि अलगाववादी तमिल उन्मादी समूह और लिट्टे समर्थक समूह लोगों के बीच अलगाव की भावना जगाने में लगे हुए हैं और भारत, खासकर तमिलनाडु, में लिट्टे के समर्थन का आधार बढ़ाने की जुगत में हैं। अधिसूचना के मुताबिक, लिट्टे की पराजय के लिए भारत सरकार को जिम्मेदार करार देते हुए श्रीलंकाई तमिलों के बीच भारत विरोधी भावनाएं फैलाई जा रही हैं। यह काम इंटरनेट पोर्टलों में आलेखों के जरिए किया जा रहा है। इंटरनेट के जरिए किए जा रहे ऐसे दुष्प्रचार से भारत में वीवीआईपी सुरक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। गृह मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार का विचार है कि लिट्टे एक ‘गैर-कानूनी संगठन’ है और ऐसी अलगाववादी गतिविधियों को हरसंभव उपायों के जरिए नियंत्रित किए जाने की जरूरत है।
अधिसूचना के मुताबिक, तमिलनाडु में लिट्टे कैडरों, उनसे सहानुभूति रखने वाले लोगों की गतिविधियों से पता चलता है कि उन्हें अंततरू लिट्टे द्वारा गैरकानूनी गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाएगा। भारत सरकार को पता चला है कि प्रतिबंध प्रभावी होने के बावजूद लिट्टे समर्थक संगठनों एवं व्यक्तियों द्वारा लिट्टे के समर्थन की कोशिश की गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून 1967 के प्रावधानों के तहत ‘गैर कानूनी संगठन’ के रूप में लिट्टे को प्रतिबंधित किया है। लिट्टे पर ‘गैर कानूनी संगठन’ के रुप में प्रतिबंध की अवधि 14 मई 2014 से पांच साल के लिए और बढ़ाई गयी है। लिट्टे ने ही आत्मघाती हमले में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की थी। श्रीलंकाई सेना के साथ संघर्ष में हालांकि लिट्टे को 2009 में पराजय का मुंह देखना पड़ा। वी प्रभाकरण के नेतृत्व में लिट्टे द्वारा छेड़े गए खूनी संघर्ष में हजारों लोग मारे गए। प्रभाकरण श्रीलंकाई सेना के साथ संघर्ष में मारा गया था। एक बार फिर लिट्टे की पनपती गतिविधियां देश में चल रहे शांति के प्रयासों की दिशा में चिंता का विषय बन गई है। देश में आने जा रही नई सरकार को इससे निबटने के लिए नई रणनीति तैयार करनी होगी।