समझ नहीं आता कि जिस समय चैत्र नवरात्रों के अतिंम दिनों में देश भर में कन्या पूजन हो रहा था वही दूसरी तरफ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली व मध्यप्रदेश जैसे राज्य में अबोध बालिकाएं दुष्कर्मियों का शिकार हो रही थी। इसे देश का दुर्भाग्य कहना गलत नहीं होगा। दुष्कर्म की तारीख बदल गई मगर स्थान दिल्ली ही रहा जहां एक वहशी दरिदें ने पांच वर्षीय गुडिया के साथ दुष्कर्म किया। दुष्कर्मी की बर्बरता से एक बार फिर जनसैलाब सडकों पर उतर गया। चार महीने पहले भी दामिनी के ऐसा ही हादसा होने से पूरा देश एकजुट हो गया था ।मगर फिर वही हुआ । अभी गुडिया का एम्स में इलाज ही चल रहा था कि बदरपुर में एक टायलैट में एक पांच वर्षीय बच्ची भी बेहोशी की हालत में मिली बच्ची के साथ दुष्कर्म करके बहां फैंक दिया था। इतना बडा हादसा होनें के बाद भी दरिदों ने अपनी दरिदंगी बरकरार रखी। दिल्ली पुलिस ने भी कोई सबक नहीं सीखा नतीजन दुष्कर्म घटने के बजाए बढते गये। नवरात्रों में इतने दुष्कर्म के मामले घटित हुए कि प्रतिदिन कहीं न कहीं से ऐसे मामले खबरों की सुर्खियां बनती रही। अबोध बालिकाओं को निशाना बनाना बहुत ही दुखद व शर्मनाक है । बढते मामलों से यही आभास हो रहा है कि देश में हैवानों व शैतानों का बोलबाला हो गया हो ।ऐसे कौन से कारण है कि इन मामलों पर रोक नहीं लग पा रही हैं। इन हादसों से दिल्ली पुलिस का चेहरा भी बेनकाब हो गया है कि सुरक्षा का दम भरने वाली दिल्ली पुलिस लोगों की कैसी रक्षा कर रही है कि इन मामलों में बेतहाशा वृद्वि होती जा रही है। दुष्कर्म के लगभग 40000 मामले अदालतों में लम्बित है आकडें बताते है कि 2011 में नाबालिगों से दुष्कर्म के 24206 मामले हुए। इनमें 14 वर्ष से कम उम्र के लगभग 2582 मामले प्रकाश में आए। 14 से 18 बर्ष की उम्र के 4646 मामले दर्ज हुए। 22549 मामलों में दुष्कर्म करने वाले आरोपी परिचित ही निकले। जबकि 7835मामलों में पडोसी निकले , 1560 मामलों रिश्तेदार ही निकले। 267 मामलों परिवार के नजदीकी सदस्य दोषी पाए गए। 94 प्रतिशत से ज्यादा मामलों परिचितों ने ही दुष्कर्म किया 609 मामलों रिश्तेदार ही दुष्कर्म करने वाले थे 347 मामलों पडोसियों ने ही अस्मत लूटी। 19 प्रतिशत मामलों दुष्कर्म पीडिता की आयु 14 से 18 वर्ष रही तो 10 प्रतिशत मामलों में पीडिता की उम्र 14 वर्ष से कम पाई गई । विडम्वना देखिए कि अप्रैल माह में ही एंटी रेप बिल पर मोहर लगी और 15 दिन बाद दरिदों ने दरिदगी की घिनौनी व रूह कंपा देने वाली घटना को अंजाम दे दिया । यह बहुत ही संगीन अपराध है कि दुष्कर्मियों ने गुडिया के शरीर में मोमबती व बोतल डाल दी । ऐसे लोग जानवर कहलाने लायक भी नहीं हैं जिन्होने दरिदगी की सारी हदें लाघ कर इतना बडा अपराध किया है।इस मामले मे पुलिस को कठघरे में खडा कर दिया है ।पुलिस का बच्ची के गुम होने को गंभीरता से न लेना व मामले को मात्र दो हजार रूप्ये में दबाने की पेश्कश बहुत ही शर्मनाक है। इस आचरण के विरूद्व प्रदर्शन कर रही लडकी पर पुलिस के एक सहायक पुलिस आयुक्त द्वारा तमाचे मारना बहुत ही घिनौना चरित्र है। पुलिस के इस आचरण पर सुप्रीम कोर्ट ने कडा संज्ञान लिया है तथा दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से जबाव तलब किया है ।अबोध बच्ची जिसे अभी दुनियादारी की समझ तक नहीं है उसके साथ ऐसा जघन्य अपराध बहुत ही लज्जाजनक है । ऐसे दरिदें न जाने कैसे वातावरण में रहते होगें ।ऐसे लोगो को समाज की कोई फिक्र नहीं होती कि उनके कृत्यों से पूरा समाज द्रवित होता है। समाज में ऐसे लोग बहुत ही घातक सिद्व हो रहे है। ऐसी घटनाओं पर रोक के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करने होगे। ऐसे दुष्कर्म सामाजिक मूल्यों का पतन दर्शातें है कि समाज में विकृत मानसिकता के लोगों का बोलबाला होता जा रहा है ।इन मामलों से इन्सानियत तार-तार हो रही है। समाज को ऐसे अपराधिक प्रवृति के लोगों की पहचान करनी होगी। यदि अब भी समाज के लोगों ने इन दरिदों को सबक नहीं सिखाया तो फिर से कोई मासूम गुडिया दरिदों की दरिदगी का शिकार होगी। अब समाज को जागना होगा ,दरिदों का खात्मा करना होगा। कानून के रखवालो को भी समाज में घटित इन हादसों पर गहराई से चितंन करना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे प्रकरणों पर विराम लग सके । ऐसे लोगो को समाज से बहिष्कृत करना चाहिए। अगर यह प्रवृति बढ गई तो हालात बेकाबू हो जाएगें। पुलिस को भी अपने कर्तव्य का निर्वाह करना होगा ताकि पुलिस की छवि बरकरार रहे और समाज में ऐसे हादसे रूक सके । केन्द्र सरकार को भी इन हादसों पर बिना समय गंवाए इन दुष्कर्मो को रोकने के लिए कारगर कदम उठाने चाहिए ताकि देश में ऐसी वारदातों की पुनरावृति न हो सके ।
जबतक कड़ी से कड़ी सज़ा नही मिलेगी और समा me नैतिक मूल्य स्थापित नही हो जाते तब तक कोइ बदलाव न्हीहोगा.