आईना ही फोड़ने में जुटे हैं नीतीश

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आईने में अपनी सूरत देखने के बजाए आईना ही फोड़ने में जुटे हैं नीतीश”

 

एक अजीबोगरीब हताशा का माहौल कायम है बिहार के सत्ताधारी दल जनता दल (यूनाइटेड) में विधानसभा  चुनाव नजदीक हैं लेकिन संगठन से जुड़े समर्पित लोगों में कोई उत्साह नहीं दिखता l  संगठन  से जुड़े लोगों और जनता से जुड़े चंद  नेताओं को नजरअंदाज कर जब से नीतीश जी ने अपनी ना समझ में आने वाली राजनीतिक रणनीति के साथ पार्टी को चलाने का फैसला  किया है  तभी से एक निराशा का माहौल कायम है जनता दल (यूनाइटेड) में । पार्टी से जुड़े वरिष्ट लोगों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन तोड़ने का फैसला नीतीश जी ने किसी के दबाब में आकर या किसी के कहने पर नहीं लिया था बल्कि वो खुद इसके लिए जिम्मेवार हैं लेकिन आज नीतीश जी इसका ठीकरा दूसरों के सिर  पर फोड़ रहे हैं l”

 

हाल ही में पार्टी के एक वरिष्ट नेता ने फोन पर बातचीच के क्रम में कहा कि ” नीतीश जी के एकतरफा फैसलों से आज पार्टी हाशिए पर खड़ी दिख रही है एवं हौसला पस्त कार्यकर्ता और चुनावी रणनीतिकार  विधानसभा  चुनाव के पहले ही हथियार डाल चुके हैं ।” वरिष्ट नेता ने आगे कहा कि  ने कहा कि “चुनावों में जब पार्टी  को जीत हासिल होती थी तो उसका सेहरा नीतीश जी खुद अपने सिर पर बाँध लेते थे  और जब  लोकसभा चुनावों में करारी हार मिली व आगामी विधानसभा चुनावों में  पराजय की नौबत आती दिख रही है तो जिम्मेदारी लेने के बजाय जवाबदेही दूसरों  पर डाली जा रही  है।” उन्होंने आगे कहा कि  ” लोकसभा चुनाव परिणामों के रूप में सामने आया जनाक्रोश  पार्टी या किसी अन्य के खिलाफ नहीं था  सिर्फ और सिर्फ नीतीश जी की नीतियों और उनके अहंकारी व्  अदूरदर्शी फैसलों के खिलाफ था    ।”

बातचीत के क्रम में उन्होंने आगे कहा कि ” नीतीश जी का ये इतिहास रहा है कि वो हमेशा सच्चाई का सामना करने से भागते रहे हैं और यही कारण है कि प्रदेश  की जनता का मोह पार्टी से भंग हो चुका हैइसका खामियाजा जनता दल (यूनाइटेड) को भुगतना पड़ रहा है  पार्टी  एक अहंकारी और जिद्दी नेतृत्व के सामने विवश है आईने में अपनी सूरत देखने के बजाए नीतीश  आईना ही फोड़ने में जुट गए हैं ।”

उन्होंने आगे कहा कि ” नीतीश जी को भी चाहिए कि वो अपने कार्यकर्ताओं एवं नेताओं  के समर्पण को  उनकी मजबूरी  न समझें और उनके मनोबल को कम करने के बजाए उनकी अहमियत को  समझें l  ” मैंने जब उनसे पुछा  कि क्या नीतीश संगठन को मजबूत होते हुए नहीं देखना चाहते हैं तो मुझे जो जवाब सुनने को मिला उसने सच में मुझे कुछ क्षणों के लिए सोचने को मजबूर कर दिया उन्होंने कहा ” नीतीश कभी भी संगठन को मजबूत नहीं होने देना चाहते थे और ना ही आज चाहते हैं क्यूँकि नीतीश सदैव इस सोच से सशंकित रहते हैं कि अगर संगठन मजबूत होगा तो उससे उभर कर कोई कदावर नेता उनको ही चुनौती ना देने लगे l “

 

मैंने फिर सवाल किया ” क्या संगठन से जुड़े लोग अपनी बात नीतीश जी तक पहुँचा पाते हैं नेता जी का जवाब था ” जब भी कोई नेता या सक्रिय कार्यकर्ता अपनी बात नीतीश जी के समक्ष रखता है या रखने की कोशिश भी करता है तो नीतीश पहले तो उपेक्षा पूर्ण ढंग से सुनते हैं फिर उसी की बातों से कुछ उसकी गलतियाँ  ढूँढ़ कर उसे सार्वजनिक रूप से लज्जित तथा जलील करते हैं ताकि भविष्य में वो मुँह खोलने की जुर्रत ही ना करे l ” उन्होंने आगे जोड़ा ” नीतीश जी की  हमेशा  यही कोशिश  होती है कि अच्छे पढ़े -लिखे प्रभावी  व् जागरूक कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ने ही न दिया जाए अन्यथा उनकी सक्रियता व् लोकप्रियता  नीतीश जी की  अति-महत्वाकांक्षी  कार्यशैली में बाधक बनेगीअक्सर यह कहकर उन्हें संगठन से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है कि वो तो अत्यंत -महत्वाकांक्षी  हैं।”

मैंने फिर सवाल किया क्या नीतीश अपनी पार्टी के मंत्रियों , सांसदों , विधायकों के क्षेत्रों के विकास में दिलचस्पी लेते हैं? नेताजी ने बिना देरी किए तुरंत जवाब दिया ” जब भी कोई नेता ऐसी बातों का जिक्र भी नीतीश जी के सामने करता है तो वो सन्दर्भ से हटकर या तो पूरे प्रदेश के परिपेक्ष्य में  बात करने लगते हैं या अपनी व्यस्तता का बहाना बना कर टाल देते हैं l ” मैंने फिर सवाल किया क्या आप ये कहना चाह रहे हैं कि नीतीश जी को पार्टी की तनिक भी चिंता नहीं है ? नेताजी ने  जवाब दिया ” नीतीश ने ये भ्रम पाल रखा है कि वो पार्टी से ऊपर हैं , पार्टी उनसे है वो पार्टी से नहींl ” मैंने नेता जी को बीच में रोकते हुए फिर पूछा क्या आप ये कहना चाहते हैं कि नीतीश जी जैसे लम्बे अनुभव वाले राजनेता  की राजनैतिक सोच संकुचित है ? इस सवाल का जवाब  नेता जी ने बड़े ही दार्शनिक अंदाज में दिया ” जब कुछ बड़े- बूढ़े लोग भी अपनी  ज्ञान,गरिमा,शिक्षा ,उम्र,अनुभव आदि की सारी मर्यादा भूल कर किसी को   दंडवत ,प्रणाम करने या  पूजने लगते हैं तो स्वाभाविक है कि आदमी स्वयं को सर्वे-सर्वा और  श्रेष्ठ समझने लगता है और उसे अपनी सोच के आगे दूसरों की सलाह और सोच तुच्छ दिखाई देने लगती है l “

 बातचीत काफी लम्बी हो चली थी और मैंने आसन्न विधानसभा चुनावों से जुड़े एक  अहम सवाल के साथ इसे विराम देने की सोची और अपना अंतिम  सवाल दाग दिया  क्या आपकी पार्टी में टूट की कोई सम्भावना है ? नेताजी ने एक पल की चुप्पी साधी और बड़े ही गम्भीर छायावादी लहजे में जवाब दिया ” उचित समय आने दीजिए , पार्टी तो ऐसे बिखरेगी की फिर कभी नहीं सँवरेगी, सब के सब बस ऐसे समय में इस डूबती हुई नैया से छलांग लगाएंगे जब नैया बीच मझधार में होगी l ” मैं अपने आप को रोक नहीं सका और एक सवाल फिर से पूछ डाला किसके ( किस पार्टी के ) साथ  जाएंगे आप लोग ? नेताजी अब तक अपनी ‘लय’  में आ चुके थे शायद ! कहा ” राजनीति में दुश्मन का सबसे ताकतवर दुश्मन ही सबसे अच्छा दोस्त बन सकता है , धैर्य रखिए सब पता चल जाएगा l”

 

1 COMMENT

  1. Nitish Kumar is an evil person and good for nothing . He has ran away from his responsibilities and joined Laoo another incarnation of evil.These both are destroying Bihar. Laloo is a known DAKU and Charachor the people of Bihar been fooled for far too long the time has come to kick them out of public life and politics.
    A MAN IS KNOWN THE COMPANY HE KEEPS. Both are shameless .
    God save Bihar from these evil doers.

  2. जब आइना सही अक्स दिखाना शुरू कर दे तो विशेषकर विकृत चेहरे वाले इंसान के लिए उसे तोड़ देना ही एक मात्र उपाय है ,ताकि बार बार अपनी कुरूपता से खुद देखने से मुक्त रह सके , और वही नीतीश बाबू के साथ हो रहा है। यह अचरज की बात भी नहीं है

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