मोदी सरकार के दो साल

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विकास आनंद
मोदी सरकार के मई महीने में 26 तारीख को दो साल पूरे हो गए. सरकार की उपलब्धियों को लेकर मीडिया के पंडितो द्वारा विश्लेषण जारी है जो की स्वाभविक भी है. कोई भी विश्लेषक मोदी सरकार के कार्यों की समीक्षा करते समय उसे यह स्वीकार करते संकोच नहीं होगा कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी एक कर्मठ और ईमानदार प्रधानंत्री हैं.उनका एक-एक पल देश को समर्पित है. ‘व्यक्तिगत-अवकाश’ शब्द प्रधानमंत्री मोदी के शब्दकोष में नहीं है.
मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई प्रमुख योजनायें स्वच्छ भारत योजना,मेक इन इंडिया ,प्रधान मंत्री जनधन योजना,सांसद आदर्श ग्राम योजना,कृषि सिचाई योजना,कौशल विकास योजना,मुद्रा बैंक योजना,पहल योजना,उज्वला योजना और भी छोटे बड़े कई योजनाये है जिसका जनता और देश पर सकारात्मक दूरगामी प्रभाव पड़ सकते है. समावेशित विकास को लक्ष्य रखकर शुरू की गई जन धन योजना काफी कारगर साबित हुई है.काफी बड़े पैमाने पर बैंको में लोगो के खाते खोले गए हैं. देश के सुदूर इलाके में लोग अब बैंक में अपना खाता खुलवाना अधिकार समझने लगे हैं.एक तरह से जनधन योजना ने आंदोलनात्मक रूप धारण कर लिया है. लोग अपने आर्थिक अधिकार के प्रति काफी जागरूक हुए हैं.पहल और उज्ज्वला जैसी योजनाओं के द्वारा गरीबो को भी गैस कनेक्शन मिले इसको सुनिश्चित किया गया है. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत छोटे-छोटे समय के कोर्स डिजाईन करके लोगो को कौशल प्रशिक्षण देना ताकि स्वरोजगार या प्रशिक्षित युवा के रूप में कार्य कर सके. मेक इन इंडिया के तहत बिज़नस के लिय उपयुक्त माहौल भारत में बनाने का पहल किया गया हैं. इसके तहत विदेशी निवेश में गति आई है.भारत का ब्रांडिंग सुधरा है.भारत के प्रति दूसरे देशों की दृष्टि बदली है. सरकार द्वारा काले धन पर रोक लगाने की वजह से आसमान छूती प्रॉपर्टी के कीमत पर लगाम लगा है. राजनीतिक भ्रष्टाचार इस सरकार ने ख़त्म हो गया है. महात्मा गाँधी से प्रेरणा लेकर सरकार ने संरचनात्मक आन्दोलन के रूप में स्वच्छता अभियान शुरू किया. आज यह देश में जनान्दोलन का रूप धारण कर लिया है. इसका सबसे अधिक असर बच्चों पर पड़ा है.वे बड़ो तक को सिखाने लगे है. जरा सोचिये जब ये बच्चे बड़े होंगे तो हमारे देश का दृश्य कैसा होगा! चूकि बचपन की आदते बड़े होने पर भी नहीं जाती.
अरुण जेटली के नेतृत्व में वित्त मंत्रालय ने महंगाई को नियंत्रित करने में सफलता पाई है.गृह मंत्रालय भी राजनाथ सिंह के मार्गदर्शन आतंरिक सुरक्षा के मुद्दे पर सराहनीय कार्य कर रहा है. जहाँ एक ओर नक्सल हिंसा की घटनाएं कम हुई है वही पाकिस्तान के खिलाफ जवावी करवाई में सीमा सुरक्षा बल की भूमिका काफी सराहनीये रही है.
मीडिया में कुछ विश्लेषक मानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी जिस गति से काम कर रहे है उस गति से उनके मंत्री नहीं कर रहे. ये शत प्रतिशत सत्य नहीं है.दिक्कत क्या है अंग्रेजो ने जिस तरह की नौकरशाही हमें सौप कर गए हैं उनके कार्य करने की पद्धति ही देश के विकास की गति को कम करते है.कुछ नौकरशाहों की आदत ही हो जाती है फाईलो को लटकाना, देरी करना वह भी नियम कानून का सहारा लेकर.हाल ही सरकार ने 1053 फालतू कानूनों को ख़त्म भी किया है.अभी मोदी सरकार ने भारतीय राजस्व सेवा के कुछ अधिकारियो को प्रदर्शन के आधार पर जबरदस्ती सेवानिवृत भी करवाया है .ऐसी परिस्थिति में जो प्रभावकारी(effective) पॉलिटिकल बॉस है वे सफल है.जैसे नितिन गडकरी,नरेन्द्र सिंह तोमर.ये इफेक्टिव मंत्री के श्रेणी में आ रहे हैं. ये नीतियों को कार्यंन्यवन (execution) कराने में काफी सफल है.जहाँ संप्रग अधिकतम 11 किलो मीटर प्रतिदिन सड़क निर्माण करवाया वही नितिन गडकरी के आते ही 16 किलोमीटर प्रति दिन सड़क निर्माण शुरू हो गए. नई सरकार ने यह लक्ष्य 30 किलो मीटर प्रति दिन तय की है. सबसे अधिक विपक्ष के हमले के वावजूद स्मृति ईरानी मानव संसाधन विकास मंत्रालय में लिए गए वैचारिक निर्णय के प्रति अडिग रही और आमूल-चूल परिवर्तन,जड़ता ख़त्म करने के ओर अग्रसर है.
सक्रियों मंत्रियो में सुरेश प्रभु,सुषमा स्वराज, का नाम आता है जो ट्वीट करने से ही लोगो के शिकायत पर एक्शन ले लेते हैं.ये सिटीजन फ्रेंडली शासन का उदहारण है जो शुरू से ही भाजपा का लक्ष्य रहा है.

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