अमेरिका के निशाने पर मोदी और भाजपा

0
133

प्रवीण दुबे
अमेरिकी खुफिया एजेंसी एनएसए द्वारा भारतीय जनता पार्टी की जासूसी करने संबंधी खुलासे के बाद एक बार पुन: यह सिद्ध हो गया है कि अमेरिका विश्व में अपनी चौधराहट कायम करने के लिए किसी भी हद तक नीचे गिर सकता है। यह मामला इस कारण और भी गंभीर है कि अमेरिका गुपचुप ढंग से भारत के तमाम अंदरुनी क्षेत्रों की जासूसी करता रहता है। अमरीकी अखबार द वाशिंगटन पोस्ट के खुलासे में साफतौर पर कहा गया है कि अमेरिका खुफिया एजेंसी द्वारा 193 विदेशी सरकारों के साथ तमाम विदेशी गुट और अन्य निकाय की जासूसी को बाकायदा वहां की अदालत ने जासूसी की मंजूरी दी थी। इस सूची में भारत भी शामिल था। इस खुलासे में एक और सबसे चौंकाने वाली बात सामने आई वह यह है कि दुनिया के चार देशों जिनमें कि ब्रिटेन, कनाडा, आस्टे्रलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं को छोड़कर कोई भी देश और वहां की सरकार अमरीकी खुफिया एजेंसी के दायरे से बाहर नहीं है। साफ है कि अमेरिका अपने कुछ मित्र देशों को छोड़कर दुनिया की जासूसी करने के जघन्य अपराध में लिप्त है। आश्चर्य की बात तो यह है कि अमेरिका को इस अपराधी गतिविधि में लिप्त रहने को लेकर कोई अफसोस तक नहीं है। इस बात का अंदाजा वहां की खुफिया एजेंसी की प्रवक्ता वेनी वाइन्स से पूछे गए एक सवाल के जवाब से लगाया जा सकता है। जब उनसे भारत और विशेष तौर पर भाजपा की जासूसी करने के बारे में एक सवाल पूछा गया तो उसके जवाब में उनका कहना था कि अमेरिका के राष्ट्रपति, नेशनल इंटेलीजेंस के निदेशक और राष्ट्रीय खुफिया प्राथमिकता ढांचे के तहत विभागों व एजेंसियों की ओर से तय विशिष्ट खुफिया जरुरतों के आधार पर एनएसए भारत की खुफिया सूचनाएं जुटाती है। वेनी वाइन्स का यह वक्तव्य अपने आप में बहुत कुछ संकेत देता है। सबसे अहम बात तो यह है कि आखिर अमेरिका के लिए भारत से जुटाई गई वे कौन सी खुफिया जरुरतें हैं जो अमेरिका के लिए इतनी आवश्यक हैं कि वह इनके लिए भारत की गुपचुप जासूसी करवा रहा है। इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात तो यह है कि भारत का एक राजनीतिक दल (भाजपा) आखिर क्यों अमेरिका के खुफिया निशाने पर है? यह सवाल इस कारण और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है कि उसी राजनीतिक दल की अब केन्द्र में सरकार भी है और उससे जुड़े तमाम नेता अब कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों में मंत्री भी हैं। इन सवालों के जवाब भले ही अमेरिका से प्राप्त होने वाले नहीं हैं लेकिन अमेरिका का जो चरित्र विश्व बिरादरी को लेकर रहा है उस आधार पर यह कहा जा सकता है कि अमेरिका प्रत्येक उस शक्ति से घबराता रहा है जो राष्ट्रभक्त है, स्वाभिमानी है और जिसमें स्वदेशी का भाव जाग्रत है। साफ है भाजपा ही एक मात्र ऐसा राजनीतिक दल रहा है जो अमेरिका की पूंजीवादी गलत आर्थिक नीतियों का पुरजोर विरोध करता रहा है। इतना ही नहीं भाजपा की रीतियों-नीतियों में सदैव राष्ट्रहित को सर्वोपरि माना जाता है। यह दोनों ही बातें अमेरिका की आर्थिक व सामरिक शक्ति को कमजोर करने वाली हैं। आखिर कौन भूल सकता है अमेरिका के उस चरित्र को जब उसने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपने देश का वीजा देने से इंकार कर दिया था। इसको अगर भाजपा की अमरीकी जासूसी के ताजे खुलासे से जोड़कर देखा जाए तो स्पष्ट हो जाता है कि अमेरिका नरेन्द्र मोदी और भाजपा की जासूसी के आधार पर जुटाई गई जानकारी के कारण घबराया हुआ था कि कहीं नरेन्द्र मोदी जैसा स्वाभिमानी व राष्ट्रभक्त नेता भारत का प्रधानमंत्री बन गया तो अमरीकी नीतियों का क्या होगा? यही वजह थी कि अमेरिका अपरोक्ष रूप से मोदी का विरोध कर रहा था और उन्हें वीजा न देना इस विरोध का अंग था। इस जासूसी कांड को लेकर केन्द्र सरकार ने जो गंभीरतापूर्ण बयान दिया है वह स्वागत योग्य कहा जा सकता है। भारत सरकार ने इसे भारत के किसी संगठन और भारतीय नागरिक की निजता का हनन बताया है और इस मामले को अमेरिका के साथ बाचचीत में उठाने की बात कही है। यह तो भविष्य की बात है, अब जबकि अमेरिका की यह हरकत सबके सामने आ चुकी है तो तुरंत ही केन्द्र सरकार को और साथ में भाजपा जैसी राष्ट्रवादी ताकतों को अमेरिका से सावधान रहने का सार्वजनिक निर्देश जारी करना चाहिए।

Previous articleआप क्यों हो रही है हताश
Next articleकण कण मे वही
प्रवीण दुबे
विगत 22 वर्षाे से पत्रकारिता में सर्किय हैं। आपके राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय विषयों पर 500 से अधिक आलेखों का प्रकाशन हो चुका है। राष्ट्रवादी सोच और विचार से प्रेरित श्री प्रवीण दुबे की पत्रकारिता का शुभांरम दैनिक स्वदेश ग्वालियर से 1994 में हुआ। वर्तमान में आप स्वदेश ग्वालियर के कार्यकारी संपादक है, आपके द्वारा अमृत-अटल, श्रीकांत जोशी पर आधारित संग्रह - एक ध्येय निष्ठ जीवन, ग्वालियर की बलिदान गाथा, उत्तिष्ठ जाग्रत सहित एक दर्जन के लगभग पत्र- पत्रिकाओं का संपादन किया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here