अब न जागे तो बहुत देर हो जाएगी ….. !

हर हाल में स्थापित होगी ‘ रामलला प्रतिमा ‘

-डॉ0 नवीन आनंद

श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण का जन आन्दोलन एक बार फिर प्रचण्ड वेग से प्रारंभ हो चुका है, यह आन्दोलन अब ‘अ’ राजनैतिक होगा, जिसे सियासी चश्मे से नहीं देखा जाएगा। वैज्ञानिक तथ्य और अदालती दस्तावेज इस सच को प्रमाणित कर रहे हैं कि मन्दिर के अवशेष उक्त स्थल पर हैं, अत: ‘अ’ विलम्ब यहाँ रामलला प्रतिमा का प्राणप्रतिष्ठा समारोह हो जाए।

हिन्दुस्थान में निवासरत सवा सौ करोड़ जनसमूह की भावना के प्रवाह को आगे विदेशी शासक की शक्ल में बैठी भारत सरकार और उत्तरप्रदेश के रहनुमा जाग जाएं, वर्ना बहुत देर हो जाएगी। आमजन का लावा गर्म हो गया है जो किसी भी वक्त फूट सकता है। मंदिर के निर्माण के प्रति दृढ़ संकल्पित है जनता जनार्दन।

श्रीराम यह एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व है, विष्णुभगवान का मानवीय अवतार है। एक आदर्श समाज निर्माण करने के उद्देश्य से उन्होंने अवतार धारण किया। उन्होंने ‘रामराज्य’ प्रतिष्ठापित कर प्रशासन का निर्दोष उदाहरण प्रस्तुत किया – राज्य के अस्तित्तव का आदर्श रूप दिया। सेमेटिक वंश और खासकर अरब और ईसाइयों जैसा वह प्रेषित या मसीहा नहीं था। वह तो ईश्वर का अवतार या उसके माता-पिता, वांशिक परम्परा, इस धरती पर उसका अस्तित्तव इनमें से किसी की भी ईसाई मसीहा जैसे चमत्कारों में गिनती नहीं हो सकती। प्रभु श्रीराम के जन्म का दिन, तिथि, वर्ष और समय-काल को लेकर कुछ भी अनिश्चितता अथवा संदिग्धाता नहीं है। ऐसा होते हुए भी ईसाई शासक, जिन्होंने इस प्राचीन संस्कृति के इतिहास को तोड़-मरोड़ दिया, उन्होंने श्रीराम का वर्णन एक काल्पनिक चरित्र के रूप में किया। लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक पौराणिक गाथाओं के अनुयायियों से आखिर कौन सी अपेक्षा रखी जा सकती है ?

बड़े खेद की बात है, कि बुद्धिभेद किये गये काले साहब, जो इस देश की महान सभ्यता, संस्कृति, धर्म एवं आध्‍यात्मिकता को न मानने वाले हैं, वे उनके चालाक युरोपियन मार्गदर्शकों के कहने में आकर बड़ी ही असत्य बातों को रखते और बढ़ाते जा रहे हैं। साथ-साथ वे अयोध्‍या में प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि में उनके मन्दिर निर्माण का विरोध करते हुए 85 करोड़ हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुँचाना जारी ही रख रहे हैं और यह जत्था-दिखने में भारतीय परन्तु भारत के विरोधियों से निष्ठा रखने वाला- इसकी इस देश का सत्ता केन्द्र, प्रसारमाध्‍यम, नौकरशाही, शासनसंस्था, राजनीतिक क्षेत्र और लोगों के बीच हो रही चर्चा आदि सभी पर बड़ी मजबूत पकड़ है। पुरातत्तव विज्ञान सम्बंधी ऐतिहासिक प्रमाणों से पुष्टि हो रहा, इस धरती पर श्रीराम के राज्य शासन के सम्बंध में उपलब्धा समकालीन साहित्य और इन सभी से महत्तवपूर्ण होने वाली भारत के करोड़ों हिन्दुओं के तथा इस्लामी देश इंडोनेशिया एवं बुद्धिस्ट देश कांबोडिया और थायलेंड के नागरिकों के मन में श्रीराम के लिए होने वाले असीम श्रध्दाभाव के बावजूद भी देश के छद्म निधर्मी प्रस्थापितों के लिए श्रीराम यह एक खास कुछ ध्‍यान देने लायक व्यक्तित्व नहीं है। आखिर क्यों ? केवल इसलिए, कि तथाकथित छद्म निधर्मी तत्तवों के मुखिया मुस्लिम ‘व्होट बैंक’ को खुश रखना चाहते हैं। दिनांक 5 मार्च, 2003 को न्यायालय ने ‘पुरातत्तव सर्वेक्षण विभाग’ (ए.एस.आय) को उस जगह पर उत्खनन करने का आदेश दिया, जिससे वह वहाँ किसी मन्दिर के होने की सम्भावना की दुष्टि से पर्याप्त सबूत प्राप्त करा सके – मन्दिर, जो ध्‍वस्त किया गया था और उस स्थान पर मस्जिद बाँध दी गई थी।

भारत के पुरातत्‍व सर्वेक्षण विभाग (ए.एस.आय.) ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ पीठ के समक्ष प्रस्तुत किये हुए अपने अंतिम उत्खनन वृत्तन्त में एक लम्बे अर्से से हिन्दू जिसके लिए दावा कर रहे हैं, उसी तथ्य का तात्पर्य प्रकट किया है। विभाग ने (ए.एस.आय.) न्यायालय को जानकारी दी कि अयोध्‍या के तथाकथित बाबरी मस्जिद कहलाने वाले ढाँचे के निर्माण के पहले नीचे एक मन्दिर जैसी विशाल इमारत का अस्तित्तव था और लगभग 3300 बरसों से वहीं कुछ न कुछ भवन निर्माण निरंतर रूप से चलने के पर्याप्त प्रमाण उपलब्ध हैं।

सन् 1975 में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के निवृत्त महानिदेशक और पुरातत्वशास्त्री श्री बी.बी. लालजी ने रामायण से सम्बंधित क्षेत्रों में पुरातत्तवीय संशोधन हेतु एक शोध प्रकल्प का आरम्भ किया था। उन्होंने श्री के.व्ही. सुंदरराजन के नेतृत्व में काम करने वाले एस.आय. के दल के साथ उस क्षेत्र में उत्खनन किया और उत्खनन के लिए उन क्षेत्रों में से रामजन्मभूमि को चुना। वहाँ की एक दरार में श्री लाल को एक ईंटों की बड़ी भारी दीवार और इमारत की मंजिलों के ध्‍वस्त होने पर जमा मलबा दिखाई दिया। इतना ही नहीं, तो ‘दि ग्राऊंड पेनिट्रेटिंग रडार सर्व्हे (जी.आर.पी.एस.) – इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर हाल ही में (जनवरी 2003) किया गया वैज्ञानिक सर्वेक्षण – उसने उस विवाद्य ढाँचे के नीचे भवन का अस्तित्व होना साबित कर दिया है। हिन्दुओं के हित में रामजन्मभूमि को मुक्त कराने के बहुत सारे प्रयासों के दौरान ही एक रामभक्त श्री गोपाल सिंग विशारद द्वारा दिनांक 16 जनवरी, 1950 को फैजाबाद सिविल जज के समक्ष, उस स्थान पर अनिर्बंध दर्शन की अनुमति माँगने वाली अर्जी दर्ज की। एक ज्येष्ठ संत और रामजन्मभूमि न्यास के पूर्व अध्‍यक्ष स्व. महंत रामचंद्र परमहंस जी ने भी उसी प्रकार का आवेदन दर्ज किया था। सन् 1984 में विश्व हिन्दू परिषद ने मन्दिर पर पड़े ताले खुलवाने के लिए एक विशाल अभियान छेड़ा था, जिसके फलस्वरूप फैजाबाद सेशन्स जज ने दिनांक 1 फरवरी 1986 को हिन्दुओं को उस स्थान पर पूजा-आराधना करने की अनुमति दी और ताले फिर से खोले गये। सन् 1988-89 के दौरान देशभर में हिन्दुओं से लगभग दो लाख ‘रामशिलाओं’ का पूजन सम्पन्न हुआ। दिनांक 9 नवम्बर 1989 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने विवाद न होने वाली भूमि पर शिलान्यास करने की अनुमति दी। सन् 1990 में भाजपा के तत्कालीन अध्‍यक्ष श्री लालकृष्ण अडवानी जी ने ‘ सोमनाथ से अयोध्‍या ‘ ऐसी रथयात्रा आरम्भ की लेकिन आपको बिहार में गिरफ्तार किया गया, जिसका परिणाम व्ही.पी. सिंह सरकार का पतन होने में हुआ और लाखों की संख्या में कारसेवक अयोध्‍या में एकत्रित हुए। उन्होंने विवादित ढाँचे के ऊपर भगवा झण्डा फहराया और पुलिस द्वारा गोलियाँ चलाई जाने पर 30 लोग मारे गये। दिनांक 6 दिसम्बर 1992 के दिन उत्तेजित हुए कारसेवकों ने विवादित ढाँचे को ध्‍वस्त किया और उस स्थान पर एक अस्थायी मन्दिर का निर्माण कर दिया। एन.डी.ए. की सरकार केन्द्र में बनने पर प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के आदेश पर सलाह-मशविरे के माध्‍यम से समस्या का हल निकालने के प्रयास किये गये। कांची के पूज्य शंकराचार्य ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ चर्चा करने की पहल की परन्तु चर्चा असफल रही। दिनांक 12 मार्च 2003 को ए.एस.आय. ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर अयोध्‍या में उत्खनन आरम्भ किया।

13 COMMENTS

  1. Dr Naveen Anand’s article is praiseworthy. It is time now that Hindus assert themselves and prevail. Mandir in Ayodhya will prove to be a shot in the arm for the entire nation as it will bring pride back into the Hindu community. The nation will once again rise and self confidence of 120 crore people will rise. India will once again become vishwa guru.

  2. सच्चे इतिहासको जानने की इच्छा है? तो, पढो आगे।
    बाबर कत्ल किए काफिरों की खोपडियों का ढेर लगाकर, मैदान में शामियाना तानकर, फिर उस ढेर को फेरे लगाकर मद होश हो,नाचा करता था।
    पर, एक बारकी बात जो (History of India as written by Own Historians)- में पढा हुआ याद है, कि जब खूनसे लथपथ ज़मिन हुयी, और बाबर के पैरों तले खूनसे भिगने लगी, तो शामियाने को पीछे हटाना पडा। फिर भी मारे हुए काफ़िरों की मुंडियों का ढेर बढता ही गया, और फिरसे बाबर के पैरोंतले ज़मिन रक्तसे भीगी, तो फिर और एक बार शामियाना पीछे हटाना पडा। ऐसे बाबरी को कोई सोच भी कैसे सकता है? कोई लाज नहीं आती, क्या?
    जिस बाबरने ऐसा काम किया हो, उसकी “बाबरी” तो दुनिया में कहीं भी ना बननी चाहिए।
    यह रपट मैंने एलियट और डॉसन के ८ ग्रंथोंके संग्रह में पढा हुआ है।
    भारत में इन ग्रंथोंपर पाबंदी थी। मैं ने इन किताबोंको मेरे मित्र, जिन्होने इन पुस्तकों को खरिदा था, उनसे लाकर पढी थी।
    शायद आज यह किताबें भारत मे बिकनेपर प्रतिबंध है। यह सारा इतिहास तवारिखें लिखनेवाले दरबारी लेखकोने लिखा है।
    किसी तीसरे ने लिखा हुआ नहीं। बडा अधिकृत है। भारत की सरकार की हिम्मत हो, तो इन किताबोंपर लगी पाबंदी हटाए।
    ।सत्यमेव जयते।- काहे कहते हो? सच्चायी को काहेका डर?
    तवारिखोंके के कुछ नाम जैसे, बाबरनामा, जहांगिरनामा, ऐसे करीब ४० एक नाम थे। मैं ने यह मेरी दृढ स्मृतिके आधार पर लिखा है।
    ऐसे बाबर की याद में ? क्या? सोच भी कैसे सकते हो?
    क्या, हमारी सरकार हमें अंधेरेमें रखकर, वोट बॅंक पक्की करना चाहती है?
    धिक्कार है। हिंदुओंके देशमें राम तालेमें बंद? क्या उलटा ज़माना आया है। Ref: History of India As Told by Own Historians (8 Volumes)
    H. M. Elliot (Author), John Dowson (Editor)

  3. सूज्ञ टिप्पणीकारों को बिनती।
    इस लेख के बिंदुओं पर चर्चा करें। अन्य बिदुओं पर आप कोइ भी, चाहे तो, लेख लिखो, उसपर भी चर्चा की जा सकती है।पर यहां चर्चा की दिशा ना मोडो।
    जिन बिंदुओंपर असहमति हो, उसे प्रकट करो; सहमति हो उसे भी प्रकट करो। कार्य कारण पर आधारित, न्याय शास्त्र के अनुसार,या तर्क देकर चर्चा करें।
    किसी और विषय की घुसपैठ करके चर्चा का विषयांतर ना करें।
    केवल नारे बाजी करनेसे कुछ प्रमाणित नहीं होता।और लेबल लगा देनेसे भी कुछ नहीं प्राप्त होता।मनमें द्वेष रखकर चर्चा करोगे, तो आपके शब्दोंमे भी व्यक्त हो ही, जाएगा।मैं इसे लडाई का मैदान नहीं मानता। यहां कोई दुश्मन भी नहीं है।
    जब क्रमवार उत्तर देना है,तो जिस संदर्भमें प्रश्न पूछे गए हैं, उस संदर्भसे उत्तर दो। उपरसे नीचे तक सारे उत्तर हां, या ना में दो, या स्पष्टिकरण करो।कोई जबर जस्ती नहीं। इसीको वास्तवमें सामान्य ज्ञान (कॉमन सेन्स) कहा जाता है। हर लेख पर एक हि रट ना लगाओ। अपना लेख लिखो, उसपर चर्चा कर सकते हैं। सभीके समय(आपका अपना भी) का ख्याल रखो।
    किसीका अपमान करनेका हेतु नहीं। दिशा मोडनेवाले,अनुचित प्रश्नों के उत्तर देकर भी आप अपना समय व्यर्थ नष्ट ना करें। सभीसे सहकार की अपेक्षा।
    इस प्रकार चर्चा करने से कुछ निर्णायक सच्चायी तक, पहुंचने की संभावना बढ जाती है। यह संवाद है, लडाई नहीं।
    शुभेच्छा सहित–और सभी के लिए आदर सहित।

  4. धर्म निरपेक्षता ढोंग है धर्म नहीं तो न्याय कैसा?
    पर धर्म भी धर्म होना चाहिए पाखंड हो तो न्याय कैसा?

  5. क्या आप सच्चे हृदय तल से न्याय में मानते हैं?
    यदि हां तो आगे पढें।
    बहुत सारे पाठक अपने आप को धर्म निरपेक्ष भी मान बैठे हैं।
    निम्न निकष पर आप वास्तव में “धर्म निरपेक्ष”ता की कसौटी कर सकते हैं।
    ॥प्रारंभ॥
    न्यायाधिशको निर्णय ऐसेही करना होता है। न्याय की देवी इसी लिए आंख पर पट्टी बांधकर दिखायी जाती है।
    उसे न हिंदू दिखता है, न मुसलमान। उसे तो एक इन्सान और दूसरा इन्सान दिखायी देता है।
    वह एक को “क्ष” नामसे जानता है, दूसरे को “य”।
    क्या आप ऐसा निर्णय कर सकते हैं?
    यदि हां, तो अब आप पूरे इतिहासको जानते ही हैं। आप को सच्चे हृदयसे सत्य लगे ऐसा निर्णय ले।
    उसमें क्ष=हिंदू डाल दीजिए, और य= मुसलमान, और एक कागज़ पर निर्णय लिखके एक आवरण में बंद करें।
    =================================================
    उसी निर्णय में, अब अदल बदल कर, आप क्ष=मुसलमान और य=हिंदू लिखकर उसी निर्णय को पढिए।
    यदि आप का निर्णय बदलता नहीं है,(क्ष हो या य हो) तो आप सच्चे धर्म निरपेक्ष है, ढोंगी नहीं।

  6. अग्रज बंधुओं को अनुज का प्रणाम
    इतिहास में क्या हुआ है यह कोई नहीं जानता आर सिंह सही कहते हैं हिन्दू ने दलित हिन्दू को क्या समझा है और वर्तमान भी देखो क्या हो रहा है

    1 मध्य प्रदेश में महिलाओं की स्थिति
    https://www.pravakta.com/?p=6707
    राज्‍य में इन दिनों प्रशासन प्रदेश में महिलाओं सुदृढ़ स्थिति को लेकर फुले नहीं समा रहा है। राज्य सरकार का मानना है कि प्रदेश में महिलाओं की दयनीय हालत में सुधार हुआ है। विगत विधान सभा से लेकर पंचायत चुनावों तक महिलाए सशक्त रूप से सामने आई है, किन इस महिमा मंड़न के बाद भी प्रदेश में महिलाओं के साथ क्या-क्या हो रहा है यह बात किसी से छुपी नहीं है। प्रदेश में महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए ना कितने तरह से प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन बावजूद इसके हालात अब भी चिंताजनक ही हैं।

    राजनीतिक स्थिति और हकीकत

    शासन का दावा है कि प्रदेश में महिलाओं के मौजूदा हालातों में सुधार हुआ है महिलाओं को पुरूषों के बराबर का स्थान मिला है पर कितना। प्रशासन की कहना है कि इस समय प्रदेश में एक लाख अस्सी हजार महिला पंच हैं, ग्यारह हजार पांच सौ बीस महिला सरपंच हैं, तीन हजार चार सौ महिला जनपद सदस्य हैं, चार सौ पंद्रह महिला जिला पंचायत सदस्य हैं, पांच सौ छप्पन जनपदों और पच्चीस जिला पंचायतों में महिला अध्यक्ष हैं, एक हजार सात सौ अस्सी महिला पार्षद हैं, पन्चानवे नगर पंचायत में महिला अध्यक्ष हैं, बत्तीस नगर पालिका में महिला अध्यक्ष हैं, आठ नगर निगमों में महिला महापौर हैं, ये आंकड़े हैं राज्य भर में महिलाओं की राजनीतिक स्थिति के, यानी की प्रदेश की कुल 6 करोड़ की आबादी मे महिलाओं की जनसंख्या 2.5 करोड के आसपास हैं इस पूरी जनसंख्या में 3 करोड़ से भी ज्यादा पुरूष हैं। ऐसे में सिर्फ उंगलियों की संख्या में गिनी जाने वाली महिलाओं की इस उपलब्धता पर किसे गर्व करना चाहिए। 6 करोड़ आबादी वाले इस प्रदेश में महिलाएं आज भी हाशिये पर हैं। इनके पास आज भी इनकी आंखों में आंसुओं के आलवा कुछ भी नहीं है। शिवराज द्वारा घोषित महिला नीति का अभी तक क्रियान्वयन नहीं हुआ। प्रदेश सरकार भले ही यह कहकर हल्ला मचा रही है कि राज्य में महिलाओं को पुरूषों के बराबर हक दिया गया है तो खुद शिवराज की सरकार में महिलाओं की कितनी पहुंच है इसका जीता जागता प्रमाण भी है कि 230 सदस्यों वाली विधानसभा में कुल 25 महिलाएं विधायक हैं, सिर्फ दो महिलाएं ही मंत्रिमंडल में जगह पा सकीं एक हैं कैबिनेट मंत्री अर्चना चिटनीस हैं तो दूसरी स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री रंजना बघेल हैं। शिवराज सिंह चौहान के दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद होने वाले पहले विस्तार को लेकर महिला विधायक अपनी बारी का इंतजार कर रहीं थीं मगर ऐसा नहीं हुआ।

    अत्याचार और महिलाएं

    यानी कहा जाये कि शासन के आकंड़े सिर्फ दिखावे के लिए हैं तो कोई ज्यादती नहीं होगी। ये बात रही महिलाओं की राजनीतिक पोजिशन की। लेकिन इन सबसे दूर समाज की एक और हकीकत है जहां आज भी महिलाओं पर अत्याचार बदस्तूर जारी हैं। ख़ुद को घुटन से आजादी दिलाने में लगी महिलाओं ने जब भी अपने लिए आवाज उठाई हैं उन्हें इस पुरूष प्रधान समाज में अगर कुछ मिला है तो सिर्फ यातना और कुछ नहीं। हालातों को चाहे जैसे दिखाया जाये लेकिन राज्य भर में महिला उत्पीड़न के मामले बढ़ते जा रहे हैं। प्रदेश सरकार भले अपने 5 सालों के आंकड़ों पर गर्व से सीना ठोंक रही हो लेकिन पिछले एक साल के आंकड़े ही इस पूरे महिमा मंड़न का मिथक तोड़ रहैं हैं। आज भी महिलाएं समाज के ठेकेदारों के लिए सिर्फ अपने रौब को जमाने का माध्यम मात्र हैं। इसकी जीती जागती मिसाल है ये आंकड़े। देश में महिलाओं के साथ बलात्कार के मामलों में तीस प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। इसमें मध्यप्रदेश पहले नंबर है। भाजपा की प्रदेश में सरकार बनने से लेकर अब 13 हजार से भी ज्यादा महिलाओं के साथ बलात्कार की घटना घटी हैं। धार जिले में दो महिलाओं को बुरी तरह पीटा गया और उनके मुंह पर कालिख पोतकर उन्हें निर्वस्त्र किया गया। प्रदेश में आदिवासी, दलित एवं नाबालिक युवतियां बड़ी संख्या में बलात्कार की शिकार हुई हैं। शिवपुरी जिले के पिछोर थाना एक मां अपनी सामाजिक प्रताड़ना से तंग आकर तीन बेटियों के साथ आत्महत्या कर लेती हैं। सिर्फ इतना ही नही ये आंकड़े तो उन जगहों के हैं जहां पर महिलाओं का शोषण कोई नयी बात नहीं हैं,लेकिन एक और पहलू है जहां पर महिलाएं की सुरक्षा खुद कई सवाल खड़े करती है। जी हां मैं बातकर रहा हूं पुलिस महकमे की। प्रदेश में ऐसे कई घटनाएं हैं जिन्होंने कानून को भी दीगर शोषणकर्ताओं के साथ लाकर खड़ा कर दिया है। कानून के ठेकेदार आज खुद ही महिलाओं के दलाल बन गये हैं। प्रदेश में ऐसे कई मामले हैं जिनसे वर्दी भी दागदार हुई है। बालाघाट जेल में 15 फरवरी 05 की रात 9 बजे एक जेल अधिकारी ने महिला वार्ड खुलवाकर महिला बन्दियों के साथ बलात्कार किया। आमला थाने में एक दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। नीमच में 20 अक्टूबर 07 को 15 वर्षीय बालिका के साथ 5 युवकों ने बलात्कार किया और विरोध करने पर भरी पंचायत में बालिका के परिवार को अपमान सहना पड़ा। इन आकंड़ों पर तो कोई भी कह सकता है कि पुरानी बात है लेकिन मैं आपको बता कि जनवरी 2009 से जनवरी 2010 तक आंकडे किसी की भी आंखें खोलने के लिए पर्याप्त होंगे। इस एक साल के महिलाओं पर हुए आत्याचारों पर नज़र ड़ाली जाये तो इस समय सीमा में पूरे प्रदेश के 17 जिलों में महिलाओं केसाथ बलात्कार के 755, हत्या के 110, हत्या के प्रयास के 147, दहेज से मौत के 248 और अपहरण के 220 मामले सामने आये हैं। इनमें बलात्कार के सबसे ज्यादा मामलों में बैतूल 130 खंडवा 70 राजगढ़ में 67 और छ्त्तरपुर में 64 मामले दर्ज किये गये हैं। ये तो वे आकंड़े हैं जो पुलिस रिकार्ड़ में दर्ज हैं। इनके आलावा ना जाने और ऐसे कितने अमानवीय कृत्य हैं जिनकी सच्चाई सामाजिक बंधनों और ड़र की वज़ह से सामने नहीं आ पाये।

    प्रशासन की योजनाएं और महिलाएं

    यह अलग बात है कि शासन हर स्तर पर महिलाओं के लिए शासकीय योजनाओं का ठीठोंरा तो पीटती रहती है। महिलाओं के हितों में काम करने के लिए शासन के कई विभाग बना दिये गये हैं। कई योजनाएं क्रियान्वित की गई लेकिन हालात आज भी हैं। समाचार पत्रों और बड़े-बड़े आयोजनों के माधयम से मध्‍यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण की मुनादी भले ही की जा रही है। पूर्व से संचालित परिवार परामर्श केन्द्रों की तरफ शासन का धयान शायद हट सा गया है इनके कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दिया जा रहा है। यह परिवार परामर्श केन्द्र बंद होने की स्थिति में आज खड़े हैं। यही हाल महिला परामर्श केन्द्रों का भी है वहाँ भी शिशु-बालिका भ्रूण हत्या को प्रदेश सरकार ने कठोर अपराधों की श्रेणी में रखा है। लेकिन पिछले कई वर्षों में एक भी प्रकरण इसके अंतर्गत पंजीबध्द नहीं किया। इसी प्रकार भ्रूण हत्या की जानकारी देने वाले व्यक्ति की 10 हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा इस सरकार ने की थी, किंतु पिछले वर्षों से किसी को भी यह ईनाम नहीं बांटा गया। इस बात बिल्कुल इंकार नहीं किया जा सकता कि भारत के 14 जिलों में से मधयप्रदेश के भिण्ड और मुरैना में सर्वाधिक भ्रूण हत्याऐं होती हैं। महिलाओं के लिये संचालित अनेक योजनाएँ भ्रष्टाचार से अछुती नहीं है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका पर्यवेक्षक, आदि की नियुक्ति में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। साइकिल घोटाला, जननी सुरक्षा योजना, पोषण आहार, गरीबी रेखा, राशन कार्ड में धांधाली, पेंशन, नर्सिंग, कन्यादान योजनान्तर्गत दहेज खरीदी, लाड़ली लक्ष्मी योजना, अन्न प्राशन योजना, गोद भराई आदि योजनाएँ मात्र विज्ञापन और कागजों पर ही फलफूल रही हैं।मुख्य मंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत शहडोल जिलें में जिस तरह से महिलाओं के साथ कोमोर्य परीक्षण का मामला हमारे सामने है। बावजूद इसके शासन का यह दावा कि प्रदेश में महिलाएं सुरक्षित, समृद्ध और सशक्त हैं किसी आलिफ लैला की कहानियों से कम दिलचस्प नहीं है।

    इसके अलावा और भी देखिये …………………………..

    2 दलित महिला को बच्‍चा समेत खूंटे में बांधा

    3 कर्ज दिलाने के नाम पर किया बलात्कार

    शहडोल(मध्य प्रदेश)। शहडोल जिले के बुढ़ार थाना क्षेत्र में बैंक से ऋण दिलाने के नाम पर एक दलित महिला के साथ दुष्कर्म करने के मामले में पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
    पुलिस सूत्रों ने बताया कि बुढ़ार थाना क्षेत्र के बरतरा गांव की एक दलित महिला ने शुक्रवार को शिकायत दर्ज कराई कि बैंक से ऋण दिलाने के नाम पर स्टेट बैंक आफ इंडिया की बुढ़ार शाखा के कर्मचारी हरीश चौधरी समेत सात लोगों ने दुष्कर्म किया। पुलिस ने महिला का मेडिकल कराने के बाद सात आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। पुलिस ने रात में छह आरोपियों दीप नारायण, कुलदीप सिंह, विक्की माखिजा, अशोक पांडेय, संजू जायसवाल और बीमा एजेंट वीरेन्द्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया। साथ ही दुष्कर्म के लिए उपयोग की गई मोटरसाइकल भी जप्त कर ली है। मुख्य आरोपी हरीश फरार है।
    आरोपियों ने महिला के पति को पहले शराब पिलाई उसके बाद महिला को जबरन कार में बैठाकर बुढार गांव के एक सूने मकान में ले जाकर दुष्कर्म किया।

    4 दलित महिलाओं की अस्मत लूटी

    चूरू । भालेरी थाना इलाके के गांव मेहरी में मंगलवार रात गांव के ही एक युवक ने दलित महिला के घर में घुसकर उसकी अस्मत लूट ली। पीडिता की रिपोर्ट पर पुलिस ने बुधवार शाम गंाव के ही मोतीलाल पुत्र रामचन्द्र जाट के खिलाफ भादंसं की धारा 376 व अजाजजा अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस के अनुसार महिला का पति मंगलवार रात गांव में ही कहीं गया हुआ था।
    मौका पाकर आरोपी महिला के घर में घुस गया तथा महिला को जबरन कमरे में ले जाकर उसकी अस्मत लूट ली। महिला के शोर मचाने पर उसका पति आ गया जिसे देखकर आरोपी मौके से फरार हो गया। दलित महिला के साथ बलात्कार की सूचना मिलने पर पुलिस उप अधीक्षक नरेश मीणा, भालेरी थानाधिकारी महेन्द्र कुमार गांव मेहरी पहुंचे तथा घटना स्थल का मुआयना किया। पुलिस ने महिला की मेडिकल जांच करवाई।
    आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पीडिता का मेडिकल करवाया गया है। मामले की जांच शुरू कर दी है। आरोपी को जल्दी ही गिरफ्तार किया जाएगा।- नरेश मीणा, डीएसपी, चूरू

    पत्रिका संवाददाता ञ्च सादुलपुर

    गांव रतनपुरा की एक दलित विवाहित महिला ने अपने पड़ोसी युवक पर पिछले दो साल से देह शोषण व बलात्कार करने का आरोप लगाया है। पीडिता की ओर से मंगलवार शाम दी गई रिपोर्ट पर पुलिस ने आरोपी युवक मनोज जाट के खिलाफ भादंसं की धारा 376 व अजाजजा अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।
    आरोप है कि मनोज जाट दो वर्ष पूर्व दोपहर करीब एक बजे महिला को अकेली पाकर उसके घर में घुस गया तथा पिस्तोल दिखाकर महिला के साथ बलात्कार किया। आरोपी ने महिला को धमकी दी कि उसने किसी को कुछ बताया तो वह उसे जान से मार देगा। भय व लोकलाज के कारण पीडिता ने यह बात किसी को नहीं बताई। दो वर्ष तक वह पीडिता का देह शोषण करता रहा। 30 जुलाई 2010 को पीडिता के परिवार के सभी सदस्य मजदूरी करने गए हुए थे।
    शाम करीब साढ़े आठ बजे आरोपी मनोज जाट ने पीडिता के घर जाकर बलात्कार किया। विरोध करने पर आरोपी ने उसे जान से मारने की धमकी दी। रोज रोज की घुटन से तंग आकर महिला ने घटना की जानकारी परिजनों को दी।

    5 पंजाब में दलित महिला को निर्वस्त्र कर घुमाया, 1 गिरफ्तार
    बटाला (पंजाब)। गुरदासपुर जिले के भगवानपुर गांव में 10 अगस्त को एक दलित महिला को कथित तौर पर निर्वस्त्र…

    ६ दलितों के घरों में लगाई आग
    टीकमगढ़। थाना जतारा अंतर्गत ग्राम पाली हार में बीते रोज एक दर्जन से अधिक दबंग व्यक्तियों ने दलित…

    7 दलितों पर अत्याचार मसले पर घिरी माया सरकार
    उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में दलितों पर हुए अत्याचार के मसले पर सोमवार को लोकसभा में बसपा सरकार…

    8 दलित लोगों की हत्या का मामला लोकसभा में गूंजा
    उत्तर प्रदेश में आए दिन हो रही दलित लोगों की कथित हत्याओं का मामला सोमवार को एक बार फिर लोकसभा में गूंजा।…

    9 लोनी में दलित युवक की हत्या के बाद बवाल
    गाजियाबाद, 11 अगस्त : भाषा : जिले के लोनी में दलित युवक की मौत से आक्रोशित लोगों ने मंगलवार रात लोनी…

    १० लाचार परिवार
    रायसिंहनगर के सरकारी अस्पताल में दुष्कर्म का शिकार हुई लड़की का परिवार दलित एवं लाचार है। एक तो 3-4 दिन..

    11 जमीन विवाद : बिश्नोई-दलित भिड़े, 25 घायल
    जंभेश्वर मंदिर की जमीन के कारण मंगलवार को बोस्ती गांव में बिश्नोई और दलित समुदाय भिड़ गए। टकराव के दौरान..

    १२ दलित युवती से बलात्कार
    मालेरी थाना इलाके में बीती रात को घर में अकेली सो रही एक दलित विवाहिता के साथ गांव में रहने वाले एक युवक…

    13 दलित रसोइये के हाथ का खाना बच्चों को मंजूर नहीं
    सुलतानपुर (सं) । कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी अपने संसदीय क्षेत्र में जब तब जिन गांवों में दलित शिव कुमारी…

    किसने, मा बहनो पर अत्याचार गुज़ारे?
    किसने बलात्कार किए?
    यहाँ कोई असहिष्णु, आतताई, इस्लामिक आक्रमणकारी बाबर नहीं है, ये समस्त साक्ष्य भव्य विशाल हिन्दू के अस्तित्व को ही सिद्ध करते हैं। पहले खुद को सही करो राम पूरे विश्व के लिए हैं सिर्फ आप लोग thakedaar नहीं हैं

  7. हमारे समाज और देश के दुश्मन, विदेशी ताकतों के एजेंट एक ख़ास तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हैं. हमारे शुभ चिन्तक, हितैषी होने का नाटक करते हुए हमारी जड़ों को बड़ी कुशलता से काटते हैं. ज़रा इनकी भाषा और शैली पर ध्यान दें तो आप समझ जायेंगे की ये कोई विदेशी एजेंट वामपंथी या मसीही है.( ध्यान रहे कि देशभक्त ईसाईयों और वाम पंथियों का अब एक वर्ग ऐसा भी है जो विदेशी ताकतों की चालों को समझ कर उनके चुंगल से मुक्त होने के प्रयास में है.)
    * ये लोग कभी भी भारत के गौरव को बढाने वाली कोई बात नहीं कहते, सहते केवल निंदा करते हैं ये कह कर कि ये भारत के हितैषी हैं और सुधार चाहते हैं.
    * भारत के गौरव की बात कहने वाली और भारत को जोड़ने वाली संस्थाओं और व्यक्तियों को साम्प्रदायिक कह कर अछूत घोषित कर देते हैं ताकि उनकी विश्वसनीयता समाप्त हो जाए.
    * देश विरोधी ताकतों, आतंकियों और घोर साम्प्रदायिकों को अपने लेखन, कथनों द्वारा सुरक्षा व नैतिक समर्थन प्रदान करते हैं.
    * भारतीयों को भारत से जोड़ने वाले हर सूत्र को कलंकित, अपमानित कर के उस से हमारा नाता तोड़ने का चतुर प्रयास निरंतर करते रहते हैं.
    ** ज़रूरी है कि हम इनकी भाषा और शैली को पहचान कर इन्हें बेनकाब करें, यही इनसे सुरक्षा का सबल और सरल उपाय है.

  8. -हर राष्ट्र के अस्तित्व के लिए श्रधा केन्द्रों की ज़रुरत होती है. जो ताकतें उन श्रधा केन्द्रों को खंडित करने का प्रयास जानबूझकर या अनजाने में करती हैं वे वास्तव में देश को बर्बाद करने का काम कर रही हैं .
    -राम हमारे राष्ट्र पुरुष हैं. अतः उनके जन्म स्थान का विध्वंस चाहने वाले या करने वाले इस देश व समाज के दुश्मन हैं, इसमें क्या संदेह है.
    -राम के नाम का दुरउपयोग करके सत्ता प्राप्त करने वाले उनसे अछे हैं जो राम की श्रधा और जन्म स्थान का विनाश चाहते हैं.
    -हम भाजपा को उस कांग्रेस से अछा मानते हैं जो राम की नहीं रोम की वफादार है. -भाजपा से अधिक अछा विकल्प मिलने पर हम भाजपा को ठुकरा देंगे पर भाजपा को ठुकरा कर रोम भक्तों को देश का शासन सौंपने की भूल अब नहीं करेंगे.
    * शायदे पहले भी हमने ये भूल नहीं की है, सत्ता पर काबिज होने का चमत्कार ई.वी.एम्. के घोटाले से किये जाने के अब कई प्रमाण सामने आने लगे हैं. तभी तो इस मुद्दे पर कांग्रेस की जुबान को ताला लग जाता है, इसपर लिखने वालों को पकड़ कर जेल में ठूंस दिया जाता है, चनाव आयोग टाल-मटोल करने लगता है.
    * तो क्या अब फिर से हम लोकतंत्र के साथ इतनी बड़ी गद्दारी व धोखा करने वालों को सत्ता कब्जाने दें?

  9. इतिहास के प्रश्न:
    (१) किसने १००० साल राज किया?
    (2) किसने फिर काफिरोंसे जज़िया लिया?
    (२) अन्याय किसने किया?
    (३) किसने, मा बहनो पर अत्याचार गुज़ारे?
    (४) किसने धर्मांधता से धर्मांतरण किया?
    (५)किसने बलात्कार किए?
    (६) १००० वर्ष सुविधाएं किसे मिली?
    (७)१५० साल, अंग्रेजो से भी पक्षपाती सुविधाएं किसे मिली?
    (८) अंतमें पाकीस्तान भी किसे दिया गया?
    और शासनकी कठपुतली उन्हे preferable treatment पर उनका पहला अधिकार होनेकी बात कहती है।
    और हिंदु, हिंदुस्थानमें और वह भी अयोध्यामें मंदिर नहीं बना सकता? तो क्या सौदि अरेबिया में बनाएगा? या अफ्गानीस्तानमें?
    सारे अन्याय तो हिंदुने सहे, और इतना सारा सहनेके बाद, हिंदुओंपर अनगिनत अमानुषि अत्याचार गुज़ारने के बाद किस ऐतिहासिक अन्याय की भरपाईके लिए मुसलमानों को भारतकी सरकार preferential Treatment दे रही है? इतिहास साक्षी है, कि, ७०,००० {एक ऐतिहासिक अनुमान-by Eliot and Johnson} मस्ज़िदे मंदिरोंकी बुनियादों पे खडी है, तो एक राम मंदिर जहांपर राम जन्मा था, वह भी उसे ना मिले? और वह भी हिंदु बहुल हिंदुस्थानमें?
    ” जिन हिंदुओंनें ११५० साल अन्याय सहा है, उसेही और अन्याय सहाते रहो! ऐसा कहने में कुछ लज्जाका अनुभव भी नहीं होता? उसके ७०,००० ध्वस्त मंदिरोंमें से एक भी उसे मत दो। अरे जहां राम जन्मे थे, वह अयोध्या भी ना दो, और वह भी भारतमें, जहां कहा जाता है कि हिंदूको स्वतंत्रता मिली है? कोइ उत्तर देगा, काहेकी स्वतंत्रता? क्या करनेकी स्वतंत्रता? मुसलमानोंको हज सब्सीडी देने की स्वतंत्रता? जरा, “What happened to Hindu Temples?” part 1 and 2 पढो।उसके अंदरके छाया चित्र देखो। कुछ तर्क दो। केवल विधान ना करो। —

  10. आप लोगों की मंशा क्या है ? क्या चाहते हैं आपलोग?आपलोगों के भड़काऊ आलेखों और भासनो से आप जानते हैं की क्या होगा?दंगे फशाद शुरू हो जायेंगे.हजारो लोगों की जान जाएगी,जिसमे हिन्दू हों या मुसलमान ,होंगे तो आखिर वे इंसान ही.आप जैसे लोग तो फिर भी बच जायेंगे,क्यों की किसी भी दंगे में किसी बड़े आदमी को बिरले ही मरते सूनाहै.अपनी कलम और जबान पर यदि काबू रखा जाये और अदालत के फैसले को मान लिया जाये तो शायद इंसानियत को एक नया जीवन मिल जाए..

    • jara batayenge kon karata hai denge???naam ginau,bareli,hedrabad,balesar……………….kisane kiya dange????pata hai apako???jodhpur me teen atangvadiyo ko pakada pulish ne das-pandrah hajar ki bhid ne pure shahar ko band kara diya,acanak arajak mohal bana diya kyo bhai???our bhi suna us sari bhid ne jodhpur ke mukhy choharahe par baith kar namaj padhi,kyo bhai???kya vo prathana karane ki jagah hai,ya apane sanghatit samrthay se hinduo our pulish ko darana hai???jab polish ne sakhti ki to shahar kaji sahab mafi maang rahe hai,bhaichare ki duhahi de rahe hai,un atangvadiyo ne bad me bataya tha ki unhone batala kand ke mukhy aropiyo ki madad ki thi,our use do din tak jodhpur me kabhi ek doctor ke gar bhi kisi dharm sthal me chupa kar rakha tha.
      ab prashn yah hai ki un atangavadiyo ka samrthan karane acanak 10-15 hajar log kaise a gaye??
      our suniye sahab jodhpur ke najadik balesar me narega ka kam chal raha tha tab acanak vaha ke sarpanch{congress samrthit} hamala bol diya “apake becaro ne”,jab usane pratikar kiya to usame se ek ne goli mar di jisase ek hindu mar gaya,mahol jyada kharab na ho es liye vaha ke sp ne apane upar le liya “upar” se adesh jo tha,anan fanan me “tathakathit bhaicara” samitit bana kar mare huve vykti ke garvalo ko dhamakar gale mila kar sarakar ne apana kam khatm kiya,pata hai kyo???kyoki jo mara tha our jisane mara vo sattarudh party ke “votbank” hai our durbhagy se jis sarpanc par hamala huva vo “sattarudh party” ka tha,ye hai bhaicara???
      jyada hava me udane ki jarurat nahi hai,kisi muslim jalase me gaye ho???nahi gaye ho to jarur jana,pata chal jayega bhadakau bhashan kise kahate hai………………………………….apane ram ki bhumi mangana agar kisi ko bhadakau lagata hai to usaki budhi ki balikari hi hai,ese logo ke karan ki bharat ka sarvanash huva hai,vibhajan,nishkasan our sara ka sara atangvad en logo ke dvara samany hinduo ko murkh bananae ke karan huva hai,”koumi ekata” ke dogale naro ke bich pakisthan bana,kashmiri hinduo ko markar bahar nikala,abhi bhi ankhe nahi khuli hai,agar us din aap nayi sadak jodhpur rajsthan me hote to es tarah ke prashan nahi puchhate.

  11. डॉ आनंद के इस आलेख में उल्लेखित अराजनेतिक आन्दोलन यदि क़ानून का उलंघन नहीं करता और देश के सभी वर्गों .समाजों को सह अस्तित्व का साझीदार बनाता है तो इसमें किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए और इसके बावजूद होती है तो वे न्याय का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं .
    लेकिन इस तरह के आन्दोलन करने वाले अपनी आस्था के भ्रमजाल में भूल जाते हैं की इस तरह के मुद्दे किसी खास मकसद से पेश किये जाते हैं . अब तो वे भी कहने लगे ;जो घर घर ईंट पूजा करते फिरे -की -राम लला हैं टाट में .भाजपा है ठाट में .तो यह देश की जनता याने पब्लिक है -सब जानती है .

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