आतंकवाद की जननी जिहादी शिक्षा

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terrorआर. के. गुप्ता
आज तक यही सुनते आ रहे हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और अशिक्षा, गरीबी व बेरोजगारी के कारण ही युवा आतंकवादी बनते हैं। क्या यह सत्य है? यदि ऐसा होता है तो आतंकवादी भारत में प्रायः हिन्दू बहुल इलाको, मंदिरों आदि जगहों पर ही क्यों बम-विस्फोट या हमले करते हैं। यासीन भटकल, करीम टुंडा, गौहर अजीज खुमानी, मोहम्मद इरशाद खान, कफील अहमद, मोहम्मद सज्जाद, आतिफ अमीन आदि कौन से धर्म से आते है? इनमें कोई साइकिल मिस्त्री, कोई परचुन की दुकान चलाने वाला, कोई साडि़यों पर जरी का काम करने वाला है तो अन्य किसी न किसी काम में लगे हुए थे क्या ये सब बेरोजगार हैं? कोई हिन्दू बेरोजगार युवक आतंकवादी क्यों नहीं बना? क्या हिन्दू अशिक्षित, गरीब व बेरोजगार नहीं होते? सिर्फ मुस्लिम युवक ही आतंकवादी क्यों बनते हैं?

इंडियन मुजाहिदीन का आपरेशन चीफ यासीन भटकल जिसने उत्तर प्रदेश, बिहार, कोलकात्ता, महाराष्ट्र राज्यों में लगभग 2500 मुस्लिम युवकों को आतंकी बनाया, यह मुस्लिम महिलाओं का भी विंग बना रहा था जो आतंकवादियों के बीच संदेश तथा आतंकी सामान लाने-जाने का काम करता। यासीन भटकल का मुख्य कार्य क्षेत्र बिहार के समस्तीपुर व दरभंगा जिले तथा यूपी के बहराईच व आजमगढ़ है। ये चारों जिले मुस्लिम बहुल हैं। इन दोनों राज्यों में मुस्लिमों को अत्याधिक विशेष सुविधाएं प्रदान की जाती है तथा इन राज्यों में पुलिस धर्म विशेष के किसी व्यक्ति के आपराधिक गतिविधियों में संप्लित होने पर भी राजनैतिक दबाव के कारण प्रायः कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर पाती। इसीलिए आतंकवादियों का नेटवर्क इन्हीं क्षेत्रों में अत्याधिक सक्रिय है। तभी तो एक बार आजमगढ़ को आतंकवादीगढ़ कहा जाने लगा था। यासीन भटकल कभी गुजरात में कोई आतंकी मोडयूल क्यों नहीं स्थापित कर पाया? गुजरात के राजनैतिक नेतृत्व में इन आतंकवादियों को खत्म करने की भरपूर इच्छाशक्ति है। वहां का नेतृत्व नकली धर्मनिरपेक्षता का दामन थामकर नहीं चलता न ही वहा किसी धर्म विशेष का तुष्टिकरण किया जाता है न ही राष्ट्र की सुरक्षा से कोई समझौता करता है। वहां पर सर्वधर्म समभाव का अनुकरण किया जाता है इसीलिए वहां पर यासीन भटकल जैसे आतंकी कामयाब नहीं हो पाते।

इस्लाम के अनुसार गैर इस्लामियों से जिहाद करना इस्लाम की सच्ची सेवा कहलाता है। इस्लाम की शिक्षा पद्धति में मुस्लिम बच्चों को इस्लाम के लिए गैर इस्लामियों (काफिरों) से जिहाद (युद्ध) करने की शिक्षा दी जाती है जिसके कारण ये भटके युवा यासीन भटकल जैसों के साथ मिलकर आतंकी ट्रैनिंग लेकर गैर इस्लामियों के विरूद्ध जिहाद करने निकल पड़ते हैं। जब तक सरकार में बैठे राजनेता आतंकवाद को दूर करने की इच्छाशक्ति नहीं दिखाते तब तक देश में इसी प्रकार के आतंकी तैयार होते रहेगें और आगे न जाने कितने यासीन, टुंडा आदि अपने धर्म के लोगों को जिहादी शिक्षा देते रहेगें।

इसीलिये आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए हमारे नेताओं को दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ सुरक्षाबलों को आधुनिक हथियारों से लैस करने के अलावा परिस्थितियों के अनुसार आवश्यक निर्णय लेने का अधिकार भी देना होगा हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि आतंकवाद एक जिहादी विचारधारा के वशीभूत फल फूल रहा है। अतः उस विचारधारा पर भी अंकुश लगाना उतना ही आवश्यक है जितना की आतंकवादी को गिरफ्तार करना। तभी देश व समाज इस आतंकवाद से सुरक्षित रह पायेगा और विकास की राह पर अग्रसर हो सकेगा।

8 COMMENTS

  1. गुप्ता जी किसी भी धर्म के बारे में लिखने से पहले उस को अच्छी तरह से अध्ययन करना चाहिए तभी कुछ बोलना चाहिए हवा हवाई बातो से कुछ नहीं होता लॉजिक और तथ्य से बात करना चाहिए इस्लाम के बारे में अपनी जानकारी सही कर लीजिये इस्लाम के अनुसार जिस देश में मुसलमानो को अपने धर्म को मान न की पूरी अज्ज़दी हो वह कोई जिहाद नहीं होता ये देश दारुल इस्लाम कहलाते अत हे जेसे भारत लेकिन जहा धर्म के मान ने पर पाबन्दी लगाई जाए या धरम के मान ने पर प्रताड़ित किया जाए वह अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए और ये सिर्फ इस्लाम नहीं गीता भी कहती हे श्री कृष्णा ने अर्जुन को पूरी गीता में येही उपदेश दिए है की यदि धरम का पालन करने में तुम्हारे रिश्तेदार भी सामने आये तो उनसे भी युध्ह करो. लेकिन भारत एक इस्लामी देश हे तो यहाँ किसिस जिहाद की ज़रुरत नहीं रही बात यासीम भटकल या अब्दुल करीम तुंडा की तो मुसलमान नाम वाले आतंकवादियों को तो जिहाद से जोड़ रहे हे लेकिन जो हिन्दू नामो के लोग दिन रात भ्रष्टाचार और अनेक तरीको से भारतीयों को बर्बाद कर रहे हे देश को ख्होक्ला कर रहे हे उनको क्या कहेंगे आप?

    • बहुत सुंदर बात कही है आपने नाहिद जी, जो भी भारत को कमजोर कर रहे हैं वो सभी निंदा के पात्र हैं, कठोर सजाओं के पात्र हैं. लेकिन लेख में जो बात प्रमुखता से उठाई गई है उसका क्या? आप विषय की धारा को क्यों मोड़ रहे हैं? यहाँ पे इस्लाम को किस से खतरा है? धर्म परिवर्तन तो इस्लाम और ईसाइयत के लोग कर रहे हैं, हम हिन्दू तो विधर्मियों को अपने धर्म में लेने से भी हिचकते हैं. फिर यहाँ खतरा किस बात का है जो आतंकवाद मुस्लिम धर्म के लोग फैला रहे हैं? सारे पकड़े गए लोग आपके धर्म के ही क्यों हैं? बोद्ध और क्रिस्चन क्यों नहीं ?

    • मि. रियाज आपने कहा कि किसी भी धर्म के बारे में अध्ययन करने से पहले उसके बारे में जान ले तो मैं आपको बता दूं कि कुरान में 24 आयतें ऐसी है जो मुस्लिमों को गैर मुस्लिमों (काफिरो) से जिहाद करने के लिए कहती है और दिल्ली के एक मैट्रोपोलियन मजिस्ट्रेट ने भी उन्हें कुरान का अध्ययन करने के उपरांत पाया कि ये आयतें मुस्लिमों को गैर मुस्लिमों के विरुद्ध भड़काती है, ये मानवा के विरुद्ध है अतः इन्हें कुरान से हटाना ही अच्छा होगा। मैं आपको अदालत के इस निर्णय के बारे में पूर्ण जानकारी भी दे सकता हूं और आयतों के बारे में भी। आपने आगे कहां कि जहां किसी धर्म के लोगो अपने धर्म के अनुसार जीने का अधिकार नहीं मिलता वहां वे हथियार उठाते हैं। आप मुझे पूरी दुनिया में कोई एक देश बताये कि जहां मुस्लिमों को अपने धर्म के अनुसार जीने का अधिकार न हो। मैं आपको बताता हूं कि किसी भी मुस्लिम देश में अन्य किसी धर्म के व्यक्ति को अपने धर्म के अनुसार खुलकर जीने का अधिकार नहीं है। उनसे वहां पर जजिया मांगा जाता है, उन्हें मारा जाता है या उन्हें अपना धर्म बदलकर मुसलमान बनने के लिए मजबूर किया जाता है। अधिक दूर जाने की आवश्यकता नहीं सबसे पास का उदाहरण पाकिस्तान है जहां 1947 में हिन्दू लगभग 20 प्रतिशत थे और आज मुश्किल से 1 प्रतिशत भी नहीं रहे हैं क्यों? आपने गीता का उदाहरण दिया तो गीता में किसी निर्दोष, कमजोर, असहाय को मारने के लिए नहीं कहा गया है न ही किसी कि बहन-बेटी का अपहरण अथवा बलात्कार करने या उसकी सम्पति पर कब्जा करने को कहां गया है न ही उसमें लूट के माल को हलाल का माल कहा गया है। गीता में अत्याचारी, मानवता के दुश्मन, निर्दोषों को दुःख दूने वाले, अधर्म के रास्ते पर चलने वालों को दंड देने की बात भगवान श्री कृष्ण ने कहीं है उन अत्याचारियों में चाहे आपके परिवारजन ही क्यों न हो। रही बात भ्रष्टाचारियों की तो उन्हें दंड भारतीय संविधान के अनुसार मिलेगा न की उन्हें गोलियों से भुना जायेगा। आप पहले खुद गहराई से कुरान का अध्ययन करे। आप लोग कहते हो कि ये आयते मुहम्मद साहब के समय के हालात की है तो क्या आज भी दुनिया में वही हालात हैं? जरा सोचें और समझे

    • फातमा जी आपने कहा कि किसी भी धर्म के बारे में अध्ययन करने से पहले उसके बारे में जान ले तो मैं आपको बता दूं कि कुरान में 24 आयतें ऐसी है जो मुस्लिमों को गैर मुस्लिमों (काफिरो) से जिहाद करने के लिए कहती है और दिल्ली के एक मैट्रोपोलियन मजिस्ट्रेट ने भी उन्हें कुरान का अध्ययन करने के उपरांत पाया कि ये आयतें मुस्लिमों को गैर मुस्लिमों के विरुद्ध भड़काती है, ये मानवा के विरुद्ध है अतः इन्हें कुरान से हटाना ही अच्छा होगा। मैं आपको अदालत के इस निर्णय के बारे में पूर्ण जानकारी भी दे सकता हूं और आयतों के बारे में भी। आपने आगे कहां कि जहां किसी धर्म के लोगो अपने धर्म के अनुसार जीने का अधिकार नहीं मिलता वहां वे हथियार उठाते हैं। आप मुझे पूरी दुनिया में कोई एक देश बताये कि जहां मुस्लिमों को अपने धर्म के अनुसार जीने का अधिकार न हो। मैं आपको बताता हूं कि किसी भी मुस्लिम देश में अन्य किसी धर्म के व्यक्ति को अपने धर्म के अनुसार खुलकर जीने का अधिकार नहीं है। उनसे वहां पर जजिया मांगा जाता है, उन्हें मारा जाता है या उन्हें अपना धर्म बदलकर मुसलमान बनने के लिए मजबूर किया जाता है। अधिक दूर जाने की आवश्यकता नहीं सबसे पास का उदाहरण पाकिस्तान है जहां 1947 में हिन्दू लगभग 20 प्रतिशत थे और आज मुश्किल से 1 प्रतिशत भी नहीं रहे हैं क्यों? आपने गीता का उदाहरण दिया तो गीता में किसी निर्दोष, कमजोर, असहाय को मारने के लिए नहीं कहा गया है न ही किसी कि बहन-बेटी का अपहरण अथवा बलात्कार करने या उसकी सम्पति पर कब्जा करने को कहां गया है न ही उसमें लूट के माल को हलाल का माल कहा गया है। गीता में अत्याचारी, मानवता के दुश्मन, निर्दोषों को दुःख दूने वाले, अधर्म के रास्ते पर चलने वालों को दंड देने की बात भगवान श्री कृष्ण ने कहीं है उन अत्याचारियों में चाहे आपके परिवारजन ही क्यों न हो। रही बात भ्रष्टाचारियों की तो उन्हें दंड भारतीय संविधान के अनुसार मिलेगा न की उन्हें गोलियों से भुना जायेगा। आप पहले खुद गहराई से कुरान का अध्ययन करे। आप लोग कहते हो कि ये आयते मुहम्मद साहब के समय के हालात की है तो क्या आज भी दुनिया में वही हालात हैं? जरा सोचें और समझे

    • इस सत्य को कोई नकार नही सकता कि मुसलमान कभी भी देश के वफादार नही रहे हैं और उसका मै उदाहरण दे रहा हूं, कभी हमारे देश की सीमाएं ईरान तक फैली हुई थी और उस समय हमारा देश बहुत विशाल और वैभवशाली था देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था फिर मुस्लिम आक्रमणकारियों का दौर शुरू हुआ देश पर बार बार प्रहार हुए हमारे देश के बहुत से लोग मारे गए और कुछ लोग ताकि वो मारे ना जांय,अपनी जान बचाने के लिए मुसलमान बन गये,इस तरह से आर्यावर्त में इस्लाम का प्रसार होने लगा।अब यही लोग जो हिन्दू से मुसलमान बन गये थे अपनी अनेक पीढ़ियों के बाद जब इनकी संख्या बढ़ने लगी तो अपनी मनमानियां करने लगे हालात ये हुआ कि देश का कई बार विभाजन हुआ जैसे अफगानिस्तान,पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे बड़े भूखण्ड हमारे देश से अलग हो गए और ये सब क्यों हुआ क्योंकि हमारे देश के मुसलमान जो कि उनके पूर्वज हिन्दू ही थे इस्लामिक जेहाद के रास्ते पर चलते चले गए और इस्लामिक जेहाद का जहर बढ़ता चला गया और इसका दूसरा कारण ये भी है कि हिन्दू धर्म के प्रति कभी कट्टर नही हुआ हिन्दू किसी के धार्मिक आस्था पर कभी भी चोट नही करता और हमारे देश के मुसलमान जो हिन्दू से मुसलमान बन गये थे वो अपने को इस्लाम का सबसे बड़ा पैरोकार समझने लगे हिन्दुओं की आस्था पर प्रहार करने लगे हिन्दुओं का मजाक बनाने लगे हिन्दुओं को अपने दावतों में बुलाकर मांसाहार आदि प्रवृत्तियों में संलिप्त कर लिए, तरह तरह के प्रपंचों से हिन्दुओं को कमजोर करने लगे इन कामों से मुसलमानों को दो फायदा हुआ बहुत से हिन्दू उनके प्रभाव में आकर मुसलमान बन गये और कुछ हिन्दू उनके खिलाफ बोलने से बचने लगे, उनके गलत कामों को भी संरक्षण मिलने लगा और अब स्थिति ये है कि मुसलमान कुछ भी करे अपने ही देश के कई लोग उनको जस्टिफाई करने में लगे रहते हैं और हिन्दू यदि एक कंकड़ भी फेंक दे तो उसको ऐसे दिखाया जाता है कि जैसे उसने बम फोड़ दिया हों।मुसलमान कभी देश का हित नही सोचते हैं वे सिर्फ अपना हित अपने कौम का हित ही चाहते हैं और करते भी हैं और इसीलिए वे देश के कभी वफादार नही हुए जबकि उन्हें ये पढ़ना चाहिए कि उनके पूर्वज हिन्दू से मुसलमान क्यों बने और यदि उनके पूर्वजों ने जो गलती की इस्लाम स्वीकार करके वो उस गलती को सुधार सकते हैं हिन्दू धर्म बहुत ही उदार है यह धर्म सबको अपना लेगा अतः सभी मुस्लिम लोगों से मेरी यही विनती है कि वे अपने पूर्वजों के सनातन धर्म को अपनायें और राष्ट्र को महान बनाने में योगदान करें

  2. रियाज़ जी अजमेर, मालेगांव बम धमाको में पहले २२ के करीब मुसलमान ही पकडे गए थे हिन्दुओ को तो मुस्लिम सांसदों और नेताओ के दबाव में पकड़ा गया था उन के खिलाफ आज तक कोई जाँच एजेंसी आरोप पत्र तक तो दाखिल नहीं कर पाई NIA ने अपनी रिपोर्ट में इन के खिलाफ कोई सबूत न मिलने की बात कोर्ट में कही है और दूसरी बात क्या पुरे देश में सिर्फ इन्ही दो जगह बम विस्फोट हुए है हिन्दुओ के मंदिरों पर हमला , संसद पर हमला , ताज होटल पर हमला , कश्मीर में सी आर पी ऍफ़ पर हमले डेल्ही, जयपुर, बेगलोर, मुंबई अहमदाबाद अनेको कितने जगहे आप को गिनाऊ जहाँ पर हमले हुए उनमे न जाने कितने मासूम लोग मारे गए ये सब किसने , किस धर्म के लोगो ने किये

  3. मेरे भाई गलत बाया कर गए हो. आजकल बम अजमेर दरगाह में भी फूटते हें…. उन्हें कोई मुस्लमान नहीं फोड़ता… मालेगाव मस्जिद बम मुसलमानों ने नहीं फोड़ा… जरा गोर कीजिए…..

    • जिनके ऊपर ये इल्जाम लगाया जा रहा है उन पर ये सिद्ध भी तो नहीं हो पा रहा है, याद करिए पहले जिन पर ये इल्जाम लगाया गया था उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया था, फिर दुबारा दूसरों पे थोपा गया है और थोपने के बाद भी सिद्ध नहीं हो पा रहा है.

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