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माँ पर लिखी गयी तीन कविता .............अनुराग अनंत - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
(1) मैंने माँ को देखा है , तन और मन के बीच , बहती हुई किसी नदी की तरह , मन के किनारे पर निपट अकेले, और तन के किनारे पर , किसी गाय की तरह बंधे हुए , मैंने माँ को देखा है , किसी मछली की तरह तड़पते…