श्री साहेब जी

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एल आर गाँधी

‘श्री’ भारतीय सभ्यता का बहुत ही पौराणिक आदर सूचक शब्द है …श्री शब्द का प्रयोग किसी बहुत ही आदरणीय महापुरुष के नाम के पूर्व प्रयोग किया जाता है . इसके अतिरिक्त ‘श्री’ अलंकार को देवी ,लक्ष्मी, विष्णु व् श्री गणेश -समृद्धि और विघ्न हरने वाले विघ्नेश्वर आदि के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है ……मगर हमारे परम ज्ञानी गृह मंत्री श्री श्री सुशिल कुमार जी शिंदे साहेब ने आतंक के पर्याय अजमल कसाब के नाम के आगे ‘श्री’ शब्द का प्रयोग कर साफ़ कर दिया कि उनके विशाल हृदय में आतंकवादियों के लिए कितना सम्मान है।

अब शिंदे साहेब ने हाफिज सईद को ‘साहेब’ के सम्मानजनक शब्द से संम्बोधित कर ‘अपनी सेकुलर सरकार’ की आतंक के खिलाफ नियत और निति पर मोहर लगा दी है। और इसके साथ ही आर एस एस व् भारतीय जनता पार्टी को आतंकी संगठन घोषित कर ‘सईद साहेब ‘ से वाहवाही भी लूट ली। सईद को साहेब कह कर मुंबई आतंकी हमले के सूत्रधार को एक निहायत ही आदरणीय शख्स बना दिया गया है . अंग्रेजों को गुलाम भारतीय ‘साहेब’ के आदरसूचक शब्द से बुलाते थे . इसके अतिरिक्त भारतीय एक पवित्र स्थान या व्यक्ति के लिए भी ‘साहेब’ शब्द का प्रयोग करते हैं जैसे ‘हरमंदिर साहेब’ गुरुग्रंथ साहेब , साहेबजादे ….

ओसामा बिन लादेन को ‘जी ‘ के अलंकार से संबोधित करने वाले , 150 साल पुराणी राष्ट्रिय कांग्रेस के , महासचिव श्री श्री दिग्विजय सिंह साहेब …शिंदे उर्फ़ शर्मिंदे साहेब के पक्ष में ताल ठोक कर खड़े या अड़े नज़र आ रहे हैं … खड़े भी क्यों न …भगवा आतंक के प्रलाप में कोई तो साथी मिला ….

कबीर जी ने ठीक ही तो कहा है …..

शब्द सम्हारो बोलिए, शब्द के हाथ न पाँव

एक शब्द औषध करे , एक शब्द करे घाव

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एल. आर गान्धी
अर्से से पत्रकारिता से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में जुड़ा रहा हूँ … हिंदी व् पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है । सरकारी सेवा से अवकाश के बाद अनेक वेबसाईट्स के लिए विभिन्न विषयों पर ब्लॉग लेखन … मुख्यत व्यंग ,राजनीतिक ,समाजिक , धार्मिक व् पौराणिक . बेबाक ! … जो है सो है … सत्य -तथ्य से इतर कुछ भी नहीं .... अंतर्मन की आवाज़ को निर्भीक अभिव्यक्ति सत्य पर निजी विचारों और पारम्परिक सामाजिक कुंठाओं के लिए कोई स्थान नहीं .... उस सुदूर आकाश में उड़ रहे … बाज़ … की मानिंद जो एक निश्चित ऊंचाई पर बिना पंख हिलाए … उस बुलंदी पर है …स्थितप्रज्ञ … उतिष्ठकौन्तेय

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