मुझको अब सहना आता है
इतनी पीड़ा सहने पर अब,
ईश्ववर भी याद नहीं आता,
जितनी पीड़ा देनी है दे दे वो,
मुझको अब सहना आता है।
पीड़ा आज गई घर अपने,
फिर आऊंगी वादा करके।
हर आहट पर लगता है कहीं
पीड़ा वापिस आने का
संकेत तो नहीं …………..
इतनी पीड़ा सहकर अब
रोज़ रोज़ काव्यात्मक,
स्वास्थ समाचार लिखते लिखते,
लगता है खँड काव्य ही,
लिखने की तैयारी है ।