मुंबई बम हमले में पहली बलि चढ़ेगी याकूब मेमन की

yakoobअशोक “प्रवृद्ध”

 

बात आज से कोई नौ वर्ष पुरानी है, जब अदालत में पेशी के दौरान याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन ने अपनी कहानी की तुलना दीवार फिल्म से करते हुए कहा था मेरी माँ यहां बीमार होने के बावजूद आयी हैं । गौरतलब है कि मशहूर हिन्दी फिल्म दीवार में दो भाईयों की कहानी प्रस्तुत की गई है, जिसमें एक भाई का चरित्र अभिनीत करने वाले अमिताभ बच्चन अपराध की दुनिया में प्रवेश कर जाते हैं और दूसरे भाई शशि कपूर एक ईमानदार पुलिस इंसपेक्टर बन जाते हैं । और, दोनों भाईयों के बीच की विषम परिस्थिति में उनकी माँ निरूपा राय पीसती है । याकूब मेमन ने उस समय अदालत में किसी का हवाला देते हुए कहा था कि, वो सच कहते थे कि तुम गांधीवादी करोगे और सब के सब टेरेरिस्ट बन जाओगे । लेकिन तेरह साल लग गये है इसे समझने में ।

 

दरअसल याकूब मेमन ने यह बात अदालत में मुंबई धमाके में 257 लोगों की जान जाने के लिए खुद को आरोपी बनाये जाने के 13 साल बाद कही थी, और अब नौ साल बाद याकूब मेमन की कहानी अपनी परिणति पर पहुंच चुकी है । जैसी की खबर आ रही है कि उसे 30 जुलाई को मुंबई बम हमले के आरोप में फांसी की सजा दी जायेगी, तो एक बार फिर वह भारतीय पत्र-पत्रिकाओं व खबरिया चैनल का सुर्खी बन गया है । सनसनाती खबर है कि 1993 मुंबई धमाके के दोषी याकूब मेमन को नागपुर सेंट्रल जेल में 30 जुलाई को सुबह सात बजे फांसी दिए जाने का कार्यक्रम है । इस मामले में यह पहली फांसी होगी अर्थात मुंबई बम हमले में पहली बलि चढ़ेगी याकूब मेनन की । याकूब मेमन की दया याचिका उच्च न्यायालय से लेकर राष्ट्रपति तक ने खारिज कर दी है। इस पूरी प्रक्रिया में 22 साल लग गए । टाडा कोर्ट ने इस संबंध में वारंट जारी कर दिया है, और महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री कार्यालय की ओर से इस बात की पुष्‍टि कर दी गई है । वर्ष 1993 के मुंबई बम विस्फोट के दोषी याकूब मेमन को 30 जुलाई को फांसी दिये जाने की खबर के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करेगी और जो भी किया जायेगा उसे उपयुक्त समय पर सार्वजनिक किया जायेगा । फडणवीस ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने इस मुद्दे पर फैसला दिया था । न्यायालय की तरफ से जो निर्देश दिया जायेगा महाराष्ट्र सरकार उसके अनुरुप कार्य करेगी । जब उचित समय आयेगा तो हम इस मुद्दे पर और सूचना उपलब्ध करायेंगे । खबर यह भी है कि उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा फांसी की सजा पर उसकी अपील को रद्द किये जाने के खिलाफ अगर मेमन की याचिका को उच्चतम न्यायालय खारिज कर देता है तो उसे फांसी दी जायेगी ।कोर्ट और नागपुर प्रशासन को भी मेनन की फांसी होने की जानकारी दे दी गई है। याकूब मेमन के परिवार को भी फांसी की तारीख के बारे में बता दिया गया है। कानून के अनुसार, किसी भी अपराधी को फांसी से 15 दिन पूर्व उसके परिवार को जानकारी देना जरूरी है। जेल में याकूब के स्वास्थ्य की लगातार निगरानी की जा रही है। उस पर किसी तरह का शारीरिक या मानसिक दबाव नहीं है। उसने अपने वकील से मिलने से भी इनकार कर दिया है। वर्ष 1993 में हुए धमाके में 257 लोगों की मौत हो जाने और 713 अन्य लोगों के घायल हो जाने के मामले में 27 जुलाई 2007 को टाडा कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता के तहत याकूब मेनन को फांसी की सजा सुनाई थी और याकूब मेमन इस समय नागपुर केंद्रीय कारा में बंद है जहां रिपोर्ट के अनुसार फांसी दिये जाने की सुविधा उपलब्ध है । एक वरिष्ठ जेल अधिकारी ने बताया कि फांसी की तारीख पर फैसला उपचारात्मक याचिका पर उच्चतम न्यायालय के फैसले पर निर्भर करता है।

 

 

ध्यातव्य है कि सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल में मेमन की मौत की सजा से छूट की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी जिसके बाद मेनन की ओर से दोबारा पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली गयी है जिस पर सुनवाई 21 जुलाई को हो सकती है । राष्‍ट्रपति ने मेमन की दया याचिका पहले ही खारिज कर दी है । कयास लगाया जा रहा है कि सुरक्षा कारणों से याकूब मेमन को फांसी देने की तारीख और जगह बदली जा सकती है । फिलहाल उसे 30 जुलाई को नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी दी जाने की योजना है, लेकिन यदि सरकार को मेमन की सुरक्षा को लेकर खुफिया जानकारी मिलेगी तो वह फांसी की तारीख और जगह बदल सकती है । ध्यातव्य है  कि आतंकी आमिर अजमल कसाब को फांसी देने के पहले भी काफी ऐहतियात बरते गये थे ।

 

 

उल्लेखनीय है कि मुंबई में 12 मार्च 1993 को एक योजना के तहत 13 बम धमाके किये गये जिसमें 257 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, जबकि 713 अन्य जख्मी हुए थे । देश में पहली बार आरडीएक्स की मदद से विस्फोट किए गए थे । इन धमाकों में 28 करोड़ रुपये की संपत्ति नष्ट हो गई थी । मुंबई स्टॉक एक्सचेंज की इमारत, नरिमन प्वाइंट पर इयर इंडिया भवन, वोर्ली में सेन्चुरी बाजार के सामने होटल सी रॉक और जूहू सेन्तूर सहित 12 स्थानों को धमाकों से हिला दिया गया था । मालूम हो कि मुंबई में दिसंबर 1992 से जनवरी 1993 तक जबरदस्त दंगा हुआ था । उसके बाद मार्च में सिलसिलेवार बम विस्फोट का ऐसा जलजला हुआ, जिसमें मुंबई आज तक उबर नहीं सकी । इन धमाकों में कथित रूप से दाउद इब्राहिम, टाइगर मेमन और उसके भाई अयूब मेमन मुख्य षड़यंत्रकारी थे और इन्हें वांछित अपराधी घोषित कर दिया गया था ।

 

याकूब मेमन उच्च शिक्षित शख्स है और पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट है । भगोड़े अपराधी टाइगर मेमन का यह छोटा भाई शानदार अंगरेजी बोलता है । वह अपने परिवार का सबसे ज्यादा पढा-लिखा हुआ शख्स है और 12 मार्च, 1993 मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाके रुपी आतंकी हमले का मुख्य आरोपी है । याकूब के वकीलों की दलील थी कि वह सिर्फ धमाकों की साजिश में शामिल था न कि धमाकों को अंजाम देने में। इस मामले में विशेष टाडा अदालत ने 10 अन्य दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी। उसे सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया। कोर्ट ने कहा था मेमन और अन्य भगोड़े (दाउद इब्राहिम तथा अन्य) मुख्य षड्यंत्रकारी थे, जिन्होंने इस त्रासद कार्रवाई की साजिश रची थी। 10 अपीलकर्ता सिर्फ सहयोगी थे, जिनकी जानकारी उनके समकक्षों की तुलना में बहुत कम थी। हम कह सकते हैं कि उसने (याकूब ने) और अन्य फरार आरोपियों ने निशाना लगाया जबकि शेष अपीलकर्ताओं के पास हथियार थे। फिल्म अभिनेता संजय दत्त को इस मामले में अवैध हथियार रखने के जुर्म में पांच साल की सजा सुनाई गई थी। उन्हें शेष साढ़े तीन साल की सजा काटने का आदेश दिया गया था। विशेष टाडा अदालत ने संजय को वर्ष 2007 में 6 साल की सजा सुनाई थी, जिसे कोर्ट ने घटा कर 5 साल कर दिया था। संजय पहले ही 18 माह तक जेल में बंद रहे थे।

 

दरअसल, मेमन परिवार के ट्रेरर लिंक का खुलासा मुंबई के चर्चित पुलिस अधिकारी राकेश मारिया ने किया था । उन्होंने एक लावारिश व संदिग्ध मारुति 800 कार को दक्षिण मध्य मुंबई के वर्ली इलाके से स्थानीय पुलिस के माध्यम से जब्त किया था । इस कार का रजिस्ट्रेशन रुबिना मेमन के नाम पर था, जो उसके परिवार की सदस्य हैं । बाद में राकेश मारिया ने मेमन परिवार के फ्लैट पर छापामारी की थी, जिसमें उन्होंने उस परिवार के ट्रेरर लिंक के कुछ अहम सुराग मिले । उन्होंने विस्फोटकों से लदा एक वाहन भी जब्त किया था ।

 

मुंबई विस्फोट मामले में 190 लोगों को आरोपी बनाया गया था । इसमें लगभग 100 पर आरोप सिद्ध हो गया । इस पूरे मामले में लगातार सीबीआइ ने 3000 लोगों की गवाही पर अपनी पडताल को आगे बढाया । गवाहों व सबूतों के आधार पर इस मामले में दाउद इब्राहिम, टाइगर मेमन व अन्य को मुख्य अभियुक्त बनाया गया । पर, बाद में वे पाकिस्तान चले गये और भूमिगत हो गये । बाद में याकूब मेमन भारत आया और उसके गिरफ्तार किया गया । सीबीआइ ने उसे पांच अगस्त 1994 को गिरफ्तार किया । लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद उसे फांसी की सजा सुनायी गयी और अब खबर है कि उसका डेथ वारंट भी निकाला जा चुका है ।टाडा कोर्ट ने 27 जुलाई 2007 को याकूब को आपराधिक साजिश का दोषी करार देते हुए सजा-ए-मौत सुनाई थी। इसके बाद उसने बॉम्बे हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति तक के पास अपील की, लेकिन उसे राहत नहीं मिली। अब उसके पास क्यूरेटिव याचिका ही एकमात्र रास्ता है, जिस पर फांसी से पहले सुनवाई हो सकती है।

 

 

 

 

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अशोक “प्रवृद्ध”
बाल्यकाल से ही अवकाश के समय अपने पितामह और उनके विद्वान मित्रों को वाल्मीकिय रामायण , महाभारत, पुराण, इतिहासादि ग्रन्थों को पढ़ कर सुनाने के क्रम में पुरातन धार्मिक-आध्यात्मिक, ऐतिहासिक, राजनीतिक विषयों के अध्ययन- मनन के प्रति मन में लगी लगन वैदिक ग्रन्थों के अध्ययन-मनन-चिन्तन तक ले गई और इस लगन और ईच्छा की पूर्ति हेतु आज भी पुरातन ग्रन्थों, पुरातात्विक स्थलों का अध्ययन , अनुसन्धान व लेखन शौक और कार्य दोनों । शाश्वत्त सत्य अर्थात चिरन्तन सनातन सत्य के अध्ययन व अनुसंधान हेतु निरन्तर रत्त रहकर कई पत्र-पत्रिकाओं , इलेक्ट्रोनिक व अन्तर्जाल संचार माध्यमों के लिए संस्कृत, हिन्दी, नागपुरी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओँ में स्वतंत्र लेखन ।

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