ट्रंप की मुस्लिमबंदी : अक्ल ताक पर

अमेरिका के राष्ट्रपति अपने चुनाव-अभियान के दौरान जो कहते थे, वह वे दनादन करते जा रहे हैं। अब उन्होंने मुस्लिमबंदी शुरु कर दी है। सात मुस्लिम देशों के नागरिकों के अमेरिका आने पर उन्होंने 90 दिन की रोक लगा दी है। ये देश हैं- ईरान, इराक, सीरिया, सोमालिया, यमन, लीबिया और सूडान! अन्य देशों के शरणार्थियों के अमेरिका प्रवेश पर उन्होंने 120 दिन की रोक लगाई हैं।

इन देशों के बारे में ही नहीं, समस्त मुस्लिम देशों के बारे में चुनाव के दिनों में वे जिस शब्द का इस्तेमाल करते थे, वह था-‘मुस्लिम बेन’ याने मुस्लिमबंदी। अब वे सफाइयां दे रहे हैं। कह रहे हैं कि यह मुस्लिमबंदी नहीं, आतंकीबंदी है। वे आतंकवादियों के खिलाफ हैं, मुसलमानों के नहीं। यह उन्होंने डर के मारे कह दिया है। अब उनका इतना तगड़ा विरोध हो रहा है कि ट्रंप के पांव के नीचे की जमीन खिसकने लगी है। उनके अपने देश में हवाई अड्डों, महापथों और उप-नगरों में अनेक आप्रवासी नागरिकों ने यातायात ठप्प कर दिया है। हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं।

इतना ही नहीं, जो देश अमेरिका के अभिन्न मित्र हैं और उसकी सहायता के दम पर इतराते हैं, उन्होंने भी ट्रंप की इस नीति की स्पष्ट आलोचना की है। फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के नेताओं ने ट्रंप के इस फैसले को अमानवीय, अन्यायपूर्ण और अलोकतांत्रिक बताया है। ब्रिटेन की प्रमुख पार्टियों के नेताओं ने ट्रंप की लंदन-यात्रा स्थगित करने की मांग की है। कनाडा के प्रधानमंत्री ने पश्चिम एशिया के शरणार्थियों का अपने यहां स्वागत किया है।

भारत सरकार ने इस मामले में अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं की है लेकिन वह यह न भूले कि वह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मुस्लिम देश है और उसके मुस्लिम नागरिक भी बड़ी संख्या में अमेरिका में रहते हैं। इसके अलावा भारत के लगभग पौने दो लाख छात्र और उनके परिजन एच-1बी वीज़ा पर अमेरिका में है। उनका वहां रहना भी कठिन होने वाला है। भारत के 30 लाख अमेरिकी नागरिकों को ट्रंप निकाल तो नहीं सकते लेकिन वे उनके रोजगार जरुर छीनना चाहेंगे। आखिर, भारत कब तक चुप बैठेगा?

ट्रंप को शायद पता नहीं कि दुनिया में आतंकवाद को जन्म देने और पालने-पोसने वाला अमेरिका ही है। सउदी अरब और सीरिया के खूंखार आतंकवादियों की पीठ किसने ठोकी थी? अफगान मुजाहिदीन को डालर और हथियार किसने दिए थे? सोवियत रुस का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तानी आतंकियों को किसने शह दी थी? आश्चर्य है कि सउदी अरब, पाकिस्तान और अफगानिस्तान को ट्रंप क्यों नहीं छू रहे? अब अमेरिका की अदालतों ने ही ट्रंप की इतनी खिंचाई कर दी है कि उनकी सरकार को अपनी मुस्लिमबंदी में ढील देनी पड़ी है। आतंकवाद को खत्म करने के ट्रंप के संकल्प का हम हार्दिक समर्थन करते हैं लेकिन इस संकल्प को लागू करते समय अपनी अक्ल को ताक पर रखना जरुरी नहीं है।

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