नमो का गंगा अभियान और उमा भारती का उत्थान

-प्रवीण गुगनानी-
kishan ganga

आरएसएस और भाजपा अपने चिर प्रतीक्षित स्वप्न “भव्य जन्मभूमि” को लोकतांत्रिक और वैधानिक सीमाओं में रहकर पूर्ण करने के लिए लखनऊ की सत्ता के महत्व और संवैधानिक बारीकियों को भली भांति समझ रही है! उमा जी का यह भव्य पुनर्वास और “गंगा मंत्रालय” में आसीन होना निस्संदेह उस स्वप्न की ओर एक कदम ही है. विचार, व्यक्ति, वस्तु और वास्तविकता में निहित संभावनाओं के आकलन के बेहद सधे-मंजे खिलाड़ी और नमो के हनुमान अमित शाह को उमा भारती में जो संभावनाएं नजर आई हैं. अब उन पर उमा खरा उतरना ही उनके राजनैतिक भविष्य का निर्धारण करेगा.

आध्यात्म और धर्म के साथ राजनीति इस देश में पिछले पैसठ वर्षों में मोटे तौर पर वर्जनीय समझी जाती रही है और तथाकथित छद्म धर्म निरपेक्षता वादी राजनीतिज्ञों ने भारतीय परिप्रेक्ष्य की इस महत्वपूर्ण राजनैतिक विधा को न केवल उपेक्षित किया वरन अपमानित भी किया है. अब जब देश एक नए राजनैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मंतव्य और दृष्टिकोण के साथ एक नया अध्याय प्रारम्भ कर रहा है तब साध्वी उमा भारती को जल संसाधन और गंगा सफाई मंत्रालय का दायित्व मिलने के बड़े दूरंदेशी परिणाम दृष्टिगोचर होंगे, यह विश्वास किया जाना चाहिए. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वांचल, बिहार, हिमांचल जैसे प्रदेशों में गंगा नदी के राजनैतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक महत्व को समझनें वाले सहज ही जान सकते हैं कि गंगा मामलों की मंत्री बनाकर उमा भारती को धर्म, अध्यात्म, संस्कृति के साथ साथ जनोन्मुखी राजनीति के किस पड़ाव पर विशाल और विहंगम पड़ाव पर ला खड़ा किया है. पिछले कुछ वर्षों से भाजपा में घनघोर उपेक्षा की शिकार रही साध्वी उमा का राजनैतिक पुनर्वास इतना भव्य और दबावदार होगा ऐसा कम ही लोग जानते थे. नरेन्द्र मोदी के हनुमान कहे जाने वाले अमित शाह के उत्तर प्रदेश और अभियान में भी उमा भारती की इस नियुक्ति का सर्वाधिक महत्व होगा. नरेन्द्र मोदी का बनारस से सांसद बने रहना, बनारस को देश की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में पुनर्स्थापित करनें के संकल्प और गंगा आधारित उनके चुनाव अभियान के परिप्रेक्ष्य में यदि कोई गंगा सफाई मंत्रालय के महत्व को ना समझें तो निश्चित ही वह राजनीति में शिशु ही होगा!

अल्पायु में ही आध्यात्म से राजनीति में राजमाता सिंधिया द्वारा राजनीति में लाइ गई उमा भारती की राजनीति आध्यात्म के माध्यम से आगे बढ़ी और सदैव आध्यात्म के समानांतर ही आगे बढती रही है. केंद्र में जल संसाधन मंत्री बनना और प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी अभियान “गंगा सफाई अभियान” का मंत्रालय भी साथ में दिया जाना, उनके राजनैतिक कद और भविष्य भी दर्शाता है और उनकी आध्यात्म आधारित राजनीति के महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच जाने को भी दर्शाता है. उमा भारती का उत्तरप्रदेश के महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्र झांसी से प्रत्याशी से बनना और विजयी होनें के का निश्चित ही बहुत महत्व है. आगामी उप्र विधानसभा के चुनावों में अमित शाह और उमा भारती ही केन्द्रीय भूमिका में होंगे और इनके आसपास ही पूरी चुनावी धुरी घूमेगी.

अपने देश की पवित्रतम और महत्वपूर्ण आर्थिक आधार के रूप में शीर्ष पर विराजित नदी गंगा के सफाई और सौन्दर्यीकरण की दिशा में कई अभियान चल चुके हैं और परिणामों के नाम पर असफलता और हताशा का वातावरण बन गया है. विगत समय में चली इन तथाकथित गंगा सफाई अभियानों और के लिए विश्व बैंक ने एक अरब डालर का ऋण भी भारत सरकार को दिया था जो भर्राशाही की भेंट चढ़ गया. बड़ी-बड़ी और लाखों करोड़ के बजट वाली आर्थिक परियोजनाओं को अपनें किनारें बसायें हुए गंगा उनकी आवश्यकताओं को पूर्ण करते हुए इस भारत भूमि का अपनें वात्सल्य से भरण पोषण करती रही है. सौ करोड़ भारतवासियों की धार्मिक आस्था और श्रद्धा विश्वास की केंद्र गंगा में एक अनुमान के अनुसार प्रतिदिन बीस लाख लोग स्नान कर अपनें आप को धन्य समझते हैं. अनेकों पौराणिक कथाओं की केंद्र रही गंगा का वर्णन वेद, पुराण, उपनिषद्, गीता, रामायण,महाभारत, आदि प्रत्येक हिन्दू ग्रंथों में पूज्य नदी और पापनाशक नदी के रूप में किया जाता है. उमा जी ने गंगा के इसी महात्म्य को समझते हुए अपनें प्रत्येक राजनैतिक पड़ाव पर स्वयं को गंगा नदी के साथ जोड़े रखा है और वे पूर्व में भी गंगा नदी के प्रत्येक शासकीय अशासकीय अभियानों में जानकारियों और क्रियान्वयनों का स्त्रोत रहीं हैं, किन्तु आज गंगा सफाई अभियान ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र की जल संसाधन मंत्री बनाकर माता गंगा ने उनका पुत्री रूप में जो अभिषेक कराया है वह उमा जी गंगा आस्था का ही परिणाम है. भारत की सर्वाधिक पूज्य और महत्वपूर्ण नदी गंगा, जो भारत और बांग्लादेश में मिलाकर 2510 किमी की दूरी तय करती हुई उत्तरांचल में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक विशाल भू भाग को सींचती है, देश की प्राकृतिक संपदा होकर भारतीय कृषि के बड़े अंश का मूलाधार है. 2071 कि.मी तक भारत तथा उसके बाद बंगलादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान का सिंचन पोषण करती है. सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनंत आँचल में नहुत ही सघन बसी और बड़ी जनसंख्या को समेटे हुए है. इस नदी के सांस्कृतिक के साथ आर्थिक और राजनैतिक महत्व को समझते हुए ही संभवतः नरेन्द्र मोदी ने गंगा को अपनें उत्तर भारत के लोकसभा चुनाव में केंद्रबिंदु बनाया और आगामी उ.प्र. विधानसभा चुनाव में भी केन्द्रीय विषय बनाए रखेंगे.

भाजपा संगठन में कई बड़ी राष्ट्रीय और प्रादेशिक जिम्मेदारियों का निर्वहन कर चुकी साध्वी उमा म.प्र. की मुख्य मंत्री और अटल सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी रह चुकीं हैं और लंबा प्रशासकीय अनुभव रखती हैं. पिछले दशक में मात्र अपनें दम पर दिग्विजय सरकार को हटा कर म.प्र. में भाजपा का परचम लहराने वाली उमा श्री बड़ी ही असहज परिस्थितियों में म.प्र. की भाजपा राजनीति से विदा कर दी गई थी. उमाजी की प्रखरता जनता को तो प्रिय लगती थी किन्तु प्रशासन और शासन में इस प्रखरता ने जिस प्रकार तुनकमिजाजी का रूप ले लिया था वह उनके विरुद्ध गया और उनकें म.प्र. में पतन का कारण बना. मप्र में सत्ता प्राप्त करने के बाद कुछ उनकी संवेदनशीलता का तुनकमिजाजी में बदल जाना और कुछ प्रारब्ध वश घटनाओं का उमाश्री के विरुद्ध ही घटते जाना उनके राजनैतिक वनवास का कारण बना. इसके बाद से लेकर 2014 के लोकसभा चुनावों तक जो हुआ वह उमाजी के जीवन में उल्लेखनीय नहीं है, किन्तु अब जो होने जा रहा है वह संभवतः इतिहास होगा, किन्तु यह तब ही होगा जब उमा श्री ने अपने अतीत के इस स्याह अध्याय को अपनें मन-मस्तिष्क में बैठा रखा हो.

नरेन्द्र मोदी गंगा को टेम्स नदी की लय पर विकसित करनें का जो बहुमुखी और महत्वकांक्षी कार्यक्रम बनाया है उसके अनुसार तो गंगा का विकास कम से कम बीस केन्द्रीय मंत्रालयों के आपसी सामंजस्य और संयुक्त क्रियान्वयन में होने वाला है. इसका सीधा सा अर्थ यह है कि उमा भारती गंगा विकास के मंच से सभी मंत्रियों की प्राथमिकता सूची सबसे ऊपर रहेंगी और सभी के साथ मिल कर कार्य करेंगी.

आरएसएस और भाजपा अपनें चिर प्रतीक्षित स्वप्न “भव्य जन्मभूमि” को लोकतांत्रिक और वैधानिक सीमाओं में रहकर पूर्ण करनें के लिए लखनऊ की सत्ता के महत्व और संवैधानिक बारीकियों को भली भांति समझ रही है और उमा जी का यह भव्य पुनर्वास और “गंगा मंत्रालय” में आसीन होना निस्संदेह उस स्वप्न की ओर एक कदम ही है. विचार,व्यक्ति,वस्तु और वास्तविकता में निहित संभावनाओं के आकलन के बेहद सधे-मंजे खिलाड़ी और नमो के हनुमान अमित शाह को उमा भारती में जो संभावनाएं नजर आई हैं. अब उन पर उमा खरा उतरना ही उनकें राजनैतिक भविष्य का निर्धारण करेगा. गोमुख से गंगासागर तक की 2525 किमी की लंबाई पर स्वच्छता अभियान हेतु वर्ष 2009 में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की स्थापना हुई थी, इसके बाद 2600 करोड़ रुपये व‌र्ल्ड बैंक से कर्ज लेकर गंगा निर्मलीकरण की दिशा में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रयास शुरू हुए थे किन्तु ये सारे अभियान अकर्मण्यता और नौकरशाही की भेंट चढ़ गए हैं. अब इन अभियानों की सफलता उमा भारती की प्रशासनिक क्षमता और संवेदनशील कार्यशैली की प्रतीक्षा कर रही है.

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