मोदी से डराने वाले और मोदी से डरने वाले, दोनों ही हार गये। मोदी के खिलापफ जितना दुस्त प्रचार किया गया, मोदी उतनी ही तेजी से दिल्ली की सत्ता के करीब जाते गये और 2014 का चुनाव परिणाम अकेली ही भाजपा को सरकार बनाने का मौका दे डाला। भाजपा और एनडीए को प्राप्त हुये जनादेश में मोदी, उनका नेतृत्व, कार्यशैली, गुजरात में उनके द्वारा चलाये जाने वाले सरकार की मुख्य भूमिका रही।
2014 में सम्पन्न हुये चुनाव के क्रम में दो बातें प्रमुख रही कि एक वर्ग ऐसा जन्मा, जिसमें गैर एनडीए के सभी दल और राजनीति पार्टियां शामिल थी। जिन्होंने भारत का माहौल ऐसा बनाया जिसमें मोदी के नेतृत्व में गठित होने वाले सरकार से एक जाति विशेष में भय उत्पन्न करने में सफल रहे और अपनी सारी विफलताओं और गुनाहों को भय के चादर के नीचे ढकने में सपफल रहे। मोदी के भय के पीछे महंगाई, भ्रष्टाचार और दस वर्षों के कुशासन को अल्पसंख्यकों ने भुला कर मोदी के भय को स्वीकार कर लिया। यूपीए की दस वर्ष और उस दस वर्षों में असुरक्षित अल्पसंख्यक जिन्हें बेशुमार दंगा फसाद और असुरक्षा देखा, गरीबी देखी, बेरोजगारी देखी, जेलों में सजा सहा और फिर से कांग्रेस की छल में आपफसे और न केवल कांग्रेस के छलावे में पफंसे बलकी क्षेत्रीय दलों को भी समर्थन दिया। परिणाम अल्पसंख्याकों का सारा मत किसी काम नहीं आया जितना मोदी को रोकने की कोशिश हुई उनहें उतना ही अपार जनादेश प्राप्त हुआ। और अलपसंख्यक न इधर के रहे न उधर के रहे। नाहक बदनाम भी हुये और सपफल भी नहीं रहे। जिस-जिस के लिए उन्होंने मत डाला, वह बुरी तरह परास्त हुये एक आंकड़े के अनुसार अल्पसंख्याकों ने भाजपा एवं एनडीए को बाहर से पन्द्रह प्रतिशत वोट डाले हैं।
डरने वाले और डराने वाले क्यों न असफल रहे हों! मगर अब जब मोदी की अगवायी में सरकार ने अपना काम काज शुरू कर दिया है तो मेरा आकलन है कि अगर वर्तमान सरकार अल्पसंख्यकों के हक में कुछ भी नहीं करेगी। तब भी कांग्रेस के दस वर्षों से कहीं बेहतर काम रहेगा। क्योंकि अल्पसंख्यकों को जो कुछ भी प्राप्त होगा वह ब्याज ही होगा। मगर मेरा आकलन यह भी है कि लेहाजतन मोदी सरकार इतना कुछ कर जायेगी के डरने वाले और डराने वाले दोनों को शर्म आ जायेगी।
लेकिन मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए वे अभी भी साम्प्रदायिकता भड़काने वाली हरकतें करने में बाज नहीं आएंगे ताकि इसे बदनाम किया जा सके अभी भी जान आदेश मिल जाने के बावजूद वे बदनाम करने से नहीं चूक रहे मोदी की जीत अभी भी इनके गले नहीं उतर रही