उम्मीदों की सरकार: मोदी सरकार

-फख़रे आलम-
Narendra_Modi

अपार जनादेश प्राप्त करके, भाजपा, एनडीए ने मोदी के नेत्व में सरकार का गठन कर लिया है। मोदी की अगवादी में जितनी बड़ी जीत थी, उसका जश्न भी उतना ही बड़ा रहा। सार्क देशों के मेहमनों एवं अपने देश के लगभग चार हजार नागरिकों के सामने मोदी ने अपने विश्वासपात्रा कर्मठ और छोटे से मंत्रीमंडल के साथ देश को बेहतर भविष्य प्रदान करने और अपने संविधन की रक्षा के लिए शपथ लिये। शायद गठबंधन की मजबूरी न होती तो मंत्रीमंडल का आकार और छोटा होता। मोदी की मंत्रीमंडल की एक खास बात यह रही कि उनके अथवा पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह के निकटतम और सबसे विश्वासपात्र को जगह मिली। मोदी ने लगातार चापलूसी करने वालों और अयोग्यों को अपने मंत्रीमंडल से दूर रखा है। शायद मोदी मंत्रीमंडल पर अंकुश रखना चाहते हैं।

नए प्रधनमंत्री, नवगठित मंत्रीमंडल और नई सरकार से, पार्टी के कार्यकर्ता समर्थक और देश की जनता ने बेशुमार उम्मीदें लगा रखी है। विशाल जनादेश प्राप्त करने के उपरान्त मोदी का गांधीनगर, भावनगर, दिल्ली होते हुए काशी के गंगा आरती में शामिल होना और पिफर शपथ ग्रहण के लिये 26 मई को समारोह में सभी अपनों और पराये का शामिल होना सरकार के शपथ ग्रहण से पूर्व अनेको क्षेत्रीय दलों के नेताओं का मोदी को समर्थन देना, भारतीय राजनीति में एक अच्छी पहलू है।

प्रधनमंत्री, उनके मंत्रीमंडल और प्रधनमंत्री कार्यालय का पहला दिन बड़ा अच्छा रहा जिसके तहत काले ध्न पर एसआईटी का गठन मोदी सरकार के द्वारा उठाया गया देश और समाज के लिए पहला हितकारी कदम है। चुनौती भरे माहौल में मोदी और उनके मंत्रीमंडल को वह सब कुछ करना है जो अभी तक असंभव दिखाई देता रहा है। ‘हिटलर ने जब कहा था कि असंभव नाम का शब्द उनके शब्द कोश में नहीं है।’ उसके बाद उसको परास्त करने वाले अंग्रेज सेनापति ने व्यंगनात्मक तौर पर कहा था कि हिटलर को शब्दकोष देखकर खरीदनी चाहिये थी। मुझे लगता है कि मोदी ने अपने चुनावी भाषा में जो कुछ कहा था वह सबका सब सोच कर कहा हुआ वादा था। जिसमें उन्होंने कहा था कि, हां मैं सबकुछ कर सकता हूं। क्योंकि अमेरिकन राष्ट्रपति ओबामा से प्रेरित मुझे श्री नरेन्द्र मोदी दूर-दूर तक और कहीं से कहीं तक दिखाई नहीं पड़ते। अभी मंत्रीमंडल के गठन को दो दिन भी नहीं हुए कि उनके मंत्रियों को अयोग्य ठहराने पर विपक्ष उत्तर आया है। वैसे किसी ने कहा कि आरोग्य लगाने वाले अब विपक्ष के योग्य भी नहीं है। आरोप लगाने वाले के दस वर्ष के कार्यकाल में, उनका मानव संसाध्न मंत्रालय सबसे योग्य और विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति कभी जाने माने वकील तो कभी जाने माने हीरो और डांकर के हाथ में रहा मगर उपलब्ध हिम सब के समक्ष है।

मोदी को अभी कार्यभार संभाले दो दिन हुए हैं। उनके और उनके मंत्रीमंडल को कुछ समय दिया जाना चाहिए। एवं उनके द्वारा उठाये गये कदमों एवं उनके कार्यप्रणाली को संयम से देखना चाहिए। वर्तमान सरकार का गठन मोदी की अगुवायी में अच्चे दिनों के लिये हुई है और हमें आशावान रहना होगा। कम से कम पिछली सरकार से उन्नीस नहीं होगी। जो भी होगा जैसा भी होगा वह बीस ही होगा। हम सपनों के कल में नहीं बल्कि कुछ कर गुजरने के आज में जीते है। हम मोदी सरकार में जीते हैं। मोदी में वह जज्बा है। मोदी फैसला लेने और नये-नये प्रयोग करने, उसे जामा पहनाने। विकास की योजना बनाने में सफल रहे हैं। मुझे उनके द्वारा कहे गये कुछ बाते आज भी स्मरण है कि सिंगापुर में सुबह को जो चाय पी जाती है, उसमें दूध गुजरात का होता है। दिल्ली में मेट्रो स्टेशन का डब्बा आज गुजरात में बनता है। खादी उद्योग ने दस लाख लोगों को कपड़ा पहना कर दस हजार लोगों को रोजगार दिया है। मोदी का गुजरात माउल जो चुनाव से पूर्व आलोचना का विषय बना हुआ था। वह आज देश हित में सभी को स्वीकार है। बड़े-बड़े दावे करने वाले, दिल्ली की सरकार के गठन में अपनी अपनी पड़ी भूमिका का दावा करने वाले आज मुरझाये से दिखाई देते हैं। कुछ तो सत्ता से स्वयं हट गये और कुछ को जनता ने सत्ता में बड़ी भूमिका निभाने से रोक दिया।

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  1. वड़ोदरा में विजय समारोह में बोलते नरेंद्र मोदी ने कहा, “आपने मुझे भरोसा जताया, मैं आपमें भरोसा जताता हूं….जब मैं एक कदम उठाता हूं तो, मैं विश्वास करता हूं कि 125 करोड़ लोग मेरे साथ चलेंगे।“ सचमुच उम्मीदों की सरकार है मोदी सरकार| लेकिन साथ चलते हमें हर कदम पर अपना कर्तव्य भी निभाते रहना है| सुंदर लेख के लिए मेरा साधुवाद|

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