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नारियां शुभ, शोभा, शोभनीयता गुणों से सुशोभित हों : ऋग्वेद - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मनमोहन कुमार आर्य हम सन् 1970 व उसके कुछ माह बाद आर्यसमाज के सम्पर्क में आये थे। हमारे कक्षा 12 के एक पड़ोसी मित्र स्व. श्री धर्मपाल सिंह आर्यसमाजी थे। हम दोनों में धीरे धीरे निकटतायें बढ़ने लगी। सायं को जब भी अवकाश होता दोनों घूमने जाते और यदि कहीं…