नवरात्रों में दूर करें अपने घर के वास्तुक्षेत्रों से अस्त-व्यस्तता

 

नवरात्रों में मां दुर्गा की पूजा का सही विधान, सही दिशा एवं पूजा रूम की सजावट के साथ एक और महत्वपूर्ण पक्ष भी है जिसका ध्यान रखना जरूरी है। और वह है घर का साफ़-सुथरा होना व चीज़ों का सही स्थान पर रखा होना। इस बारे में बता रहे हैं वास्तुशास्त्री प्रसाद कुलकर्णी सीईओ महावास्तु मुंबई
नवरात्रों में मां के विभिन्न रूपों की पूजा का मूल प्रयोजन यही है कि हमारे जीवन में सदा प्रेम, समृद्धि एवं खुशहाली बनी रहे। ऐसा करने के लिए यह बहुत आवश्यक है कि आपके घर में विद्यमान 16 वास्तु क्षेत्र की ऊर्जाएं संतुलन में हों यानी प्रत्येक क्षेत्र में वही कार्य किए जाएं एवं वही वस्तुएं रखी जाएं, जो उस वास्तु क्षेत्र के गुण-धर्मों के साथ मेल खाते हों।
प्रत्येक कार्य/गतिविधि एवं वस्तु का एक प्रयोजन होता है। उसी के आधार पर जब उसको करने या रखने की दिशा का निर्धारण किया जाता है तो वह सकारात्मक परिणाम पैदा करता है। उदाहरण के लिए बेडरूम का प्रयोजन है आराम एवं शांति प्रदान करना; अतः उसे आराम के वास्तु क्षेत्र अर्थात् दक्षिण में बनाने पर आप अच्छी नींद ले पाएंगे। इसी प्रकार कूड़ेदान का प्रयोजन है, बेकार अनुपयोगी चीजों को फेंकने का स्थान। इस आधार पर ही उसको रखने की दिशा निर्धारित करनी चाहिए।
पिछले बीस वर्षों में वास्तुशास्त्र पर किए गए वैज्ञानिक शोध कार्यों ने यह साबित कर दिया है कि आपके घर में रखी हरेक वस्तु आपके अंतर्मन पर अपना एक विशेष प्रभाव डालती है। फ़िर चाहे वह आपके घर में रखा बेकार एवं अनुपयोगी सामान हो या बेतरतीब ढंग से फैलाकर रखी गई चीजें। जाने-अनजाने जब आप बेकार एवं अनुपयोगी सामान को एक दिशा विशेष में रख देते हैं तो यह आपके अंतर्मन एवं जीवन के एक विशेष आयाम को प्रभावित करने लगता है। उदाहरण के लिए, अपने घर के दक्षिण-पश्चिम दिशा क्षेत्र में बेकार एवं अनुपयोगी सामान को रखने अथवा चीजों को बेतरतीब ढंग से फै़ला कर रखने पर आपको अपने परिवारजनों से अनादर सहना पड़ता है।
ऐसा क्यों? क्योंकि वास्तुशास्त्र में दिशाओं की अलेकमी के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम दिशा में वह शक्ति विद्यमान है, जो आपके परिवार में जुड़ाव एवं एकजुटता की भावना पैदा करती है। अतः यहां बेकार एवं अनुपयोगी सामान रखने पर आपके अंतर्मन (अवचेतन मन) को एक संदेश पहुंचता है कि परिवार में एकजुटता का भाव बेकार एवं अनुपयोगी है। और अनजाने में यही स्थिति आप अपने जीवन में भी अनुभव करने लगते हैं। जब आपके बच्चे आपकी कही बात को एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल दें और आप निरादर का अनुभव करें तो जांच करें कि कहीं आपके घर में दक्षिण-पश्चिम दिशा में बेकार की चीजें तो फैली नहीं पड़ी हैं? यह फैलावट यदि दक्षिण-पश्चिम दिशा में पश्चिम क्षेत्र अर्थात् विद्याभ्यास के वास्तु क्षेत्र में होगी तो आप पाएंगे कि आपके बच्चों का पढ़ाई में जरा भी मन नहीं लगता, क्योंकि तब पढ़ाई उनके लिए बेकार की चीज़ बन जाती है। इसी प्रकार उत्तर व उत्तर-पूर्व दिशा क्षेत्र में रखा अनुपयोगी सामान एवं बेतरतीब फैलावट रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करके स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा करती है। और दक्षिण दिशा में होने पर आपके मन की शांति जाती रहती है। यदि आपको अपने घर में घुटन का अनुभव हो और आपको लगे कि आपको अपनी स्पेस नहीं मिल रही तो तुरंत अपने घर की उत्तर-पूर्व दिशा में पड़े बेकार सामान को हटाइए। ऐसा करते ही आप आराम एवं शांति महसूस करंेगे। कितनी दिलचस्प बात है कि वास्तु का प्राचीन ज्ञान आज के आधुनिक युग में भी उतना ही कारगर है। प्राचीन समय से ही यह माना जाता रहा है कि जिस प्रकार स्वस्थ शरीर के लिए आयुर्वेद एवं स्वस्थ मन के लिए योग है, उसी प्रकार बेहतरीन जीवन के निर्माण के लिए वास्तुशास्त्र है।
नवरात्रों का समय मां के ध्यान में लीन होने का समय है। घर के उत्तर-पूर्व वास्तु क्षेत्र में रखा बेकार एवं अनुपयोगी सामान या बेतरतीब फैलावट आपके ध्यान में बाधक है। इससे आपकी मानसिक स्पष्टता भी प्रभावित होती है। इन नवरात्रों के दौरान अपने घर से कचरे को साफ़ करके एवं चीजों को सुव्यवस्थित ढंग से रखने पर आपकी आगे बढ़ने की क्षमता बढ़ जाएगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here