सडक़ सुरक्षा के लिए मजबूत कानून की जरूरत

road-accident-deathअवनीश सिंह भदौरिया
देश में बढ़ते सडक़ हादसों से होने वाली मौतें गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही हैं। एक ताजा सरकारी आंकड़ें के मुताबिक प्रत्येक 3.6 मिनट में सडक़ हादसों में एक भारतीय की मौत हो रही है। सडक़ हादसों में होनेे वाली मौतों को रोकने के लिए एक मजबूत और प्रभावकारी सडक़ सुरक्षा कानून बनाने की जरूरत है। लगातार बढ़ते सडक़ हादसों से सरकार सबक नहीं ले रही है वहीं देश और प्रदशों में आज अनेक समस्याएँ हैं, जिनके समाधान की बातें तो की जाती हैं, लेकिन प्राय: देखा यही गया है कि सरकारें अनेक वायदों के साथ सत्ता में आती और चली जाती हैं, पर समस्याएं यथावत बनी रहती हैं। जिस लोक के लिए जनता का जनता द्वारा जनता के लिए शासन है, लगता है कि वह सिर्फ भारतीय संविधान में ही कैद होकर रह गया है। अगर आज हम बात करें तो देश के ज्यादातर युवा आज सडक़ हादसे कि शिकार हो रहे हैं। वही, साम-दाम-डंड-भेद अपनाने के बाद आज केड़े कानून की जरूरत है और ऐसे कड़े कानून को जरूर लागू करने की जरूरत है जो देश में बढ़ते सडक़ हादसों पर रोक लगाने की जरूरत है। आज देखें तो हालत बहुत बिगड़ती जा रही है और इस सबके पीछे कहीं न कहीं लाचार कानून का पूरा सहयोग है। आज हमारे देश में १०० फीसदी में से ६० फीसदी लोग बिना हैलमैट और लाइसैंस के मोटरसाईकल व गाडीओं का चलातें हैं। और प्रशासन कुछ नहीं कर पाता है और इसी का कारण है के आज देश में सडक़ के हादसे बड़ रहे हैं। वहीं, आज देश के कई संासदों ने इस पर आवाज उठाई है। उन्होंने कहा है कि आज देश में कड़े कानून की जरूरत है। कड़े कानून की मांंग कर रहे सांसदों ने कहा कि ऐसे हादसे देश को युवाहीन बनाने में लगे हैं और यह विषय चिंताजनक है। वहीं इन मामलों का लगातार बढऩा सरकार के लिए ही नहीं देश के लिए भी दुर्भाग्य की बात है। सडक़ हादसों पर अंकुश न लगा पाना एक बहुत बड़ी नाकामी कही जा सकती है। इन मामलों से देश का एक हिस्सा अंधेरी खाई में धस्ता जा रहा है। वहीं आज एक तरफ देश को उन्नती की राह पर ले जाने में सडक़ भी एक अहम हिस्सा है वहीं देश में आज बड़े-बड़े हाईवेे बनाये जा रहे हैं और सबसे ज्यादा हादसे रफ्तारी हाईवे पर होते हैं और यह आप भी जानते होंगे। रफ्तार छूते होते हाईवे पर आज कल काई भी १२० की रफ्तार से नीचे नहीं चलता। और इसी का परिणाम है कि १०० में से ७० फीसदी सडक़ हादसे रफ्तारी हाईवे पर होते हैं। अगर आज हम अपनी इंसानियत और सडक़ों पर बने कानून का पालन करें तो सडक़ हादसों से बच सकते हैं।

आंकड़ों के अनुसार हर दिन सडक़ हादसे में 381 लोग मारे जाते हैं और 1287 घायल होते हैं। सडक़ परिवहन की इसी खौफनाक हालत पर चिंता जताते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने देश की सडक़ों को ‘राक्षसी हत्यारे’ ;जायंट किलर कहा था। अदालत ने यह संज्ञा सडक़ हादसों में हुई मौतों की हकीकत से रूबरू होकर दी थी। दरअसल 2004 में सडक़ हादसों में 92,618 मौतें हुई थीं। जबकि 2010 में यह आंकड़ा बढकऱ 1,35,485 हो गया और 2011 में 1,43,485 लोगों ने सडक़ हादसों में प्राण गंवाए। 2013 में 4,86,000 और 2014 में 4,89,000 लोगों ने प्राण गवाएं। यानी जैसे-जैसे सडक़ों पर वाहन बढ़ते जा रहे हैं,उसी अनुपात में दुर्घटनाओं में मौत के आंकड़े भी बढ़ते जा रहे हैं। उत्तर-प्रदेश में कुल मौतों के 11 फीसदी,तमिलनाडू में 10.9,महाराश्ट्र में 9.2,कर्नाटक में 7.5,राजस्थान में 7.4 प्रतिषत लोग मारे जाते है।

रिपोर्ट के अनुसार, हादसों में होने वाली मौत के मामले में दिल्ली शहर चोटी पर रहा जहां पिछले साल 7,191 दुर्घटनाएं दर्ज हुईं। इनमें कुल 1,332 लोगों की जान चली गई और 6,826 लोग घायल हुए। पिछले दस साल की अवधि में सडक़ हादसों में होने वाली मौतों में साढ़े 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

देश के करीब 20 फीसद सांसदों ने इसके लिए प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी को चि_ी लिखी है। सुत्रों के मुताबिक, कुछ दिन पहले देश की अलग-अलग पार्टियों के करीब 57 सांसदों ने दलगत राजनीति से ऊपर उठते हुए कंज्यूमर प्रोटेक्शन ग्रुप ( उपभोक्ता सुरक्षा समूह) द्वारा भेजी गई कन्ज्यू्यूमरों (उपभोक्ताओं) की आवाज के साथ अपने हस्ताक्षर वाली एक याचिका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी। अपने पत्र में सांसदों ने सडक़ सुरक्षा और ट्रांसपोर्ट बिल के मांग की अपील की है। पत्र में उपभोक्ता संस्था की मांग रखते हुए अपील की गई है कि देश के सभी राज्यों में सडक़ हादसों से असमयिक मौतोंं के कारण व्यक्तिगत और पीडि़त परिवारोंं में काफी दर्द है। इसलिए दलगत राजनीति से ऊपर उठते हुए देश के सभी नागरिकों की मांग मानते हुए एक मजबूत और प्रभावशाली कानून बनाई जाए। दिसंबर में 50 सांसदों ने प्रधानमंत्री को खत लिख कर इस बिल को तुरंत टेबल करने की अपील की थी। संयुक्त पत्र सेव लाइफ फाउंडेशन द्वारा भेजा गया था। पत्र में सांसदों ने लिखा था कि बिल में एक-एक दिन की देरी से हम हर दिन 360 जिंदगियों को खोते जा रहे हैं। सांसदों ने अपील की है कि सरकार सडक़ सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक मजबूत और प्रभावशाली बिल एक महीने के भीतर बनाए। चि_ी में कहा गया है कि इस कानून के न होने से ही हमने अपने कई साथियों को खो दिया। हाल ही में सडक़ परिवहन सचिव संजय मित्रा ने संसदीय पैनल को बताया कि इसे  लेकर मंत्रालय गंभीर है और सभी राज्य सरकारों से बातचीत कर रही है। उन्होंने बताया कि शराब पी कर गाड़ी चलाने और नाबालिग के ड्राइविंग जैसे विवादित मामलों में पेनाल्टी बढ़ाने को लेकर सभी राज्य सरकारों से बातचीत चल रही है। सडक़ सुरक्षा बहुत निर्णायक है और कोई नया बिल लाने की बजाए मौजूदा मोटर व्हिलकल एक्ट में कुछ बदलाव लाकर इसमें सुधार किया जा सकता है। आज हमारे देश को जरूरत है सडक़ हादसों पर कड़े कानून बनने की और सांसदों की मागें करना सराहनीय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े दर्शाते हैं कि 2020 तक भारत में होने वाली मौतों में सडक़ दुर्घटना एक बड़ा कारक होगा। अनुमान के मुताबिक तब प्रति वर्ष 50046 हजार लोग इसकी वजह से मरेंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here