ना आम आदमी की तकदीर बदलना है और ना ही प्रदेश की तस्वीर

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shivraj-singh-chauhanसिवनी। प्रदेश भाजपा की कार्यसमिति की बालाघाट बैठक में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने नगरीय चुनावों की पूर्व संध्या पर प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने का नया नार दिया हैं। सत्ता तुम बदलो व्यवस्था हम बदलेंगें का नारा देकर उमा भारती ने दस सालों से चल रही दिग्गी सरकार को सड़क,पानी और बिजली के मुद्दे पर उखाड़ फेंका था।
प्रदेश में व्यवस्था बदलने के नाम पर प्रदेश में यदि कुछ हुआ हैं तो वह यह है कि भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार बन गया हैं। नगरीय निकायों के चुनाव के समय शिवराज का दिया हुआ तस्वीर और तकदीर बदलने का नारा कितना कारगर साबित होगा? इस पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी ही होगी।
नगरीय निकायों ने प्रदेश के नगरों की कितनी तस्वीर बदली हैं यह तो शहरों की बदहाल सड़कों,बजबजाती नालियों और भुनभुनाते मच्छरों से फैलती बीमारियों से साफ दिखायी दे रहा कि शहरों की तस्वीर कितनी बदरंग हो चुकी हैं। हां इतना जरूर है कि इन निकायों को चलाने वालो की तकदीर जरूर बदल गयी हैं।
प्रदेश की जनहितकारी योजनाओं की तस्वीर में से जनहित तो गुम ही होता जा रहा हैं। और तो और केन्द्रीय योजनाओं में भी जमकर पलीता लग रहा हैं। फिर चाहे वो रोजगार गारंटी योजना हो,प्रधानमंत्री सड़क योजना हो या मध्यान्ह भोजन हो या ऋण माफी योजना हो। इन सभी में योजनाओं को संचालित करने वालों की तो वाकयी तकदीर बदल गयी हैं लेकिन हितग्राहियों की तस्वीर देखने लायक ही बची हैं।
नरेगा में जाब कार्ड बनाने और मस्टररोल भरने वालों की तो तकदीर तो वाकयी बदल गयी और सभी वाहनसुख का भोग कर रहें हैं। लेकिन जिन मजदूरों की तकदीर बदलने के लिये यह योजना बनायी गयी थी उन मजदूरों की तस्वीर जैसी की तैसी ही रह गयी हैं और तो और उन्हें मजदूरी लेने के लिये इतना भटकना पड़ता हैं कि उनकी तस्वीर ही बदरंग होते जा रही हैं।
ऐसा ही कुछ हाल कुपोषण से पीड़ित बच्चों के लिये बनाये जाने वाले मध्यान्ह भोजन योजना का भी हैं। इसमें भले ही भोजन बनाने वालो की तकदीर बदल गयी हो लेकिन कुपोषण के शिकार बच्चों की तस्वीर तो और बदसूरत हो गयी हैं। आये दिन कभी भोजन में छिपकली तो कभी छींगुर निकलने के समाचार प्रकाशित होते रहते हैं। खाना बनाने वाले तो चकाचक होते जा रहे हैं लेकिन बेचारे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान का कहीं अता पता ही नहीं हैं।
इससे कुछ अलग आलम प्रधानमंत्री सड़क योजना का भी नहीं हैं। प्रदेश में इन सड़कों को बनाने और बनवाने वालों की तकदीर में तो चार चांद लग गये परन्तु सड़कों की तस्वीर फटेहाल ही हैं। अटल जी इस योजना का ऐसा बुरा हाल है कि सड़के आज बनती हैं तो चंद महीनों में ही गड्डों में सड़क को ूेंलने वाले और बिजली की आंख मिचोली से त्रस्त किसान की तस्वीर बदरंगी होते जा रही हैं।
मुख्यमंत्री जी यदि प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने की ऐसी ही आपकी योजना हैं तो यह आपको ही मुबारक हो क्योंकि इसमे प्रदेश के आम आदमी की ना तो तकदीर बदलना हैं और ना ही प्रदेश की तस्वीर।
आशुतोष वर्मा

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