चीन में इंटरनेट का नया संकट और ऊँचाइयाँ

-जगदीश्‍वर चतुर्वेदी

चीन की ऑनलाइन आबादी 404 मिलियन हो गई है। सन् 2009 में नेट यूजरों की संख्या 384 मिलियन थी। मोबाइल सहित नेट यूजरों की संख्या 233 मिलियन है। जबकि ब्रॉडबैण्ड कनेक्शन 346 मिलियन लोगों के पास हैं। उल्लेखनीय है चीन में परंपरागत मासमीडिया पर सख्त सेंसरशिप है। जबकि नेट में आम चीनी अपने भावों, विचारों के खुलकर व्यक्त कर रहे हैं।

चीन में इंटरनेट यूजरों की संख्या में अकेले इस साल 20 मिलियन की वृद्धि हुई है। इसके कारण चीन के इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) पते पर काफी कम जगह बची है जिस गति से चीन में इटरनेट यूजरों की संख्या बढ़ रही है उसके कारण आगामी 2-3 साल में नेट पर पते लिखने की जगह नहीं मिलेगी। इस संकट से बचने के लिए चीन को नए आईपी पते का निर्माण करना होगा। नया संभावित आईपी पता होगा- IPv6 । चीन सरकार के पास आईपी के संकट से निकलने की अभी तक कोई योजना नहीं है। अभी वे यह भी नहीं जानते कि IPv6 और IPv4 के बीच के संबंध को भविष्य में कैसे संभालेंगे।

चीन के बारे में एक दिलचस्प सर्वे सामने आया है ,यह सर्वे Fleishman Hillard नामक संचार संस्था ने किया है। सर्वे के अनुसार प्रत्येक चीनी नागरिक प्रति सप्ताह 34 घंटे मीडिया के साथ खर्च करता है। चीनी नागरिक नेट और ईमेल के सबसे बड़े यूजर हैं। सब मिलाकर 56 प्रतिशत लोग सभी माध्यमों का चीन में इस्तेमाल करते हैं। इस संस्था के द्वारा कराई रिसर्च बताती है कि 7 देशों में 48 प्रतिशत नेट आबादी रहती है ,इनमें चीन में इंटरनेट और मीडिया के भोक्ताओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

दूसरी ओर चीन ने बेव को नियमित और नियंत्रित करने के लिए एक नयी संस्था बनाई है जिसका नाम है Internet news coordination bureau । हाल ही में इस ब्यूरो के अधिकारियों ने विदेशी राजनयिकों और चीन के प्रौपेगैण्डा प्रचारकों के साथ बैठक की है। उनका शंघाई में प्रशिक्षण चल रहा है। इस संस्था का काम है विदेशी भाषाओं की खबरों को छानना, फटकना और चुनकर पाठक तक पहुँचाना और चीन में खबरों का कारोबार करना।

उल्लेखनीय है चीन अबाधित सूचना प्रवाह और अबाधित इंटरनेट प्रवाह के खिलाफ है। वह नियंत्रित प्रवाह का पक्षधर है।

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