आम चुनावों के दौरान भारत के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री ने (नाम नहीं लिख रहा हूं। डर है कि कहीं इस आयु में जेल की हवा न खानी पड़े), भाजपा के तमाम नेताओं ने तथा टीवी चैनलों पर बहस में भाग लेने वाले भाजपा के प्रवक्ताओं ने देश की जनता से लोकलुभावन वायदे किए। उनके आलोचकों ने जनता को अवगत कराने की कोशिश की भाजपा को कॉरपोरेट जगत से धनराशि मिल रही है और यह चुनाव भाजपा नहीं अपितु कॉर्पोरेट जगत लड़ रहा है। आलोचकों के इन आरोपों को भाजपा के लोगों ने खारिज ही नहीं किया, अपितु भाजपा के खिलाफ साजिश एवं षड्यंत्र करार दिया। चुनावों में भाजपा की ओर से जो वायदे किए गए, उन पर जनता ने विश्वास किया। चुनावों में भाजपा को आशातीत सफलता मिली। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई बहस का जो जबाब भारत के नवनिर्वाचित प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के दोनों सदनों में दिया उसमें इस बात को बार बार रेखांकित किया गया कि उनकी सरकार देश के आम आदमी के हितों को ध्यान में रखकर काम करेगी। उन्होंने देश की आम जनता को पुनः भरोसा दिलाया कि ‘अच्छे दिन आने वाले हैं´ कि ´इच्छाशक्ति तथा दृढ़विश्वास से हर समस्या का समाधान सम्भव है’।
देश में नई आशा, नए विश्वास का वातावरण बना। आम चुनावों के दौरान अपने को भारत का ‘चाणक्य´ मानने वाले तथा अपने को बाबा कहने वाले सज्जन ने बार बार उद्घोष किया कि विदेशों में इतना कालाधन जमा है कि अगर मोदी जी की सरकार आ गई तो देश की तकदीर बदल जाएगी, बीस वर्षों तक किसी को आयकर देना नहीं पड़ेगा, हर जिले के हर गांव में सरकारी अस्पताल खुल जाएंगे, कारखाने खुल जाएंगे, बेरोजगारी दूर हो जाएगी तथा देश की आर्थिक हालत में आमूलचूल परिवर्तन हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सोनिया गांधी के इशारों पर चलने वाली सरकार के पास उन तमाम लोगों की सूची है जिनका काला धन विदेशों के बैंकों में जमा है। उस सूची को सरकार जगजाहिर नहीं कर रही, क्योंकि उस सूची में जिनके नाम हैं, उनको यह सरकार बचाना चाहती है। आदि आदि।
अब परीक्षा का समय है। बहानेबाजी का नहीं। कड़वी दवा पिलाने की जरूरत नहीं है। वर्ष 2014-2015 के अंतरिम बजट में कॉरपोरेट अर्थात उद्योग जगत के लिए पांच लाख करोड़ से अधिक राशि का प्रावधान किया गया है। निश्चित राशि है– 5.73 लाख करोड़। देश का वित्तीय घाटा इस राशि से बहुत कम है। सम्भवतः 5.25 लाख करोड़। कॉरपोरेट अर्थात उद्योग जगत के लिए अतिरिक्त कर छूट के लिए निर्धारित अंतरिम बजट में जिस राशि का प्रावधान किया गया है उसको यदि समाप्त कर दिया जाता है तो न केवल सरकार का वित्तीय खाटा खत्म हो जाएगा अपितु उसके पास पचास हजार करोड़ की अतिरिक्त राशि बच जाएगी। कॉरपोरेट जगत को दी गई कर रियायत को समाप्त करने की स्थिति में सरकार को रसोई गैस, डीजल, उर्वरक, खाद्य सामग्री पर जारी सब्सिडी को कम करने तथा रेल का किराया बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे कीमतें जो बेताहाशा बढ़ रही हैं, वे नहीं बढ़ेंगी। देखना यह है कि सरकार कॉरपोरेट जगत को दी गई अतिरिक्त कर छूट को खत्म करती है अथवा देश के आम आदमी पर कहर ढ़ाती है, उसको अभिशप्त एवं घुटन भरी जिन्दगी जीने के लिए विवश करती है। इसके लिए सरकार के पास चलने के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ता कॉरपोरेट जगत को अतिरिक्त लाभ और फायदा पहुंचाने वाला है। दूसरा रास्ता देश की 90 प्रतिशत आबादी की दम तोड़ती जिन्दगी को राहत पहुंचाने वाला है। भाषण देने का समय बीत गया। अब वायदे पूरा करने का समय है।
excellent analysis of the present situations and actions- taken and needed.
Must give some time to settle, action and getting result,
India is democratic country, no body will send you jail if you will take name
नवनिर्वाचित प्रधान मंत्री के विरुद्ध टिप्पण करने पर तीन राज्यों में यह हो चुका है। आप क्या प्रधान मंत्री की ओर से आश्वासन देने के लिए अधिकृत हैं। जिन वायदों के कारण जनादेश मिला है उनको पूरा करने के लिए सरकार को क्या करना चाहिए, इसकी लेख में विवेचना की गई है।
आपको लेख के तथ्य एवं समस्याओं के निराकरण के उपाय पसन्द आए – यह मेरे लिए प्रीतिकर है।