आपको मिलवाते है मुंबई के जयंत से जिन्होने कबाड़ से कंप्यूटर बनाकर सभी को हैरत में डाल दिया है। जयंत के पिता इलैक्ट्रॉनिक वेस्ट को इकट्ठा करने का काम करते है। बस इसी कबाड़ से जयंत ने बना डाला कंप्यूटर।
दुनिया में हल्के से हल्के, पतले से पतले आधुनिक कंप्यूटर बनाने की होड़ है। हर साल कई नए मॉडल सामने आते जो वाकई में अनोखे होते है। लेकिन आज हम जिस कंप्यूटर के बारे में आपको बताने वाले है वो भी अनोखा है, कुछ अलग है।

यह है कबाड़ से बना कंप्यूटर। इसे बनाया के मु्ंबई के घाटकाेपर में रहने वाले जयंत ने। जयंत ने कबाड़ से कंप्‍यूटर बनाकर कई लोगों को आश्‍चर्य चकित कर दिया है।

हैरानी की बात ये है कि जयंत नौवीं फेल है। उसको पढ़ाई में कोई रूचि नहीं है, लेकिन वह एक ऐसा कंप्‍यूटर बनाना चाहता है जो हर किसी की पहुंच में हो। उसके पिता रविंद्र पहले उसकी पढ़ाई में रूचि न रखने से बेहद दुखी थे, लेेेकिन अब वह अपने बेटे की इस काबलियत पर काफी खुश हैं।

जयंत के पिता रविंद्र स्‍कूल, कॉलेज और ऑफिस से ई-वेस्‍ट कबाड़ एकत्रित करने का काम करते हैं। उनका कहना है कि इस कबाड़ का कुछ हिस्‍सा वह बेच देतेे हैं तो कुछ को रिसाइकिल किया जाता है और कुछ को उपयोग के लिए रख भी लेते हैं या सही कर आगे सप्‍लाई कर देते हैं। जयंत ने जिस कंप्‍यूटर को बनाया है उसकी स्‍क्रीन किसी ऑपरेशन थियेटर मेंं रखे किसी मॉनिटर जैसी ही है। उसका कहना है कि उसके पिता जो कबाड़ एकत्रित करके लाते हैं उसमें से वह अपने काम की चीजें निकाल लेता है। इसमें कई तरह के कंप्‍यूटर हार्डवेयर पार्ट्स भी होते हैं। इनकी ही मदद से उसने एक कंप्‍यूटर बना डाला है। जयंत का कहना है कि उनके कंप्‍यूटर का इस्‍तेमाल उनके घर के सदस्‍यों के अलावा वह बच्‍चे भी करते हैं जो कंप्‍यूटर नहीं खरीद सकते हैं।

जयंत के मुताबिक अकेले मुंबई में ही 9 हजार टन से अधिक का ई-वेस्‍ट निकलता है जिसमें से केवल 3500 हजार टन को ही दोबारा प्रोसेस किया जाता है। हालांकि अब अपने पिता के कहने पर ही सही जयंत ने पत्राचार से दसवीं करने के लिए सेंट टेरेसा स्‍कूल में एडमिशन लिया है। उसका कहना है कि वह फिलहाल हैकिंग से निपटने का कोर्स भी कर रहा है। जयंत की ये प्रतिभा वाकई कमाल है।