पिछड़ा वर्ग राष्ट्रीय आयोग के गठन को मिली सराहना

पिछड़ा वर्ग  राष्ट्रीय आयोग के गठन को मिली सराहना  – यह कदम उन मांगों के बाद उठाया गया है जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जाति के लिए राष्ट्रीय आयोग और अनुसूचित जनजाति के लिए राष्ट्रीय आयोग जिस तरह से शिकायतें सुनता है उसी तरह पिछड़ा वर्ग के लिए राष्ट्रीय आयोग को ओबीसी वर्ग की शिकायतें सुनने की अनुमति देने के लिए संवैधानिक दर्जा दिया जाए ।

देश के अलग-अलग हिस्सों में पिछड़ा वर्गों को आरक्षण की मांग को लेकर लगातार आंदोलन होते रहते हैं। पिछड़ा वर्ग की मांगों को न्यायिक अंजाम तक पहुंचाने के मकसद से मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया ।

केंद्र सरकार अब मौजूदा पिछड़े आयोग की जगह नया आयोग गठित करेगी जिसे संवैधानिक दर्जा दिया जाएगा। इसके लिए सिफारिश अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए बनी संसदीय समिति की तरफ से भी की गई थी, जिसे सरकार ने पिछले हफ्ते मान लिया है।

संविधान में संशोधन के जरिए सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग के लिए नए राष्ट्रीय आयोग का गठन, जिसे संवैधानिक दर्जा हासिल होगा.

इस आयोग के लिए एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और तीन सदस्यों का प्रावधान किया जाएगा

केन्द्र सरकार की ओबीसी सूची में जाति का नाम जोड़ने अथवा हटाने के लिए संसद की मंजूरी लेना आवश्यक होगा

नए प्रावधान को जोड़ते हुए देश में सामाजिक और आर्थिक तौर से पिछड़े लोगों की परिभाषा दी जाएगी

जानकार और पिछड़ा वर्ग से जुड़े नेता सरकार के इस फैसले को ऐतिहासिक और दूरगामी बता रहे हैं।