दिवंगत विधायक हाजी इरफान की मृत्यु के प्रकरण में सनसनीखेज बातें सामने आ रही हैं। संज्ञान में कई ऐसे तथ्य आये हैं, जिससे यह सिद्ध हो रहा है कि एंबुलेंस में ऑक्सीजन होती, तो भी विधायक की जान नहीं बच पाती। तथ्यों से डॉक्टर और स्टाफ की ही नहीं, बल्कि समूची व्यवस्था की लापरवाही उजागर हो रही है, लेकिन 36 घंटे बाद भी किसी के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

उल्लेखनीय है कि गुरूवार को बदायूं में मुजरिया-कछला मार्ग पर सैफई जाते समय बिलारी क्षेत्र के विधायक हाजी इरफान की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसके बाद विधायक व अन्य सभी घायलों को उपचार हेतु जिला चिकित्सालय लाया गया, जहाँ से प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें चिकित्सकों द्वारा बरेली के लिए रेफर कर दिया गया, लेकिन 108 नम्बर की एंबुलेंस में ऑक्सीजन तक की सुविधा नहीं थी, इस प्रकरण को जिलाधिकारी ने गंभीरता से लेते हुए शुक्रवार को मजिस्ट्रियल जाँच के आदेश दे दिए। आज सिटी मजिस्ट्रेट जिला अस्पताल पहुंचे और उन्होंने उक्त प्रकरण की जाँच शुरू कर दी।

उक्त प्रकरण में कई सनसनीखेज तथ्य संज्ञान में आये हैं। दिवंगत विधायक सहित सभी घायल गुरुवार सुबह 9: 45 बजे जिला अस्पताल लाये गये, उस समय इमरजेंसी वार्ड में डॉ. राजेश वर्मा ड्यूटी पर थे, उन्होंने घायलों का उपचार करने से ज्यादा ध्यान कागजी कार्रवाई पर दिया और अधिकांश समय मुआयने में ही निकाल दिया। घायलों का खून बह रहा था, लेकिन रक्त स्राव रोकने के लिए स्टेप्टोक्रोम इंजेक्शन नहीं लगाया गया। सांस घुट रही थी, लेकिन वार्ड में भी ऑक्सीजन नहीं लगाई और न सांस फूलने से बचने का इंजेक्शन लगाया। आघात से बचने के लिए भी इंजेक्शन नहीं लगाया गया। यहाँ स्तब्ध कर देने वाली बात यह है कि रक्तस्राव बढ़ाने वाले इंजेक्शन एक घंटे के अंदर ही दो बार लगाये गये।

डॉ. राजेश वर्मा ने दिवंगत विधायक को इमरजेंसी वार्ड में ही डेक्सोना, हाइड्रोकोर्टीजोन और प्राइमाकोर्ट इंजेक्शन लगाये और उन्हें व अन्य सभी घायलों को गुरुवार सुबह 10: 15 बजे बरेली के लिए रेफर कर दिया, लेकिन उनके साथ एंबुलेंस में अंसार और लखन नाम के अप्रशिक्षित फार्मासिस्ट भेजे गये, जो रास्ते में विधायक की हालत बिगड़ने पर घबरा गये। उन्होंने डॉ. राजेश को फोन किया, तो डॉ. राजेश ने पुनः उक्त इंजेक्शन लगाने को कह दिया। जानकारों का कहना है कि उक्त इंजेक्शन के कारण हाजी इरफान के पेट के अंदर अत्यधिक रक्त स्राव हुआ, इससे उनके हृदय व फेफड़े जाम हो गये, जो मृत्यु का कारण बने। यहाँ विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि एंबुलेंस में ऑक्सीजन की व्यवस्था होती, तो भी विधायक हाजी इरफान जीवित नहीं बचते, क्योंकि अत्यधिक रक्त स्राव तब भी होता रहता। एम्बुलेंस में दिवंगत विधायक के साथ जाने वाले फार्मासिस्ट अंसार और लखन ने सीएमओ के समक्ष लिखित बयान में उक्त बात कही है, साथ ही कहा है कि डॉक्टर की हिदायत के बावजूद परिजनों ने हाजी इरफान को पानी पिलाया और बैठाया भी।

इससे पहले दिवंगत विधायक और अन्य घायल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उझानी भी ले जाये गये, जहां वे सुबह 8: 30 बजे पहुंचे और 8: 35 बजे रवाना कर दिए गये, अर्थात घायलों का यहाँ प्राथमिक उपचार तक नहीं किया गया, जबकि शहर के अंदर सामुदायिक केंद्र तक जाने और वापस मुख्यालय की और आने में काफी समय बर्बाद हुआ।

उक्त घटना में डॉ. राजेश वर्मा तो दोषी है ही, लेकिन उसके विरुद्ध 36 घंटे बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इमरजेंसी वार्ड के अंदर बरती गई लापरवाही की दूसरी बड़ी जिम्मेदारी सीएमएस डॉ. शशि कुमार अग्निहोत्री की है। बताया जाता है कि डॉ. शशि कुमार अग्निहोत्री सीएमओ रह चुके हैं, जिससे सीएमएस बने रहने में उन्हें रूचि नहीं है, साथ ही उनकी पत्नी डॉ. विनीता अग्निहोत्री पहली बार सीएमओ बनी हैं, जो वर्तमान में जिला शामली में तैनात हैं। डॉ. शशि कुमार अग्निहोत्री अपना अनुभव पत्नी से शेयर करने के लिए अधिकांशतः शामली में ही रहते हैं, जिससे जिला अस्पताल में अव्यवस्थायें और अधिक हावी हो गई हैं।

जिला अस्पताल सहित समूचे जिले की जिम्मेदारी सीएमओ की होती है, लेकिन लखनऊ मुख्य सचिव की बैठक में सम्मलित होने गये सीएमओ डॉ. आरडी तिवारी को 14 फरवरी को लखनऊ में ही हृदय आघात हुआ था, तब से वह छुट्टी पर हैं और उनकी जगह डॉ. नरेद्र कुमार कार्यवाहक सीएमओ बने हुए हैं, ऐसे में व्यवस्थायें सुधारने में उनकी रूचि न होना स्वाभाविक ही है, साथ ही उनके आदेशों को अधीनस्थ गंभीरता से भी नहीं लेते।

खैर, 108 एंबुलेंस सेवा की चर्चा करना मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कभी नहीं भूलते, लेकिन सर्वाधिक लोकप्रिय सेवा और उनकी व्यवस्था का शिकार उनका अपना विधायक ही हुआ है, जो समूची व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है। डॉ. राजेश वर्मा, या सीएमएस शशि कुमार अग्निहोत्री के विरुद्ध कार्रवाई करने से कुछ नहीं बदलने वाला, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के कण-कण में राजेश वर्मा और शशि कुमार अग्निहोत्री जैसे लापरवाह घुसे हुए हैं, इसलिए प्रत्येक कण को ही इन जैसों से मुक्त करना होगा, तब जनता को अपेक्षित लाभ मिल सकेगा।

बी.पी.गौतम

 

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1 Comment

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  1. डाक्टरों की लापरवाही को उपभोक्ता कानून के अंतर्गत लाना होगा। विधायक और अल्पसंख्यक है तो समाचार बन गया। आम आदमियो की रोज ऐसी की तैसी हो रही है.